• Home
  • About Us
  • Contact Us
  • FAQ
  • Testimonials

Your Story Club

Read, Write & Publish Short Stories

  • Read All
  • Editor’s Choice
  • Story Archive
  • Discussion
You are here: Home / Hindi / Hindi Story / The Fate of Love – Love Short Story in Hindi

The Fate of Love – Love Short Story in Hindi

Published by g.s in category Hindi Story | Love and Romance with tag Love | marriage | Mother | pain | relationship

Love Short Story in Hindi

Love Short Story in Hindi – The Fate of Love
Photo credit: solrac_gi_2nd from morguefile.com

hello …..hello….aunty ??

कुछ पता चला क्या ????

नहीं…. सब दोस्तों को फ़ोन करके पूछ लिया पर किसी को कुछ नहीं पता.

क्या करूँ कुछ समझ नहीं आ रहा???

आप चिंता मत करो मैं देखता हूँ…कुछ पता चलते ही आपको इन्फोर्म करूँगा.

रात के 12 बजने को थे. और उसका कुछ पता नहीं था. माँ की दिल की धड़कने बढती ही जा रही थी. उन्हें समझ नहीं आ रहा था की उसको कहाँ ढूढे??…क्या करे??…आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ के बिना बताये वो घर से इतनी देर तक बाहर रही हो. उसका फ़ोन भी स्विच ऑफ जा रहा था, की तभी एक फ़ोन landline पर आया,

“आपकी बेटी का accident हो गया है और वो सिटी हॉस्पिटल में admit है”. plz, come soon… “she’s in a very serious condition”.

खबर सुनते ही माँ का दिल बैठा जा रहा था. माँ की आँखों के सामने वक़्त फिर एक बार किताब के पन्नो की तरह पलटता चला जा रहा था .

“स्नेहा” उनकी एकलौती, प्यारी-सी, लाडली बेटी, जो हर वक़्त अपने में मस्त रहती, प्यार-इशक जैसे शब्द उसके लिए कभी थे ही नहीं. gf – bf जैसी relationship में उसका कभी विश्वास ही न था. उसे लगता ये सब तो स्कूल-कॉलेज में पढने वाले बच्चो के लिए है, जहाँ कुछ दिन की दोस्ती और attraction को वो love /relationship का नाम दे देते हैं और वो उम्र के उस पड़ाव को कब का पार कर चुकी है , उसे विश्वास था तो बस उस रिश्ते पर जो प्यार-भरोसे की नींव पर बना हो और जिस रिश्ते को दोनों परिवार की स्वीकृति के साथ-साथ प्यार और आशीर्वाद दोनों मिले. स्नेहा के मन में शायद एक बात यह भी थी की जिसे वो चुने उसे उन दोनों के परिवार से मान्यता न मिली तो ज़िन्दगी भर एक कांटा सा मन में चुभता रहेगा. इसलिए हमेशा अपने को इनसब से दूर ही रखने की कोशिश करती रही. पर किसी ने सच ही कहा है, दिल पर किसी का बस नहीं चलता. प्यार तो बस हो जाता है, सो उसे भी हो गया.

हर रात की तरह उस रात भी ‘स्नेहा’ सोने से पहले दिन-भर की आई mails check कर ही रही थी की, तभी उसकी नज़र एक msg पर पड़ी न जाने क्या सोच उसने उस msg का reply कर दिया, वहां से फिर msg आया और ऐसे ही chat पर बातों का सिलसिला आगे बढ़ने लगा. कुछ minutes की जान-पहचान में ही वो अजनबी उसे अपना सा लगने लगा. उसका मन किया की ये बातों का सिलसिला बस ऐसे ही चलता रहे. फिर दोबारा chat पर मिलने के वादे के साथ दोनों ने एक-दुसरे को उस रात अलविदा कहा.

