दामाद जी…#आज के समाज का एक आईना
ये आजकल के दामाद भी न…इज़्ज़त पाने की हर पल सोचते हैं, बस किसी की इज़्ज़त करना भूल गए हैं। कोई अपने जिगर का टुकड़ा इन्हें सौंप दे तो ये अपनी जागीर समझ लेते हैं उसे। इन दामादों को आजकल हो क्या गया है। वो क्यों समझते हैं की जो वो चाहेंगे उनकी पत्नीयाँ वही करेंगी।
दामाद जी, किसी ने आपको काम करने की मसीन तो नहीं दी। जब बिटिया आपके घर व्यहकर जा रही थी तो सिर्फ एक लड़की नहीं जा रही थी। किसी की बहन जो हर पल अपने भाई को प्यार से रखा करती थी, जिसके होते ये भी न पता होता था उस भाई को की उसके कपडे कहाँ रखे हैं, वो बहन भी जा रही थी। जिसकी प्यारी आवाज से किसी की आँगन की खुशियाँ छलकती थी, जिसके अरमान पुरे करने के लिए एक बाप अपनी खुशियाँ लुटाए जा रहा था, एक माँ जो ससुराल के लिए अपने बिटिया को हर गुण अवगुण से अवगत करा रही थी, ऐसे माँ बाप की एक बेटी जा रही थी। घर के आँगन में जिस तरह तुलसी सजती है, जिस आँगन ने उसका बचपन, उसका योवन संभाला है, उस आँगन की तुलसी अब अब आपके घर जा रही थी। जो अपने योवन से अठखेलियां करती हुई एहसास लिए हुए उसका मन, अपने दिल के कोने कोने में जगह देने वाली एक प्रक्रिती की सुंदरता जा रही थी।
और दामाद जी आपने क्या किया। जिस माँ बाप की वो पूजा किया करती उस माँ बाप को आप गलियां देने लगे। जिस भाई को वो अपने बच्चे की तरह रखती उससे अब आप जलने लगे। जिस मायके की यादें भूलकर वो आपके साथ अच्छे से एडजस्ट हो रही है अब आप उसी मायके को हमेशा के लिए छोड़ देने को कह रहे हो।
अब तो हाथ भी उठाने लगे हो। जिन गालों पर सुंदरता की लाली उभरती थी अब आपके उँगलियों के दाग उभर रहे हैं। एक भाई जो कभी अपनी बहन पर पड़ने वाली आँखों को नोच कर, छेड़ने वालों की हाथ पैर तोड़ देने की उबाल रखता था अपने खून में, आजकल बेबस सा अपने बहन को पिटते देखता है। आप भी तो किसी के भाई हो कभी सोचा है क्या गुजरती है तब। न न अब तो आप सिर्फ दामाद हो न।
कितना अच्छा था वो एक दो साल जब ससुराल वाले आपको पलकों पर बैठायें रखते थे। और आप एक आदर्श बेटे की तरह पेश आते थे। सारी खुदाई एक तरफ जोडू का भाई एक तरफ, यही बोलते थे न। फिर अपने साले से इतना जलन क्यों। क्यों वो जब भी आता है तो आपकी आँखे तन जाती है। और वो बहन एक तरफ आपसे नजर मिलाते हुए तो दूसरी नजर बचाते हुए अपने भाई को ये एहसास कराती है की वहां सब ठीक है।
सभी जानते हैं आपकी करतूत, सभी जानते हैं की एक माली ने अपने फूल को एक ऐसे कांटे के हवाले किया है जो खुद की अकड़ बनाये रखने के लिए, फूलों को मुरझाता ही छोड़ देता है। लेकिन कोई बिटिया के गालों के निसान के लिए आप पर हाथ तो क्या ऊँगली क्यों उठाये। कोई खुद की गलियों के लिए आपको अपशब्द कैसे कहे। कोई घर की झगरैल गुस्सैल निगाह को कैसे नोचे। आपको बिटिया मिली ये अधिकार भी मिल ही गया। कोई कैसे रोके
आपको
आप तो दामाद हो न।
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