रूपेश सरल स्वभाव का व्यक्ति है। वह गोरा -चिट्टा , घने काले बाल ,लम्बी नाक ,गोल चेहरा मिला -जुलाकर अच्छा दीखता है। वह एक प्राइवेट निजी क्लिनिक में सुबह 9 बजे से शाम के छः बजे तक कार्य करता है। कभी -कभी लेट नाईट ऑन ड्यूटी पर रहता है। एक दिन उसकी ड्यूटी रात के 9 बजे तक थी। उसके एक करीबी दोस्त के घर आज बैचलर पार्टी राखी गयी थी। उसे भी पार्टी में आने का निमंत्रण दिया गया था। आज वह जल्दी -जल्दी कार्यों को निपटाने में लगा था। उसे भी पार्टी में सम्मिलित होने की ख़ुशी उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी। आखिर क्यों न हो ?परिवार से दूर कभी -कभी तो सारे दोस्तों से मिलकर खुलकर एन्जॉय करने का मौका मिलता है। बाकि दिन तो वर्क लोड का प्रेशर होता है। अपने लिए फुर्सत ही कहाँ होती है।
उसने अपनी बाइक पार्किंग से निकाली और फर्राटे भरते हुए मुस्किल से 10 मिनट के अंदर अपने दोस्त के घर पहुंच गया। दोस्त के घर पार्टी की महफ़िल जम चुकी थी। घर की सारी चीजें व्य्वस्थित ढंग से सजी थी। एक बड़े से टेबल पर वाइन ,विसकी,रम,वोडका ,सोडा ,सॉफ्ट ड्रिंक की बोतलें बड़ी नजाकत से सजाकर रखी गयी थी। खाने के आइटम्स रेस्टुरेन्ट से आर्डर किये गए थे। धीमी आवाज में संगीत बज रहा था। सारे दोस्तों ने कार्ड् खेले। खेलने के दौरान मनपसंद ड्रिंक लिए जा रहे थे। साथ -साथ बातों का दौर चल रहा था। कभी हसी -मजाक की बातें तो कभी गरमा -गरम फ़िल्मी दुनिया की बातें ,तो कभी न्यूज़ पेपर की हेडलाइंस पर जोरदार बहस छिड़ी दिखी। उसके बाद सभी ने खाने का लुत्फ़ उठया ,फिर नाच -गाने का दौर चला। पार्टी एन्जॉय करते कब रात के 12 बज गए किसी को पता भी न चला। एक दोस्त ने अपनी घड़ी में टाइम देखा तो वह चौक पड़ा। यार बहुत लेट हो गए घर चलना चाहिए। सभी ने एक -दूसरे से विदाई ली। रूपेश ने अपनी बाइक निकाली अपने घर जाने के लिए,
वह अभी थोड़ी दूर ही चला था की एक जगह पर रास्ता सुनसान ,वहां पर रोशनी भी नहीं थी ,दोनों ओर घने जंगल दूर -दूर तक कोई नहीं दिख रहा था ,हवा भी बहुत तेज चल रही थी ,हवाओं का सायं -सायं ध्वनि मानो मौन में चित्कार कर रही थी। अजीब -अजीब सी जंगल से आवाजे आ रही थी। कुत्ते -बिल्लियों की झगड़ने की आवाजें आ रही थी। रूपेश भी एक पल को सहम गया। रास्ते पर बिखरे पत्ते चारो ओर खड़ -खड़ा हट पैदा कर रहे थे। पूरा वातावरण भूतिया लग रहा था। उसे सामने से हवाओं में अपने हाथों को लहरता अजीब सी डरावनी हसी हसता कोई सामने से चला आ रहा था। वह अंदर से डरा हुआ था।
जब वह वयक्ति करीब आया तो उसने देखा एक वयक्ति नशे में धुत अपनी धुन में चला जा रहा है। इन सभी दृश्यों को अपनी बाइक से देखते हुए उह अपने घर की ओर जा रहा था। की तभी मानो उसके कानो ने कुछ ऐसा सुना जिस पे उसे विश्वास नहीं हो रहा था। तभी फिर से वही ध्वनि उसके कानो में पड़ी। आस -पास कोई नहीं दिख रहा था। अँधेरी रात थी। थोड़ी ही दूर पे एक लड़की उसकी गाड़ी के सामने भागी आ रही है। उसने बाइक रोकी ही थी की सामने से कुछ गुंडे उस लड़की को ले जाने लगे। वह लड़की गुहार लगा रही थी की मुझे छोड़ दो। सभी उस पर क्रूर हसी हस रहे थे। उस लड़की के तन के कपडे जगह -जगह से फाड़े गए थे। रूपेश को माजरा समझ में नहीं आ रहा था। समझ में आया तो सिर्फ ये की एक लड़की इस वक्त मुसीबत में है। एक पल को हुआ की कौन खतरा मोल ले फिर दिल में आवाज आई कैसे इस लड़की को इन भूखे शेरों के हवाले कर दूँ।
