स्मृतियाँ
तू आगे की देख रे बन्दे
हर रिश्ते से नाता टूटेगा
जो तू सिर्फ पीछे देखेगा
कभी आपने सोचा है की ये जो स्मृतियाँ/यादें होती हैं, बुरी तो अपने आप बन जाती हैं पर इसे अच्छा बनाने के लिए आपने क्या क्या जतन किये हैं।
नहीं, तो अब सोचिये।
कई पहलु हैं, जैसे हर इंसान हर पल किसी न किसी से अपने आपको जोड़कर रखता है। जो भी उन्हें पसंद आएं, अच्छे लगें।
अब कोई जरूरी नहीं की जिन्हें आप पसंद करते हों वो same way में आपको भी उतना ही पसंद करें। यहीं से सुरु होती है बुरी स्मृतियाँ। आप प्रयास करोगे की वक़्त आपके अनुसार गुजरे। और वक़्त अपने अनुसार ही गुजरेगा। बुरी स्मृतियाँ बनती जाएंगी। आपको ही कोशिष करनी होती है स्मृतियों को अच्छी कैसे बनाएं। कभी किसी की एक हल्की मुस्कान जो आपके लिए थी, वर्षों याद रह जाते हैं तो कभी किसी का हंसना भी आपको खिजा जाता है। कभी किसी का एक पल का मिलना भी हर पल याद आता है तो कभी किसी का लंबा साथ भी उस एहसास की बराबरी नहीं कर पाता।
बुरी स्मृतियों को साथ लेकर चलिए, जिन लोगों से ये जुड़ा होगा हर पल आपको उनमें सिर्फ बुराई दिखेगी। और उनसे सम्बन्ध बिगड़ते रहेंगे। यहाँ मैं बुरी स्मृतियों का ज्यादा उल्लेख नहीं करूँगा क्योंकि इसपे न आपको, न हमें, न किसी और को याद रखनी चाहिए। रख सको तो उनके साथ बिताये अच्छे पलों को याद रखो।
अब अच्छी स्मृतियों को साथ लेकर चलिए। आपको सिर्फ वो इंसान ही नहीं उससे जुडी हर बात अच्छी लगने लगेगी। बेबात बेवजह आप मुस्कुराएंगे। जब भी आँखें बंद करेंगे वो पल याद आएगा, आपको सुकून मिलेगा। अच्छी यादों का असर सिर्फ आपकी मुस्कान तक सीमित नहीं रहती, ये आपको प्रेरित करती है सब कुछ अच्छा करने के लिए। नींद भी अच्छी आएगी जब आप अच्छे पलों को याद कर सोयेंगे।
इंसान उन पलों को ज्यादा दिन तक याद रख पाता है जो उनके जीवन में अचानक और अलग तरीके से आता है या होता है। और उससे भी ज्यादा उन पलों को याद रख पाता जब वो यादें अपने पसंद के लोगों के साथ बने।
एक ही गली से आप हर दिन गुजरिये, और किसी दिन अचानक से आपका beloved मिल जाये, वो गली वो जगह आप वर्षों भूल नहीं पाएंगे।
आप हर साल के बारिश में कितना भी भीग लें, लेकिन अपनी beloved के साथ बीती एक बारिश का दिन कभी भूलते नहीं।
आप कितनी भी शायरी से अपनी डायरी भर लें, किसी एक पे कोई ऊँगली रख के बोल दे की ये मुझे बेहद पसंद है, आपकी निगाह वहां तक आकर अटक जाएंगी।
बहुत सी बाते हैं, मैं प्यार की बाते ज्यादा करता हूँ।
अब उनका क्या करें जो बुरी यादें हैं, in single word…भूल जाइए।
याद रखके भी क्या करेंगे, जितना याद करेंगे। उतना रोयेंगे, तिलमिलायेंगे, गुस्सा करेंगे, और अपना ही खून जलाएंगे। बुरी स्मृतियाँ सिर्फ अलगाव और दूरियां पैदा करती हैं। इंसान को दूर करतीं हैं।
बुरे लोग नहीं होते, बुरे हालात होते हैं। एक ही इंसान के साथ बुरे और अच्छे स्मृति बनते हैं। बस वक़्त वक़्त की बात होती है। अगर आप अच्छे हैं तो यकीं मानिये अच्छे लोग ही आपके पास रह जाएंगे बाकि सब वक़्त की धारा में बह जाएंगे। बह जाने दीजिये। बस अच्छे लोग और उनसे जुडी अच्छी यादों को अपने पास रह जाने दीजिये।
वैसे भी छोटी सी ज़िन्दगी है अच्छे वक़्त जीने के लिए कम पड़ जाती है, क्या बुरे वक़्त को याद करना। बुरा वक़्त समझकर भूल जाइए।
लैला मजनू, हीर राँझा, मुमताज शाहजहाँ सभी के सिर्फ अच्छे पलों को ही तो हम याद करते हैं। उनके साथ उनके बुरे पल ऊपर चले गए। तो हम क्यों बुरी यादों को अपने पास रखें।
जब लोग मिलते हैं तो यादें बनते हैं। और जब लोग दूर जाते हैं तो उन्ही यादों की वजह से हम उनसे जुड़े रहते हैं। बुरी यादों को अच्छे यादों से replace कीजिये।
चलिए बुरी बातों को भूलकर उन्ही लोगों के साथ छोटी मोटी, कुछ बड़ी नयी यादें बनाते हैं। कुछ से माफ़ी मांग लेते है , कुछ को माफ़ कर देते हैं, कुछ बुरे लोगों को अपने ज़िन्दगी से साफ़ कर देते हैं। सजावट करते हैं अपने आस पास के चीजों से ताकि यादों की तस्वीर और अच्छी आये रंग बिरंगी आये।
स्मृतियाँ अच्छी हैं
बस जरुरत है बिखरे चीजों से इनकी सजावट की।
###
अक्स