अगले दिन किसी भी काम में उसका जैसे मन ही नहीं लग रहा था, रह-रह कर उसे उस अजनबी की बाते याद आ रही थी. वक़्त जैसे कटने का नाम ही नहीं ले रहा था. फिर देर रात वो उसे फिर chat पर मिला और बातों का दौर फिर शुरू हो गया. एक-दुसरे की पसंद न पसंद, शादी को लेकर एक-दुसरे की सोच को लेकर बाते होती रही. धीरे- धीरे ‘स्नेहा’ के मन को वो भाता जा रहा था. अब हर वक़्त उसके मन में यही सवाल उठता क्या वो भी मुझे पसंद करता है या बस और लडको की तरह टाइमपास कर रहा है. स्नेहा को अंदाज़ा तो होने लगा था की बात अब और आगे बढती जा रही है. अब हर वक़्त वो उसी के ख्यालों में खोई रहती. वो एक ऐसे इंसान को चाहने लगी थी, जिसे उसने अभी सिर्फ एक फोटो में ही देखा था. पर जो एहसास उस के मन में पलने लगा था वो इनसब से ऊपर हो चला था.

शक्ल-सूरत से ज्यादा उसे ‘पंकज’ की बातों से प्यार हो चला था और उससे भी ज्यादा शायद वो विश्वास ही था जो स्नेहा को “पंकज” के करीब कर चला था . घरवाले अभी भी भले ही उसे छोटी बच्ची की तरह लाड-प्यार करते हो पर फिर भी 28 साल की उम्र में दुनिया की नज़र में कोई बच्चा नहीं रह जाता. उम्र के इस पड़ाव में एक साथी की जरुरत हर कोई महसूस करने लगता है, उसका भी मन करता की कोई हो जो सिर्फ उसे चाहे, जिस पर वो अपने से भी ज्यादा भरोसा कर सके. ‘पंकज’ में उसे वो सब नज़र आने लगा था , पर अभी भी मन में एक डर सा था की क्या पंकज भी इस रिश्ते को कोई नाम देना स्वीकार करेगा या बस दोस्ती तक ही ये रिश्ता सिमित रह जायेगा .

एक दिन बातों-बातों में पंकज ने स्नेहा से पुछा क्या हम मिल सकते है. स्नेहा को पहले तो थोडा बुरा लगा की कुछ दिन की जान -पहचान में ही मिलने की बात? कंही ये भी तो उन्ही लडको में से तो नहीं जो बस घूम-फिर लिए और कुछ दिन बाद सब खत्म. अभी ये सब बाते स्नेहा के मन में चल ही रही थी, की पंकज ने उसे बोल ही दिया की कंही तुम्हे कुछ बुरा तो नहीं लगा मेरे मिलने की बात को लेकर? स्नेहा ने बात को टालना ही बेहतर समझा और सोच के बताउंगी कह कर बात पलट दी. वैसे तो ‘स्नेहा’ अब तक सारे फैंसले खुद ही करती आई थी और घर वालो ने भी शादी को लेकर सब उसी पर छोड़ रखा था, फिर भी उसे लगा की माँ को सब बता देना चाहिए और ये भी की वो ‘पंकज’ को पसंद करने लगी है.

‘स्नेहा’ की बात सुन पहले तो माँ थोड़ी खुश सी हुई, पर फिर मिलने की बात सुन वो भी थोड़ी घबरा सी गयी की कंही उनकी बेटी को कोई धोखा न हो जाये. पर ‘स्नेहा’ पर और ‘स्नेहा’ के ‘पंकज’ पर अटूट विश्वास को देख माँ ने उसे मिलने को हाँ कह दी. दोनों ने मिलने की जगह और दिन तय किया और जल्द ही वो दिन भी आ गया. उस दिन स्नेहा का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, आज उसकी ज़िन्दगी के एक बड़े फैंसले का दिन था. आज इस रिश्ते को एक नया आयाम मिलेगा, बस यही विचार उसके मन में चल ही रहे थे की उसका स्टेशन आ गया. मेट्रो-स्टेशन जंहा से हजारो लोग अपनी-अपनी मंजिल के सफ़र पर रोज़ निकलते हैं, वंही अनजाने में ‘स्नेहा’ और ‘पंकज’ ने भी अपनी ज़िन्दगी के सफ़र को एक नयी मंजिल दे दी.

