This Hindi story is about a girl who recently got divorced and when her boss proposed her for the marriage she politely refused his proposal.
उसे पहली बार अपने ऑफिस में देखा था। बाकी लड़कियों से एकदम अलग रही थी। चेहरे पर गज़ब की मासूमियत थी और आँखें एकदम खामोश मानो जैसे की ज़िन्दगी के एक बहुत बड़े तूफ़ान का सामना करके निकलीं हो।
मैं सबसे नज़र बचाकर उसकी तरफ टकटकी लगा कर देख रहा था कि तभी मेरे असिस्टेंट (पराग) ने मुझे आवाज़ दी और बोला कि ,”सर ! आप इंटरव्यूज अभी करना चाहेंगे या इन सबको वेट करने के लिए कहूँ ?”
मैंने झट से कहा कि ,”हाँ अभी मिलूँगा मैं सब कैंडिडेट्स से एक एक करके। मैं अपने केबिन में जा रहा हूँ। तुमने सब के बायोडाटा मेरी टेबल पर रखवा दिए हैं क्या ?”
पराग ने हाँ में सिर हिलाया तो मैं फिर बोला कि ,”ठीक है। चलो तुम कैंडिडेट्स को भेजना चालू करो। ” और मैं बिना एक पल गँवाए तुरंत अपने केबिन की ओर चल दिया।
अभी मैं कुर्सी पर बैठने ही लगा था की पहली कैंडिडेट ने दरवाज़े पर दस्तक दी। मैंने उसको अंदर आने के लिए कहा। और फिर शुरू हुआ वही बोरिंग बोझिल सवालों का सिलसिला लेकिन ना जाने आज यह सवाल मुझे उतने बोरिंग नहीं लग रहे थे क्यूँकि मन तो बेचैन था वो मासूम चेहरा फिर से देखने के लिए। तो बस इस बेचैनी के सामने आज कुछ भी बोरिंग और बोझिल नहीं था।
एक के बाद एक कैंडिडेट का इंटरव्यू मैं लेता गया। किससे क्या पूछा और किसने क्या बताया और क्या नहीं कुछ याद नहीं था। बार बार बस एक ही सवाल गूँज रहा था दिलोदिमाग में की वो कब आएगी इंटरव्यू के लिए ? और अगले ही पल मुझे मेरी मुराद पूरी होती नज़र आई। आखिरी कैंडिडेट वही थी। वो जैसे ही मेरे केबिन में घुसी मेरे दिल दिमाग ने मानो मेरा साथ छोड़ दिया।
बड़ी मुश्किल से अपनी बेचैनी और फीलिंग्स पर काबू पाते हुए मैंने उसको बैठने के लिए कहा। और फिर शुरू हुआ सवाल पूछने का सिलसिला। ना जाने इतने सवाल कहाँ से आ रहे थे मेरे दिमाग में ! मैं चाहता था की बस वो मेरे सामने यूँ ही बैठी रहे। और सवाल पूछते पूछते मैं अचानक ही उससे पूछ बैठा कि ,”मिस शगुन ! आर यू मैरिड ?” यह पूछते ही उसके चेहरे का रंग फ़ीका पड़ गया। फिर भी अपने चेहरे पर शान्ति बनाए रख वो बोली ,” सर ! आई रिसेंटली गोट डिवोर्सेड। ”
यह सुनने के बाद मैं अगले एक मिनट के लिए जड़वत हो गया। कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या कहूँ। खुद को सँभालते हुए मैं बोला ,”ओह ! सॉरी। मिस शगुन आपसे बात करके अच्छा लगा। इंटरव्यू का रिजल्ट जल्द ही आपको पता लग जाएगा। अगर आप इस जॉब के लिए सेलेक्ट हो गयीं तो मेरे असिस्टेंट पराग आपको इन्फॉर्म कर देंगे। ” वो उठ खड़ी हुई और “थैंक्यू सर ” कह कर निकल गई।
उसके जाने के बाद दिमाग ने थोड़ी देर के लिए काम करना बंद कर दिया। दिल यह मानने को तैयार नहीं था की कोई भला ऐसी खूबसूरत और मासूम लड़की को भी डाइवोर्स दे सकता है। वाक़ई में कोई महामूर्ख ही होगा वो। अगले कुछ घंटे बस उसी के बारे में सोचते सोचते निकल गए। तकरीबन चार बजे पराग ने दरवाज़े पर दस्तक दी।
अंदर आने के बाद वो बोला ,”सर ! कोई कैंडिडेट आपको सूटेबल लगी आज ? ”
मैं तपाक से बोल पड़ा की ,”हाँ ! मैंने शगुन को सेलेक्ट कर लिया है। तुम उसको इन्फॉर्म कर देना। ”
पराग ने हैरत भरी नज़रों से मेरी तरफ देखा और बोला कि ,”शगुन खन्ना ?”
