‘आज मंगलवार है …..महावीर का वार है ….सच्चे मन से जो कोई ध्यावे ……उसका बेड़ा पार है ।” आरती की आवाज़ कोने में रखे कमरे के मंदिर से आ रही थी और दूसरी तरफ निहारिका अपने ड्रेसिंग टेबल के पास खड़ी सजते हुए मंद-मंद मुस्कुरा कर धीरे-धीरे से गा रही थी ….”आज मंगलवार है ………सजने का त्यौहार है “…..कहते हुए वो शर्मा गयी ।तभी सोमेश ने आवाज़ दी की खाना लगा दो। निहारिका ने फट से मेक-अप को फाइनल टच दिया ……सुर्ख लबों पर लिपस्टिक के बाद लिप-ग्लॉस और फिर एक भीनी सी महक वाला परफ्यूम लगा कर वो किचन में डिनर सर्वे करने की तयारी में लग गयी ।
सोमेश ने उसे देखते हुए कहा कि ,”आज तो पेट वैसे ही भर गया “। निहारिका ने भी हँसते हुए जवाब दिया,”रात अभी बाकी है ……बात अभी बाकी है ।”….और फिर जल्दी-जल्दी से बच्चों को खाना परोसने लगी ।
हर हफ्ते इस मंगलवार के दिन उसमे एक अलग सा ही तूफ़ान भरा होता है ……वही मंगलवार जिसके लिए ये प्रचलित है की जो “महावीर” के उपासक हों …..उन्हें अपनी तृष्णाओं का उस दिन परहेज़ करना होता है ।अगर सोमेश इस पंक्ति पर चलता तो शायद निहारिका के लिए “पूर्णमासी” कभी आती ही नहीं ।
निहारिका ने खाना खाने के बाद जल्दी से बर्तन समेटे और बच्चों को सुलाने में लग गयी |सोमेश भी सारा दिन काम करने के बाद अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गया और लेटते ही सो गया |लेकिन निहारिका जानती थी की वो उसे जगा लेगी क्योंकि छह दिनों के “नशे” के बाद एक यही मंगलवार का दिन ही तो उसका अपना होता है ……….छह दिन …..हाँ हफ्ते के छह दिन ……साथ तो वो रोज़ होते हैं …….ज़ज्बात भी रोज़ होते हैं …….लेकिन बस वो महक …..वो शराब की महक ……..सारा मूड ऑफ कर देती है ।
निहारिका को शराब से नफरत है ……हाँ नफरत …..बहुत ज्यादा ……मगर सोमेश नहीं मानता है ।रोज़ कोई न कोई बहाना बनाकर दो-चार पेग पी ही आता है ।बेचारी निहारिका …..अब रोज़ तो झगड़ा कर नहीं सकती न ? तो बस यही एक उपाय उसने अब हालातों से समझौता करने का ढूँढ निकाला है ।छह दिन सोमेश के और सातवाँ दिन निहारिका का ……..उसका अपना दिन …….उसके अपने विचार ……..उसकी अपनी खुशियाँ …..उसके सपने स्वीकार ………पता नहीं क्यों लोग ऐतवार के दिन का इंतज़ार करते हैं …..पता नहीं क्यों ?उसके लिए तो ऐतवार ,त्यौहार ,सब मंगलवार को ही होते हैं ………और वो “महावीर ” से इसके लिए क्षमा भी कई बार माँगती है ।
तभी उसने देखा कि बच्चे गहरी नींद में सो गए हैं ।निहारिका धीरे से उठ कर सोमेश के पास जाकर लेट जाती है और फिर धीरे से जगाकर उसके कानों में कहती है ,” उठोगे नहीं क्या …. आज तो मंगलवार है ?”
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