ये कहनी है राहुल की उसका मानना था की दुनिया मे यकीन नाम की कोइ चीज़ नही होती है. इसलिये वो किसी पर यकीन नही करता था. उसके परिवार मे उसकी माँ उसके पिता ही थे. कोलेज मे भी उसने ज्यादा दोस्त नही बनाये थे……जितने भी उसके दोस्त थे वो भी उसकी इस बात से एतराज करते थे की दोस्त होकर भी वो उन पर यकीन नही करता है.
पर राहुल को कहाँ किसी की परवाह थी वो बस अपनी ही दुनिया मे रहता था.
उसकि माँ भी उसे बहुत समझाती थी पर वो कभी ध्यान ही नही देता था.एक दिन राहुल कोलेज के लिये निकलने वाला था. तभी उसके घर पर उसके पास मे ही रहने वाले मि. राजन आये उन्हे कुछ पैसों की जरुरत थी तो उन्होने राहुल की माँ से इस बारे मे कहा इस से पहले की राहुल की माँ पैसे देती राहुल जो वहीं पर खड़ा था उसने माँ को रोका और कहा- माँ ऐसे कैसे दे रही हो कब तक वापस करेंगे पुछ तो लो ?????
माँ ने कहा बेटा ये हमारे जान पेहचान वाले हैं हम बरसो से इन्हे जनते हैं…. तुम इसकी चिंता मत करो.
फ़िर उसकी माँ ने पैसे दे दिये और उनके जाने के बाद राहुल को समझया देखो बेटा दुनिया भरोसे पर चलती है जैसे तुम चलाना चाह रहे हो वैसे नही चलती हे… तुम इस तरह से उनके सामने बात कर रहे थे उन्हे कितना बुरा लगा होगा!!!!!!!
राहुल ने कुछ नही कहा ओर कोलेज चला गया.
कुछ दिनो के बाद कोलेज खत्म हो गया.
राहुल ने जॉब के लिये अप्लाई किया…
कुछ दिनो के इन्तजार के बाद उसे एक दिन एक कंपनी से बुलावा आया, उसे सोलन बुलाया गया था जो कश्मीर के पास है… राहुल की माँ ने उसके जाने की सारी तैयारी कर दी थी.
अगले दिन सुबह उसे निकलना था, तो वो पुरी रात माँ के पास ही रहा उसके पिता जी किसी काम से बाहर गये थे.
रात मे जब खाना खाने के बाद राहुल माँ के कमरे मे आया तो माँ एक ड्ब्बे मे उसके लिये खाने का सामान रख रही थी,,,,,,,,
माँ कितना सामान दोगी मुझे ही लेकर जाना हे भारी हो जायेगा…..
कुछ भारी नही होगा- माँ ने कहा पता नही वहा किस तरह का खाना मिलेगा तो चुपचाप से रख ले समझा.
हाँ माँ समझ गया……….राहुल मुस्कुराया ओर फ़िर माँ की गोद मे लेट गया.माँ उसे समझाती रही की कैसे और क्या करना..
माँ मैं जानता हूँ चिन्ता मत करो, माँ की बाते सुनकर राहुल बोला!!!!!!
जब तेरे बच्चे होंगे तब देखेंगे – माँ की इस बात से राहुल चुप हो गया और बोला जी माँ आप बोलो.
फ़िर माँ उसे समझाती रही राहुल माँ की गोद मे सिर रखकर सो गया.
सुबह माँ ने उसे उठाया राहुल जल्दी से तैयार हुआ फ़िर नश्ता करके माँ का आशीर्वाद लेकर निकल गया.
बस स्टोप पहुंचकर उसने बस की सोलन की,बस चली जैसे जैसे बस चलने लगी हवा के ठ्न्डे झोंके ने राहुल की आँखों की नींद बढा दी.. कुछ ही देर मे राहुल को नींद आ गयी और वो सो गया उसकी आँख खुली जब बस को झट्का लगा उसने उठ कर कंडक्टर से पुछा – कहाँ आ गये?????