दोनों एक दुसरे से मिलकर बहुत खुश थे. ‘स्नेहा’ ने ‘पंकज’ से पुछा भले ही न हो, पर पंकज के चेहरे की ख़ुशी उसे साफ़ नज़र आ रही थी. दोनों ने काफी बातें की और फिर ‘पंकज’ के जाने का वक़्त हो चला. मन तो दोनों का ही नहीं था अलग होने का पर, वक़्त पर किसका जोर चला है जो उनका चलता और पंकज वापिस अपने शहर “जयपुर” के लिए रवाना हो गया. ‘स्नेहा’ भी सारे रास्ते ‘पंकज’ से हुई मुलाकात के बारे में ही सोचती रही. घर लौटी तो माँ को उससे कुछ कहने या पूछने की जरुरत ही नहीं रही, ‘स्नेहा’ की नज़रों और चेहरे पर वो ख़ुशी माँ को साफ़-साफ़ दिख रही थी, जो आज से पहले माँ ने शादी के नाम को लेकर ‘स्नेहा’ के चहरे पर कभी नहीं देखी थी.

जिस उम्र में लड़कियां शादी की बात सुनकर ही शर्माने लगती, नए जीवन साथी के ज़िन्दगी में आने की बात से ही उनका चेहरा खिल उठता, वंही उसके विपरीत स्नेहा के स्वाभाव में चिडचिडापन माँ हमेशा से महसूस करती. पर आज ‘स्नेहा’ की माँ अपनी बेटी को खुश देख हैरान होने के साथ ही काफी खुश भी थी, की चलो आज मेरी बेटी के जीवन में भी इस ख़ुशी ने दस्तक दे ही दी. ‘स्नेहा’ ने अपने और ‘पंकज’ के शादी के फैसले को लेकर सारी बात घरवालो को ज़ाहिर कर दी. अब बस कमी थी तो दोनों परिवारों के मिलने और शादी की बात को पक्का करने की. ‘स्नेहा’ इस नए रिश्ते को ले नए नए सपने संजोने लगी, जिनमें ‘पंकज’ का प्यार और स्वीकृति दोनों ही शामिल थे. दोनों अपने भविष्य को लेकर घंटो बातें करते. हर रिश्ते की तरह जहाँ इस रिश्ते में विश्वास और प्यार था वहीँ बच्चो की तरह रूठना-मनाना, तकरार भी चलता रहता. ‘स्नेहा’ का मानना था की हर रिश्ते में थोड़ी freedom और space जरुरी है, रिश्ते तो रेत की तरह है जितना मुट्ठी को tight करोगे वो हाथ से फिसलते चले जायेंगे. इसलिए न तो वो हर वक़्त ‘पंकज’ को फ़ोन काल्स करती न उसे ही करने को कहती. उसे तो इंतज़ार रहता तो बस रात का जब ‘पंकज’ का पूरा वक़्त बस उसी के लिए होता.

‘स्नेहा’ के भाई इस रिश्ते को लेकर ज्यादा खुश नहीं थे क्योंकि उन्हें भी सब की तरह यही डर था की कंही ‘पंकज’ सपने दिखा के उनकी बहिन का दिल न तोड़ दे. उनका मानना था की शादी जैसे रिश्ते इस तरह ऑनलाइन chat पर नहीं बनते. पर ‘स्नेहा’ की ख़ुशी को देख वो भी कुछ समय के लिए चुप हो गए. बातों और मुलाकातों का सिलसिला पहले की तरह ही चलता रहा. ‘स्नेहा’ अपने घरवालो की मन की बात को समझती तो थी पर कभी साफ़ तौर पर ‘पंकज’ से कह न पाई, की कंही ‘पंकज’ उसे गलत न समझले. वो अक्सर ‘पंकज’ को कहती की उसकी तरह वो भी अपने घरवालो को उनके रिश्ते के बारे में बता दे, तो ‘पंकज’ हंस कर उसे चिढाने के लिए कहता की बड़ी जल्दी है, तुम्हे शादी की. ‘स्नेहा’ भी चीड कर कह देती नहीं करनी तो बोल दो, बहुत लड़के हैं लाइन में रिश्ते के लिए और ऐसा कहकर ‘पंकज’ को झूठ-मूठ का गुस्सा दिखाने लगती, पंकज भी बडे प्यार से उसे हमेशा की तरह मना लेता. ऐसे ही हंसी-ख़ुशी, प्यार भरी तकरार में 8 महीने कब बीत गए पता ही नहीं चला.