तो मैंने कहा ,”हाँ ! लेकिन तुम इतने हैरान क्यूँ हो रहे हो ? कोई प्रॉब्लम है क्या उसमे ?”
तो इसपर उसने कहा ,”नहीं सर ! वो क्या है ना की आप अक्सर दो बार या तीन बार मिलने पर ही कैंडिडेट को फाइनल करते हैं पर आज तो आपने एक ही मीटिंग में कैंडिडेट फाइनल कर दी। इसलिए मुझे थोड़ी सी हैरानी हो रही है। ”
मैंने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा की ,”पराग ! कम बोला करो और काम पर ध्यान दो। उस लड़की को इन्फॉर्म कर देना। मैं चाहता हूँ की वो मंडे से ही हमें ज्वाइन कर ले। निकिता के अचानक रिजाइन करने से पहले ही काम का बहुत नुकसान हो चुका है। ”
पराग ने फिर हाँ में सिर हिलाया और चला गया। शाम को ७ बजे ऑफिस से निकलने से पहले पराग ने मुझे बताया की उसने शगुन को उसके सलेक्शन की खबर दे दी है और बता दिया है की आने वाले मंडे से उसकी जॉइनिंग है सो उसको ठीक ९ बजे ऑफिस आ जाना है। मन तो हुआ की पूछ लूँ कि वो ज्वाइन तो कर रही है ना पर फिर अगले ही पल यह एहसास हुआ की मेरी यह बेचैनी पराग के दिमाग में कहीं फ़िज़ूल के सवालों का पहाड़ ना खड़ा कर दे।
समझ ही नहीं आ रहा था की मैं क्या करूँ। घर आकर भी चैन नहीं था। किसी काम में मन नहीं लग रहा था। बस बार बार यही सोचे जा रहा था कि आखिर उसका डाइवोर्स हुआ क्यों होगा ? खैर इसी बेचैनी के साथ अगले दो दिन मैंने जैसे तैसे निकाल लिए। बहुत बेसब्री के साथ मैं मंडे का इंतज़ार करने लगा।
और जब मंडे आया तो मैं फिर अजीब सी कश्मकश में उलझ गया। सोचने लगा की ऑफिस जल्दी पहुँच जाऊँ या अपने रेगुलर टाइम से थोड़ा लेट जाऊँ ? क्या करूँ कुछ समझ नहीं आ रहा था। खैर १० बजे जब मैं ऑफिस पहुँचा तो ऑफिस में घुसते ही मेरी नज़रें चारों और शगुन को ढूँढने लगी। तभी मेरी नज़र पराग के डेस्क पर ठहर गयी। शगुन पराग के साथ थी। वो शायद उससे कुछ ज़रूरी जॉइनिंग पेपर्स पर दस्तखत करवा रहा था। यह देखकर तो मेरा मन एक छोटे बच्चे की तरह किलकारियाँ मारने लगा। मैं फटाफट अपने केबिन में घुसा और पराग को फ़ोन करके कहा की वो आज से ही शगुन को बेसिक ट्रेनिंग देना शुरू कर दे। टेक्निकल चीज़ें मैं समझा दूँगा।
पराग का डेस्क ठीक मेरे केबिन के सामने था। शगुन के लिए भी एक कुर्सी का इंतज़ाम वहीँ कर दिया गया था। पूरा दिन मेरी नज़रें उसी पर टिकी रहीं। शाम को जब घर जाने का वक़्त हुआ तो पराग उसके साथ मेरे केबिन में आया। मैंने दोनों को यह जताने की कोशिश कि सारा ही दिन मैं बहुत व्यस्त था और शगुन से मिलने का समय नहीं निकाल सका। पराग बोला ,”सर ! मैंने इसकी ट्रेनिंग शुरू कर दी है। परसों तक पूरी हो जाएगी। उसके बाद आप बाकि की ट्रेनिंग देख लीजिएगा। ”
मैंने बड़ी ही गंभीरता के साथ सिर हिलाया। फिर अपनी नज़रें अपने लैपटॉप से हटाए बिना मैं बोला ,”सो शगुन ! आपको काम समझ आ रहा है ना ? यह बड़ी ही ज़िम्मेदारी वाली पोजीशन है। गलती की कोई गुंजाइश नहीं है। कुछ ना समझ आए तो पराग से बेहिचक पूछें। ”
वो कुछ बोली नहीं। बस सहमति में अपना सिर हिलाया और चली गई।