रूपेश उन गुंडों से बोला -इस मासूम सी लड़की को तुमलोग क्यों छेड़ रहे हो? उन गुंडों में से एक ने बोला ये हमारा निजी मामला है। तुम इससे दूर हीं रहो तो तुम्हारे लिए अच्छा है। रूपेश बोला -एक लड़की को बीच सड़क पर सारे मिलकर छेड़ रहे हो और बोलते हो निजी मामला है। सारे गुंडे उस लड़की को छोड़ रूपेश पर टूट पड़े। रूपेश को बेतहाशा पीटा जा रहा था ,जगह -जगह से खून निकल रहे थे फिर भी रूपेश हार नहीं मान रहा था। कुछ गुंडों ने रूपेश को पकड़ रखा था एक गुंडा रूपेश के सर पर तेज धारदार हथियार से वार करने हीं वाला था की सामने से एक कार आती दिखाई दी। सारे गुंडे उनदोनो को छोड़ भाग गए। रूपेश ने अपने -आप को सम्भाला फिर अपनी बाइक स्टार्ट की और उस लड़की को जल्दी से बैठने को कहा। उसने गाड़ी की रफ़्तार तेज कर दी ,ताकि गुंडे पीछा न कर सकें।
गाड़ी चलाने के दौरान वो लड़की एकदम शांत बैठी थी। आपका नाम क्या है ?लड़की बोली -रूही।
रूपेश -मैं आपको कहाँ छोड़ दूँ।
लड़की बोली -जहां आपकी मर्जी।
रूपेश समझ नहीं पाया की तभी थोड़ी दूर झुग्गी -झोपडी वाली एक बस्ती के पास वह लड़की रोकने का इशारा करती है। रूपेश उसे वहीं छोड़ अपने घर चला जाता है। वह रात को अपने बिस्तर पर सोने की कोशिश में लगा था पर नींद आज उसकी आँखों से कोषों दूर थीं। रह -रहकर ध्यान रूही की ओर खींच रहा था ,उसकी खूबसूरती रूपेश का ध्यान बरबस अपनी ओर खींच रही थी। रूही नाम की आँधी उसके दिलो -दिमाग में हलचल पैदा कर रही थी। कभी उन गुंडों का ख्याल जेहन में आते ही वो एक पल को गुस्से में आ जाता। उसे लग रहा था की आज वो सही समय पर वहां नहीं पहुंचता तो वो भूखे भेड़िये रूही को नोच कर खा गए होते। उसे ये भी लग रहा था की वो गुंडे फिर से कभी बदला न ले। न चाहते हुए भी रूपा की यादें बिन मौसम बरसात की तरह उसके जीवन में दस्तक दे चुकी थी। जिसकी रिम -झिम फुहारों से उसका तन -मन तजा हो चूका था। रूही के ख्यालों में डूबा वह कब नींद की आगोश में चला गया पता ही न चला।
कुछ दिन बीतने बाद एक दिन रूपेश किसी काम से शाम को जा रहा था की उसे रास्ते की दूसरी ओर रूही जाती दिखाई दी। रूपेश ने रूही को आवाज लगायी पर ये क्या रूही ने देख कर भी अनदेखा दिया ,सुन कर भी अनसुना कर दिया। रूही उससे बचने की कोशिश कर रही थी। रूपेश को ये बात नागवार गुजर रही थी। रूपेश गाडिओं के बिच से पार करता हुआ रूही की ओर भागा। उस समय अँधेरा होने को था। रूही तेज भागने की कोशिश कर रही थी।
रूपेश ने उसकी कलाई पकड़ी और बोला तुम मेरे साथ क्यों ऐसा बर्ताव कर रही हो।
रूही बोली -आप मुझसे बात न करो।
रूपेश बोला -क्यों। क्यूंकि मै आपसे बात करने लायक नहीं हूँ। लोग हमे समाज में अच्छी दृस्टि से नहीं देखते हैं।
रूपेश ने रूही को पार्क में बैठाया। रूही रोती हुई बोल रही थी। उसने बताया की उनके माता -पिता गांव में रहतें हैं। उसने बतया की उसकी माली हालत ठीक नहीं है। उसका एक भाई गम्भीर बीमारी की चपेट में आने से पैसे की कमी के कारण इलाज न होने से दुनिया से चला गया। बाप जवां बेटे की मौत से मानसिक संतुलन खो बैठा। माँ दिन भर चिंता में घिरी रहती है। घर में कोई कमाने वाला बचा नहीं है। यह सोचकर वह एक दिन यहाँ कमाने के लिए चली आई। यहां मुझे कोई काम न मिला एक दिन मेरी मुलाकात एक महिला से हुई जिसने मुझे एक काम दिलाया। मै खुश थी पर जब काम पर गयी तो पता चला की ये तो जिस्म फरोसी का काम था। मै वहां से भागने लगी की मर जाऊं।पर तभी माँ -पापा का ख्याल आया। लौटकर वापस काम पर रोज पल -पल मरती। जिन्दा लाश बन चुकी थी। जिसके अंदर कोई एहसास नहीं बचा। अब तुम बताओ क्या ये सब सुनने के बाद तुम मुझसे दोस्ती करना चाहोगे।
