KYUN MANHOOS KEHLAAI – Hindi Short Story on Gender Discrimination
मैं अभी न किसी की बेटी हूँ ,न बहिन हूँ ,न प्रेमिका,न पत्नी ,न माँ I अभी तो कोई अस्तित्व ही नहीं है मेरा, इस धरती पर जो नहीं आई अभी …हाँ पर रिश्तों में बस जल्द ही बंधने वाली हूँ…अभी कुछ और वक़्त है माँ की कोख में चिप के रहने का का ….अभी कुछ और वक़्त है अपनों के साथ बैठके खेलने में ,वक़्त है अभी घर में बड़ी बेटी बनके जाने में। सुनती हूँ सबकी बातें यहीं से .. सबकी ख़ुशी का कारण हूँ मैं .. बहुत खुश हूँ की कितना प्यार मिलेगा जब साथ होंगी माँ और पापा के।
पापा बहुत ध्यान रखते हैं मम्मी का आजकल।दादी भी बोहत प्यार करती हैं माँ को। आज पापा मम्मी को लेकर आये हैं डॉक्टर आण्टी के पास जांच करना की मैं ठीक तो हूँ न।देखो कितने उतावले हो रहे हैं,मेरे बारे में जानने को। पूछ रहे हैं की लड़का है या लड़की,पर शुक्रिया आण्टी की अपने कह दिया की बेटा है।।।अब जब बाहर जाउंगी तो सब हैरान हो जाएँगे की यह तो बेटी है बेटा नहीं।।।पर हाँ डॉक्टर आण्टी ,आज खूब लूटा पापा को झूठ बोलकर की बेटा है।पर माँ को क्या हुआ ,क्यूँ उदास है वो .. लगता है की जानती है की मैं हूँ “बेटी” …”बेटा ” नहीं ..शायद दुखी है सच छुपाकर पापा से … हाँ लेकिन जब पापा और दादी को मेरे बारे में पाटा चलेगा तब कितनी ख़ुशी और हैरानी होगी उनके चेहरे पर।मुझसे तो इंतज़ार ही नहीं हो रहा …जबसे आये हैं डॉक्टर के पास से ,सब तैयारियों में लगे हैं मेरे आने की … लो आज तो मेरी मम्मी की गोद भराई का दिन भी आ गया …आज मम्मी खूब सजेंगी ….मुझे भी सबका आशीर्वाद मिलेगा,सबका प्यार मिलेगा। सब लोग एक एक करके आएँगे और मम्मी के कान में मेरे लिए दुवाएं मांगेंगे ….अरे यह क्या ! सबने एक ही बात क्यूँ कही ” बेटा हो”… अच्छा अब समझी पापा और दादी ने शायद सबको बताया होगा की डॉक्टर आण्टी ने कहा है ऐसा …अब तो और मज़ा आएगा …सब चौंक जाएँगे मेरे आने पर।
देखो नाम भी सब सोच रहे हैं तो लड़को वाले।अब कौन समझाए की मैं इन नामों से नहीं कहलाऊँगी ….चाची कह रही हैं की राजकुमार आएगा ,तो ताईजी मुझे राजा बेटा कह के बुला रही हैं ..पर मैं जानती हूँ की मैं तो चाची की राजकुमारी और ताईजी की रानी बिटिया होंगी …दादी ने तो पहले हे मेरे गले के लिए लॉकेट बनवा लिया है …जब आउंगी तो बदलवाकर मेरे पैरों के लिए पायल ले आएंगी और हाथों के लिए कड़े। ओह हो दादी परेशान करोगे खुद को …
आज आ गया है वो दिन …आज मैं आ जाउंगी सबके पास …मम्मी की गोद में . पापा के हाथों में ..दादा की कमीज़ गीली करुँगी, और दादी की ऊँगली मुट्ठी में बंद कर लुंगी ..कितना दर्द हो रहा है मम्मी को मेरी वजह से …पर हाँ माँ तुम्हे हमेशा खुश रखूंगी …सबकी लाडली बनके रहूंगी
और अब वो पल आ गया है ..अब डॉक्टर सबको बता रहे हैं की मैं सब के बीच आ गयी हूँ …. अरे ! कोई हँसा क्यूँ नहीं ? अच्छा! हो गए ना सब हैरान ….माँ ने मुझे गोद में उठा लिया और बहुत प्यार कर रही हैं। पर माँ रो क्यूँ रही हैं …चाची मुझे राजकुमारी क्यूँ नहीं बुला रही .. ताईजी रानी बिटिया को अपनी गोद क्यूँ नहीं उठा रही ………पापा रुको ! रुको ना … कुछ तो कहो …कुछ कहो .. पापा ने कुछ कहा … बुलाया है मुझे … हाँ बुलाया है शायद … पर क्या ?
“मनहूस” … “मनहूस ये नाम तो नहीं सुना था मैंने माँ की कोख में …. क्या मेरा हैरान करना पसंद नहीं आया पापा को .. क्यूँ कहा उन्होंने मुझे मनहूस ?
क्यूँ दादा की कमीज़ न गीली कर पाई …..क्यूँ दादी की ऊँगली मुट्ठी में ना दबा पाई …….आखिर क्यूँ मैं मनहूस कहलाई …….आखिर क्यूँ मैं मनहूस कहलाई …..
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