पर उसकी इस ख़ामोशी ने जैसे मेरे अंदर और हलचल पैदा कर दी। मैं जैसे पागल सा हो रहा था। खैर अगले दो दिन में पराग ने उसकी बेसिक ट्रेनिंग पूरी कर दी। अब मेरी बारी थी उसको काम की तकनीकी बारीकियाँ समझाने की। अगले तीन दिन शगुन मेरे साथ होने वाली थी यह ख्याल ही मेरे अंदर एक अजीब सा रोमाँच पैदा कर रहा था।
दो दिन बाद जब मैंने उसकी ट्रेनिंग शुरू की तो मुझे पता चला की वो ब्यूटी विद ब्रेन का सफल उदहारण है। ट्रेनिंग के दौरान कई बार यह इच्छा हुई की उससे पूछूँ की आखिर तुम्हारा डाइवोर्स क्यों हुआ था लेकिन हर बार बस यही सोचकर रुक गया की यह निजी ज़िन्दगी से जुड़ा सवाल जिसका मुझसे या मेरे काम से कोई लेना देना नहीं है।
एक हफ्ते की ट्रेनिंग के बाद शगुन को उसके हिस्से का काम दे दिया गया था। पराग और मैंने उसको यह बात समझा दी थी की उसके पास खुद को साबित करने के लिए तीन महीने का समय है। अगर तीन महीनों में रिजल्ट नहीं मिला तो मजबूरन हमें उसको रिजाइन करने के लिए कहना पड़ेगा।
उसने भी यह बात घुट्टी की तरह घोल कर पी ली थी और अपना सारा ध्यान अपने काम पर केंद्रित कर दिया।
धीरे धीरे समय बीतता गया। तीन से छः महीने हुए और अब तो साल हो चला था। शगुन की परफॉरमेंस ना केवल लाजवाब थी बल्कि उसने कुछ और नए क्लाइंट्स कंपनी के साथ जोड़कर हमें बिज़नेस भी दिलवाना शुरू कर दिया था। उसका हौंसला बनाए रखने के लिए मैंने उसको एक छोटा सा सैलरी इन्क्रीमेंट भी दिया और इसके बाद तो जैसे ऑफिस में एक लहर सी दौड़ गयी थी। मेरा हर एक मुलाज़िम अब अपना २००% देना चाहता था। शगुन की परफॉरमेंस ने उनसब के अंदर एक कॉम्पिटिटिव स्पिरिट जगा दी थी।
ऑफिस का माहौल बड़ा ही बदला बदला सा रहने लगा था। बस कुछ नहीं बदला था तो वो थी उसकी ख़ामोशी। वो आज भी ज़्यादा बात नहीं करती थी। अपने काम में ही खोयी रहती थी। पर इस सब के बावजूद वो मेरे दिल में अपने लिए जगह पक्की कर चुकी थी। मैं उसे अपनी जीवनसंगिनी बनाने के ख्वाब बुनने लगा था। बस मौका ढूंढ रहा था की कब मैं उससे अपने दिल की बात कह सकूँ।
और वो मौका भी मुझे जल्दी ही मिला। मेरा जन्मदिन था और सब एम्प्लाइज ने मिलकर मेरे लिए एक छोटी सी सरप्राइज पार्टी ऑफिस में ही रखी थी। हम सबने ने बहुत एन्जॉय किया। पार्टी की वजह से सब एम्प्लाइज लेट हो गए थे। मैंने शगुन को कहा की ,”काफी देर हो चुकी है। इस समय तुम्हारा अकेले जाना ठीक नहीं है। आज मैं तुम्हे घर छोड़ देता हूँ। ”
एक मिनट चुप रहकर उसने सहमति में सिर हिला दिया। मैं मन ही मन बहुत खुश हो रहा था की चलो आज मैं अपने प्यार का इज़हार शगुन से कर पाऊँगा।
अगले दस मिनट में मैं और वो मेरी गाड़ी में थे। वो हमेशा की तरह ही शांत बैठी थी। मैंने ट्रैफिक का बहाना बना कर जानबूझ कर लंबा रूट लिया ताकि मैं उससे अपने दिल की बात कह सकूँ। हमें चले हुए तकरीबन बीस मिनट हो चुके थे।
ख़ामोशी को तोड़ते हुए मैं बोला ,”शगुन ! मैं तुमसे कुछ बात करना चाहता हूँ। ”
तो उसने अपनी गर्दन मेरी तरफ घुमायी और बोली कि ,”कहिए सर ! किसी क्लाइंट से रिलेटिड है क्या ?”