रूपेश थोड़ी दे शांत रहा। फिर बोला मेरी नजर में तुम्हारी इज्जत और बढ़ गयी है। तुमने जो कुछ भी किया ,अपने माँ -बाप की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया। ये तुम्हारी मज़बूरी ने तुमसे करवाई। अब हम -दोनों दोस्त बन चुके हैं। तुम्हारी कोई भी समस्या मेरी भी समस्या है। मेरी एक दोस्त की कपड़ो की दुकान है ,उसमे सेल्स गर्ल की जगह खाली है ,आज ही वो मुझे बता रहा था की किसी को जरूरत हो तो दिलवा दे। कल से तुम वहां चली जाना ,तुम्हे वहां किसी तरह की तकलीफ नहीं होगी। पैसे भी तुम्हे ठीक -ठाक मिल जाएंगें।
रूही के सीने में आज जज्बात उमड़ पड़े। वह जो अब तक पत्थर सी बन गयी थी। उसे भी आम लड़की की तरह ख़ुशी हो रही थी।रूही समय से काम पर चली जाती। वो आज कल रूपेश के साथ बहुत खुश रहने लगी थी। दोनों घंटो बातें किया करते थे। दोनों जब साथ में होते तो सारी चिंता भाग जाती। रूपेश बातों के दौरान नोट कर रहा था की रूही एकदम मासूम बच्ची जैसी है। छोटी -छोटी बातों पे हस देना ,या छोटी सी बात पे रो देना। रूही हर बात रूपेश से शेयर करती। रूही अपनी बातों में जब मशगूल होती तो रूपेश उसकी आँखों की चमक में खो जाता ,कभी गुलाब जैसे होठों को देखा करता, कभी उसके चेहरे पे आते -जाते भाव को देखा करता। रूही रोज कुछ न कुछ बात पर नाराज हो जाती और रूपेश उसे मनाता रहता। रूपेश को भी रूही की छोटी -छोटी नादानियां अच्छी लगती। रूही रूपेश की लाइफ लाइन बन चुकी थी। रूही रूपेश के लिए रोज अपने हाथों से कुछ न कुछ बना कर लाती दिन.
महीने ,साल बीतने को थे। दोनों की दोस्ती प्यार में बदल चुकी थी। दोनों की आँखों से प्यार झलकता था। एक रात रूपेश ने रूही को कैंडल नाईट डिनर करवाया। फिर उसके सामने इजहारे मोहब्ब्त कर दिया। उसने रूही से पूछा -क्या तुम मुझसे शादी करोगी? रूही के तो शब्द नहीं निकल रहे थे ,उसने तो कभी कल्पना नहीं की थी की उसकी शादी होगी वो भी रूपेश जैसे सुलझे इंसान के साथ। रूही की ऑंखें भर आई। उसने ख़ुशी से रूपेश को गले से लगा लिया। रूपेश बोल पड़ा जब तुम्हारी सहमति हो ही गयी तो शादी करने में देर क्यों। मुझसे और इंतजार नहीं होता। मैं जल्दी हीं पंडित से मिलकर शादी की तारीख लेता हूँ।
रूपेश आज ख़ुशी से बबला हो गया था। आज उसे पूरी दुनिया मुट्ठी में लग रही थी।कुछ दिनों बात वो लम्हा भी आ गया ,जिसका उनदोनो को बेसब्री से इंतजार था। दोनों मंदिर में हाथों में फूलों की माला लिए खड़े थे की क्या देखतें है की सामने एक कार रुकी उसमे से वही उस रात वाले गुंडे उतरते हैं और रूपेश जब तक कुछ समझ पाता। उसे गोलियों से छलनी कर देते हैं। और भाग खड़े होते हैं। रूपेश अपनी अंतिम सांसे रूही की गोद में गईं रहा था। उसकी आँखों में ख़ुशी थी की अपने प्यार की गोद में सुकून से मर सकूंगा। रूही अपनी किस्मत पे रो रही थी। रूही को कुछ समझ नहीं आ रहा था। ये एक पल में क्या से क्या हो गया ?रूपेश ने हमेशा के लिए इस दुनिया को अलबिदा कह दिया था। रूही एक तक निहारे जा रही है।
–END–