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Who was he?

Published by payalguptaa in category Hindi | Hindi Story | Love and Romance with tag Dream | office | relation

Sometimes in our life suddenly someone will enter and change the direction of  the life. These incidents teaches us few important lessons of life.

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Hindi Story – Who was he?
Photo credit: cohdra from morguefile.com

जीवन बहते सागर की तरह है .  न जाने कितने ही लोग आपके जीवन में सागर की लहरों की तरह आपको कभी तो क्षितिज की और ले जाते हैं और कुछ आपको फिर ज़मीन पर ला पटकते हैं . और कुछ तो ऐसे होते हैं जो आपको ज़िन्दगी के उस पहलु से आपका सामना करवाते हैं जिससे शायद हम कभी आँखें चार करना नहीं चाहते . लेकिन यह लोग आपको अपनी कमजोरियों से लड़ना ज़रूर सिखा जाते हैं और एक सवाल हमेशा के लिए छोड़ जाते हैं की आखिर वो थे कौन और किस मकसद से हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा बने थे .

मेरी यह कहानी मेरे ही जीवन के उस पहलु का एक छोटा सा हिस्सा है जो की हमेशा की लिए एक नासूर बन के मेरे दिल में रह गया है .  पर उसके जाने के बाद मैंने बहुत हिम्मत के साथ उन हालातों का सामना किया . यह बात है सन २००८ की जब मैं एक जानी मानी कंपनी में वरिष्ट प्रभंधक के तौर पर काम किया करती थी . एक सुबह काम के सिलसिले में उसका मेरे दफ्तर में आना हुआ और फिर ना जाने कब वह  मेरे दिल में  और मेरे जीवन में अपने आप ही रमता चला गया . पहले हम दोस्त बने और उसके बाद  एक  दूसरे का जीवन साथी बनने का निश्चय कर लिया . सब कुछ एक सुन्दर सपने की तरह चल रहा था की अचानक हमारे रिश्ते में प्यार और सम्मान की जगह गलतफमी और आरोपों ने ले ली .  यह सब इतनी जल्दी  हुआ की आज भी जब इस सब के बारे में सोचती हूँ तो इच्छा होती है की उसको झकझोर कर पूछूं की तुमने मेरे साथ ऐसा क्यूँ किया .

और फिर एक दिन अचानक वही हुआ जिसका सामना करने से मैं घबरा रही थी . एक छोटी से गलतफमी के चलते हमारे रिश्ते की असमय ही मौत हो गयी .  न कुछ कहने  का मौका मिला और  न ही कुछ समझने का .  दो महीने के अंतराल के बाद मुझे पता चला की उसके जीवन में कोई ऐसा आ गया था जो की उसकी सभी इच्छाओं को पूरा कर सकता था . फिर चाहे वो विदेश में बसने का सपना हो या फिर अपनी ही कंपनी में ऊंचा पद पाने की इच्छा .

मेरे सपनों को अपने पैरों तले कुचलने के बाद उसने विदेश में अपनी नयी दुनिया बसा ली.मेरे पास कुछ बचा था तो वो थी मेरी हिम्मत जिस वजह से मैं उस स्तिथि का सामना कर पाई और अपने जीवन की नाव को एक नयी दिशा में मोड़ दिया .

पर आज भी एक ही सवाल मुझे कचोटता है की वोह आखिर था कौन .  क्या मैं उसको उन दो महीनों में समझ पायी या उसको जान भी पायी . या फिर वोह मेरे जीवन में सिर्फ इसलिए आया था की मैं अपनी खोई हुई हिम्मत को दोबारा से इक्कठा कर जीवन के इस दर्दनाक सच का सामना कर सकूं ? यह सवाल तो सवाल ही रह गया और शायद आँखें बंद होने तक इसका जवाब एक रहस्य ही रहेगा.

***

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