पर न जाने कब इस रिश्ते को किसी की नज़र लग गयी. ‘पंकज’ जो की एक businessman था, उसे अचानक लाखो का नुक्सान उठाना पड़ गया, जिसे पूरा करने के लिए उसे बैंक से लोन लेना पड़ा. और उसने फिरसे बिज़नस की शुरुआत की. ‘स्नेहा’ ने पंकज के अच्छे-बुरे हर वक़्त में साथ देने का जो वादा किया वो उसी पर रही, हर हाल में पंकज पे भरोसा, प्यार और support बनाये रखा. पर बात अब पहले जैसी नहीं रही. ‘पंकज’ का सारा वक़्त अब अपने बिज़नस फिर से सेट करने में निकल जाता. ‘स्नेहा’ फिर भी रोज़ रात उसका इंतज़ार कर निराश हो सो जाती. धीरे-धीरे ‘पंकज’ अपने बिज़नस में इतना खो गया की ‘स्नेहा’ अपने को अकेला- सा महसूस करने लगी. उसकी रातो की नींद भी अब उडती जा रही थी. जब ‘स्नेहा’ के घर वालो को ‘पंकज’ की तरफ से रिश्ते को लेकर कोई पहेल होती नहीं दिखाई दी तो उन्होंने ‘स्नेहा ‘ को उससे शादी की बात करने को कहा. पर ‘स्नेहा’ जानती थी, की ‘पंकज’ अब इस position में नहीं है की अभी वो शादी की बात भी कर सके. घरवालो की तरह शायद ‘स्नेहा’ के मन में भी एक डर घर करने लगा था, की कंही पैसों की परेशानी इस रिश्ते के अंत का कारण न बन जाये.

जहाँ ‘पंकज’ को पहले ही कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था, वंही ‘स्नेहा’ अपनी फॅमिली की ओर से शादी का दबाव बनते देख डर कर ‘पंकज’ को कई बार शादी की बात कहने लगी. ‘पंकज’ धीरे-धीरे स्नेहा पर irritate होने लगा. उनके रिश्ते में gap आने लगा, बातों का सिलसिला भी थम सा गया. ‘स्नेहा’ के भाई अब इस रिश्ते के लिए और इंतज़ार नहीं करना चाहते थे व् उन्होंने ‘स्नेहा’ के लिए एक-दो रिश्ते देखने शुरू कर दिए. वंही ‘स्नेहा’ के मन का डर दिन -ब-दिन गहराता चला जा रहा था . पर फिर भी उसने घरवालो से यही कहा की उसे विश्वास है, की चाहे कुछ भी हो जाये ‘पंकज’ उसे धोखा नहीं देगा ओर वो शादी सिर्फ उसी से करेगी.

‘पंकज’ बैंक से लिए लोन और बिज़नस की न चलने की स्थिति में ‘स्नेहा’ को अपनी उन सब प्रोब्लेम्स में involve नहीं करना चाहता था, जिन्हें वो ख़ुद झेल रहा था. ‘पंकज’ को करीब एक महीने बाद ऑनलाइन देख ‘स्नेहा’ बहुत खुश हुई, अभी बातें शुरू ही हुई थी की ‘पंकज’ ने ‘स्नेहा’ से कहा की अब वो इस relationship को यंही खत्म कर देना चाहता है. वो नहीं चाहता की ‘स्नेहा’ उसके इंतज़ार में बैठी रहे. ‘स्नेहा’ के लाख समझाने के बावजूद की वक़्त और हालत हमेशा किसी के एक जैसे नहीं रहते और सब पहले की तरह ठीक हो जायेगा, पर फिर भी अपनी बात कह ‘पंकज’ ऑफलाइन हो गया.

‘स्नेहा’ को समझ नहीं आ रहा था की, वो क्या करे, कैसे इस रिश्ते को इस तरह खत्म होने से रोके. एक होने के जिस सपने को पिछले 11 महीनो से जी रही थी, वो इस तरह टूट जायेगा, शायद ये उसने कभी सोचा ही न था. क्या करे जो सब पहले की तरह ठीक हो जाये, फिर से वो प्यार-भरी रातें उसके जीवन में लोट आये बस यही सब उसके मन में हर वक़्त चलता रहता. जिस डर को वो इतने महीनो से मन में छिपाए थी, वो एक दिन इस तरह सच हो जायेगा इसकी उसने कभी कल्पना भी न की थी . ‘पंकज’ तो ये कह चला गया की अब सब खत्म पर ‘स्नेहा’ उसी राह पर खड़ी रह गयी, जहा ‘पंकज’ ने बीच राह में उसका साथ छोड़ दिया. घरवालो की नज़रों का सामना अब ‘स्नेहा’ को अकेले ही करना था . हर वक़्त उसे ऐसा लगता जैसे सब उसका मजाक-सा उड़ा रहे है. घरवालो की काफी बातें सुनकर भी वो चुप ही रही. पर फिर भी न जाने क्यूँ उसे ऐसा लगता की शायद कभी ‘पंकज’ को ये एहसास हो जाये की वो अब उसके बिना नहीं रह सकती और उसका उससे इस तरह दूर होना पल-पल ‘स्नेहा’ को अन्दर ही अन्दर मार रहा है.