और ना जाने अगले ही पल मुझमे अचानक से ही इतनी हिम्मत कहाँ से आ गयी और मैं सीधा उससे कह बैठा की ,”शगुन ! मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ। ”
यह सुनकर बड़ी ही स्थिरता के साथ वो बोली की ,”सर ! प्लीज गाड़ी रोकिए। ”
मुझे लगा की वो बुरा मान गयी और रास्ते में ही उतरना चाहती है सो मैंने गाड़ी नहीं रोकी। उसने फिर आग्रह किया गाड़ी रोकने के लिए और बोली ,”सर ! आपने आज अपने दिल की बात मुझसे कही है तो मेरा भी यह फ़र्ज़ बनता है की मैं भी आपको मेरे जीवन के कुछ अहम सच बताऊँ।” और फिर एक कॉफ़ी शॉप के पास मैंने गाड़ी रोकी।
आज उसके बोलने का दिन था और मेरे सुनने का। वो बोली ,” सर ! मेरी शादी एक डॉक्टर से हुई थी लेकिन दुर्भाग्यवश उस इंसान की ज़िन्दगी में पहले से ही कोई लड़की थी जिसका खुलासा वो कभी अपने घरवालों से नहीं कर पाया था और वो ऐसा क्यों नहीं कर पाया मुझे नहीं पता और ना ही अब जानने की इच्छा है । मैं शादी करके ख़ुशी ख़ुशी अपने ससुराल आ गयी थी लेकिन मेरी ख़ुशी सिर्फ कुछ घंटों की थी। शादी की अगली सुबह सबकी नींद खुलने से पहले मेरा वो सो कॉल्ड पति अपनी प्रेमिका के साथ घर छोड़ कर जा चुका था। अपनी इस हरक़त की खबर उसने खुद फ़ोन करके अपने घर पर दी। दोनों ही घरों में हाहाकार मच गया। इस सब तमाशे के बाद मैं सब रिश्तेदारों की नज़रों में उसके लिए गुस्सा और अपने लिए दया देखती। लेकिन मेरे ससुर जी ने मुझ पर बेचारी का टैग नहीं लगने दिया और मुझे अपनी ज़िम्मेदारी मान कर अपने ही बेटे से मेरा डाइवोर्स करवा दिया। मैं उस घर में बहु बन कर आई थी लेकिन अब बेटी बन कर रहती हूँ। मेरे एक्स हस्बैंड के लिए उस घर के दरवाज़े हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं। ”
“सर ! आप बहुत अच्छे इंसान हैं। आप से शादी करके कोई भी लड़की अपनी किस्मत पर नाज़ करेगी लेकिन मैं वो लड़की नहीं हूँ। मेरे ऊपर मेरे उन माँ-बाप की ज़िम्मेदारी है जिनके बेटे ने सारे समाज के सामने उनका सिर शर्म से झुकवा दिया। हालाँकि वो लोग भी मेरी दूसरी शादी करवाना चाहते हैं लेकिन मेरा मन मुझे इसकी इज़ाज़त नहीं देता और मेरे आत्म-सम्मान को जो चोट पहुँची है उससे मैं अभी भी उभर ही रही हूँ। मैं जानती हूँ की मेरा यह जवाब आपको चोट पहुँचाएगा लेकिन सच यही है की मैं किसी बंधन में बंधने को फिलहाल तैयार नहीं हूँ। आगे भी कभी हो पाऊँगी या नहीं पता नहीं तो बेहतर होगा की आप मेरा ख्याल अपने दिल से निकाल दें। ”
मैं टकटकी लगा कर उसकी तरफ देखता ही जा रहा था की तभी वो फिर बोली ,”सर ! प्लीज गाड़ी स्टार्ट कीजिये। काफी लेट हो गया है। घर पर मम्मी पापा परेशान हो रहे होंगे। ” मैंने गाड़ी स्टार्ट की और उसके घर की और चल पड़े।
अगले दिन जब मैं ऑफिस पहुंचा तो सब पहले की ही तरह था। वो अपने काम में खोयी हुई थी। कल रात की बातचीत के बाद आज मेरा मन भी बहुत शांत था। उसको अपने दिल से निकाल पाऊँगा या नहीं यह तो पता नहीं लेकिन मेरे दिल में उसके लिए इज़्ज़त ज़रूर बढ़ गई थी। और अब शायद मेरी नज़रें सारा दिन उसको नहीं खोजेंगी।
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