व्यवसाय के सिलसिले में अकसर मैं विदेश की यात्राओं पर जाता रहता हूँ I व्यवसाय के अतिरिक्त इन यात्राओं के माध्यम से विभिन्न देश , धर्म व जातियों के नए -2 लोगों से मिलना जुलना , उनके देश , उनकी सोच और उनके खान पान इत्यादि के विषय में सीधे रूप से जानकारी प्राप्त करना मुझे बहुत पसंद है I
कुछ दिन पहले ऐसी ही एक यात्रा से मैं क़तर से स्वदेश लौट रहा था I क़तर के दोहा एयरपोर्ट पर एअर लाइन काउंटर व इमिग्रेशन काउंटर पर अधिक भीड़ ना होने के कारण 15 -20 मिनट में ही मैं एयरपोर्ट की सम्पूर्ण प्रक्रिया से मुक्त हो गया जिसके फलस्वरूप फ्लाइट में बैठने तक मेरे पास लगभग 2 घंटों का समय शेष था I
इन दो घंटों को व्यतीत करने के लिए मुझे कोई नई किताब पढ़ना एक अच्छा विकल्प लगा अतः मैंने बुक स्टॉल से एक पुस्तक खरीदी और पास ही की कॉफ़ी शॉप से कॉफ़ी एवं कुछ चोकलेट खरीद कर लाउन्ज में पड़ी एक खाली कुर्सी पर बैठ कर मैं पुस्तक पढ़ने में लीन हो गया I
अचानक मेरा ध्यान मेरे बाईं ओर खाली पड़ी कुर्सी पर किसी व्यक्ति के बैठने से भंग हुआ I कुर्सी पर बैठने वाला व्यक्ति एक बड़े डील डौल का अश्वेत पुरुष था I उसके रंग रूप के आधार पर मैंने उसके किसी अफ्रीकी देश का निवासी होने का अनुमान लगाया I
मैं फिर से पुस्तक पढ़ना शुरू करने वाला ही था कि मेरा ध्यान उस व्यक्ति के छींकने और उसके बार -2 नाक सुड़कने की तरफ गया I मैं चिंतित हो उठा क्योंकि उन दिनों स्वाइन फ्लू जोरों पर था I दूर तक कोई और कुर्सी खाली नहीं थी अतः मैंने अपनी कुर्सी पर ही थोडा सा सिमटते हुए उससे दूरी बनाने का प्रयास किया और साथ ही अपने मुंह एवं नाक को रूमाल से ढक लिया I मेरी मनोदशा को शायद उस व्यक्ति ने भांप लिया I
वह अंग्रेजी में मुझसे बोला , “ Please don’t worry , I am not suffering from swine flu . It is just a common allergy.”
यह सुन कर मैं थोडा आश्वस्त हुआ और अपनी कुरसी पर सामान्य स्थिति में होकर बैठ गया I
थोड़ी देर की ख़ामोशी के बाद उसने मुझसे पूछा , “Which country you are from?”
“ I am an Indian .” “And you ?” मैंने उससे प्रश्न किया I
“ I am an American” .
“ Your country ( India ) is emerging as a big economic power in the world at a very fast pace.” यह कह कर उसने इंडिया की तारीफ़ की I
अपने देश की तारीफ़ और वह भी किसी विदेशी से सुनकर स्वाभाविक है कि किसी का सीना भी गर्व से फूल जायेगा और यही मेरे साथ भी हुआ I उसके कहने में व्यंग का पुट बिलकुल भी नहीं था I
जोश में मैंने इंडिया की तारीफ़ को अपनी ओर से थोडा आगे बढ़ाते हुए कहा , “ इंडिया ने कुछ दिन पहले ही मंगल पर एक यान भेजा था जो अन्य देशों के मुकाबले काफी सस्ता था तथा हमारा देश प्रथम प्रयास में ही मंगल पर यान भेजने में सफल रहा जबकि अन्य विकसित देशों को दो तीन बार में सफलता मिली I”
मैंने उसे ऐसी ही और कितनी बातें बताई जो सब भारत की तेजी से हो रही उन्नति की ओर इंगित करती थी I वह मेरी इन बातों से पूर्णतया सहमत था I
आगे मैंने उससे कहा कि यदि भारत ऐसे ही उन्नति करता रहा तो जल्दी ही विश्व का नंबर एक इकॉनमी बन सकता है I अपने इस कथन को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए मैंने भारत सरकार द्वारा अभी हाल ही में भारत की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए उठाये गए विभिन्न कदमों को उधृत किया I
वह मेरी बातें बड़े ध्यान से सुनता रहा I उसके बीच-2 में गर्दन हिलाने से मुझे लगा कि वह मेरी सब बातों से सहमत है I
अपनी बात समाप्त कर मैंने कुछ गर्व से उसकी ओर देखा I मुझे अपनी और देखते हुए पाकर वह बोला , ” India can become No. 2 but can never be No. 1.”
उसके इस अप्रत्याशित कथन पर मैं चौंका I
मैंने उससे कहा , “ you mean China will be number 1….is it?” (शायद आप का मतलब चीन से है ….नंबर 1 पोजीशन के लिए?”)
उसने कहा ,“ No , …….. .” और उसने अपने जवाब को अधूरा ही छोड़ दिया I
उसका अधूरा उत्तर सुनकर मैं उलझ गया , भारत नंबर दो पर ही रहेगा , चीन नंबर एक नहीं बन सकता है तो फिर वह नंबर एक पोजीशन के लिए किस देश के विषय में बात कर रहा है I
इधर शायद उसकी फ्लाइट का समय हो चुका था क्योंकि उसने अपना सामान संभालना है शुरू कर दिया था I
उधर मैं अपनी आँखों में एक जिज्ञासा का भाव लिए उसकी ओर देखते हुए उसके अधूरे उत्तर को उसके द्वारा पूर्ण करने की प्रतीक्षा कर रहा था I
कुछ क्षण उपरांत उसने मेरी ओर देखा और अपने अधूरे उत्तर को पूर्ण करते हुए कहा , “America !”
मेरे अर्थशास्त्र की सीमित जानकारी के हिसाब से उसका उत्तर मुझे बिलकुल नहीं जंचा और मेरे चेहरे पर प्रश्नात्मक भाव उभर आये I
मेरी ओर देखते हुए वह फिर बोला , “ Because America gives one unique thing to its citizens which no other country in the world gives .”
“ And that is?” , मैंने पुछा I
“Respect ………. Respect for its citizens”, यह कह कर वह अपनी फ्लाइट पकड़ने के लिए वहां से चल दिया I
यह सब कहते समय उसके चेहरे पर गर्व और अपने देश के प्रति विश्वास के जो भाव थे उन्हें देख कर मैं हतप्रभ था I
उसके उत्तर से मूक हुआ मैं उसे जाते हुए देख कर सोच रहा था कि क्या कभी मैं भी इतने गर्व और विश्वास के साथ किसी को अपने देश के विषय में ऐसा कह पाऊँगा ?
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