‘स्नेहा’ की जिन काजल भरी आँखों से कभी ‘पंकज’ को बेहद प्यार था, आज उनमें उसके लिए इंतज़ार, दर्द और आंसू भरे रहते . ‘पंकज’ की ‘स्नेहा’ के प्रति बढती बेरुखी अब उसके लिए सहना कठिन होता जा रहा था. ‘स्नेहा’ इस बात से अनजान न थी की ‘पंकज’ ये सब उसे अपने से दूर करने के लिए ही कर रहा था. दोनों एक दूसरे को चाहते हुए भी बिछड़ने को मजबूर थे. समय बीतने के साथ ‘स्नेहा’ का दर्द कम होने की जगह बढता ही जा रहा था. घरवालो ने ‘स्नेहा’ की मर्ज़ी के खिलाफ उसके लिए एक अच्छा लड़का देख रिश्ता पक्का कर दिया. पर ‘स्नेहा’ के दिल में अब भी ‘पंकज’ ही बसा था. उसके मन में अपने को खत्म करने के विचार आने लगे, पर वो ये भी समझती थी की जवान लड़की का मरना भी इतना आसन नहीं है. उसके किसी भी गलत कदम की सजा उसके परिवार को भी भुगतनी पड़ेगी.

फिर एक दिन ‘स्नेहा’ जब काफी देर तक घर न लौटी तो घरवालो को चिंता होने लगी, फ़ोन पर पता चला की ‘स्नेहा’ हॉस्पिटल में है और जब तक सारा परिवार हॉस्पिटल पहुंचा, तब तक ‘स्नेहा’ सब को छोड़ इस दुनिया से जा चुकी थी. माँ को अपने कानो पर जैसे विश्वास ही नहीं हो रहा था की अब उनकी लाडली बेटी इस दुनिया में नहीं रही. ‘स्नेहा’ की मौत को जहाँ सब एक्सिडेंट समझ रहे थे, वहीँ माँ का दिल अच्छे से जनता था की ये एक्सिडेंट नहीं है, उसने जान कर अपने को खत्म कर कर दिया. वो उसका प्यार ही था, जो आज उसकी मौत का कारण बन बैठा. प्यार जहाँ लोगो की किस्मत में खुशियाँ भर देता है, वन्ही आज उसी प्यार ने उनकी बेटी को उनसे हमेशा के लिए जुदा कर दिया……
__END__

Read more like this: by Author g.s in category Hindi Story | Love and Romance with tag Love | marriage | Mother | pain | relationship

Story Categories

  • Book Review
  • Childhood and Kids
  • Editor's Choice
  • Editorial
  • Family
  • Featured Stories
  • Friends
  • Funny and Hilarious
  • Hindi
  • Inspirational
  • Kids' Bedtime
  • Love and Romance
  • Paranormal Experience
  • Poetry
  • School and College
  • Science Fiction
  • Social and Moral
  • Suspense and Thriller
  • Travel

Author’s Area

  • Where is dashboard?
  • Terms of Service
  • Privacy Policy
  • Contact Us

How To

  • Write short story
  • Change name
  • Change password
  • Add profile image

Story Contests

  • Love Letter Contest
  • Creative Writing
  • Story from Picture
  • Love Story Contest

Featured

  • Featured Stories
  • Editor’s Choice
  • Selected Stories
  • Kids’ Bedtime

Hindi

  • Hindi Story
  • Hindi Poetry
  • Hindi Article
  • Write in Hindi

Contact Us

admin AT yourstoryclub DOT com

Facebook | Twitter | Tumblr | Linkedin | Youtube