उसने कहा हम शिमला पहुँचने वाले हैं !!!!!!
ये सुनकर राहुल के होश उड़ गये क्योंकि रात हो गयी थी, फ़िर उसने पुछा वापसी के लिये कोई बस मिल जयेगी???????
कंडक्टर ने कहा नही रात के समय यहा बस नही हे और चोर उचक्के भी बहुत है तो बेह्तर होगा किसी रिश्तेदार के घर रुक जाओ!!!!!
राहुल के लिये मुश्किल हो गयी थी क्योंकि वो वहां किसी को नही जानता था,वो अपनी सीट पर बैठा था तभी उसका ध्यान साथ वाली सीट पर बैठे आदमी पर गया वो उसे ध्यान से देख रहा था, और मुस्कुरा भी रहा था, एक अन्जाने खतरे कि आशंका मे राहुल चुपचाप बैठा था,
कुछ देर बाद उसने फ़िर पीछे देखा तो वो आदमी उसे ही देख रहा था.
राहुल फ़िर आगे देखने लगा, तभी वो आदमी राहुल के पास आया और बोला मैंने सुना सब,,,,,,,, तुम चाहो तो मेरे साथ चल सकते हो मै यहीं रह्ता हूँ.
राहुल ने उसकी तरफ़ देखा पर कुछ नही बोला…………
सोच लो यहाँ रात के टाइम तुम्हे ना तो बस मिलेगी और ना ही कोई रहने की जगह और रात मे रास्ते पर रहना सही नही है!!!!
तभी बस स्टोप आ गया,,,,,,,,,,सब उतरने लगे तो उसने फ़िर पुछा इस बार राहुल ने हाँ कर दी क्योंकि उसके पास और कोई रास्ता नही था….
फ़िर वो भी उठा और उस अजनबी के साथ उतर गया…
बाहर आकर उस अजनबी ने आटो लिया दोनो उसमे बैठ गये ,, राहुल ना चाह्ते हुए भी उसमे बैठ गया,करीब एक घन्टे तक आटो चलती रही, राहुल का मन किसी खतरे की आशन्का से भर रहा था पर उसके पास चारा भी नही था रास्ते पर खतरा और हो सकता था,
करीब एक घन्टे बाद एक पहाड़ी पर आटो रुकी राहुल ने पैसे देने चाहे पर उस अजनबी ने मना कर दिया और खुद पैसे दिये,
फ़िर रास्ते से उसने केले खरीदे और कहा मेरे पीछे आओ, ना चाह्ते हुए भी राहुल पीछे चलने लगा ,कुछ देर पहाड़ी उतरने के बाद वो एक कोटेज मे पहुंचे , वहां पहुंचकर राहुल ने देखा दो पलंग लगे थे उस अजनबी ने कहा मेरे साथ एक और आदमी रह्ता हे पर वो गांव गया हुआ है, ये सुनकर राहुल के मन मे खट्कने लगा,
फ़िर भी वो अन्दर आ गया फ़िर उस अजनबी ने कहा तुम नहा लो अपना सामान रख दो.
नही- राहुल बोला ठण्ड है वो हंसा ये बात है मै तो यहीं रह्ता हूँ इसलिये मुझे आदत है,, मैं नहा लेता हु, फ़िर वो नहाने चला गया,तब राहुल ने ध्यान से देखा वो एक छोटा सा कमरा था हेंगर पर कुछ कपड़े टंगे थे शायद उस अजनबी के थे,कमरे से सटा एक किचन था, ओर बस वो दो पलंग थे,राहुल देख रहा था तभी वो अजनबी नहाकर आ गया,फ़िर उसने दुध गरम किया, राहुल पलंग पर बैठा रहा और उसे देखता रहा की वो क्या कर रहा हे,
अजनबी ने दुध गरम किया ओर उसे दो गिलास मे डाला और एक गिलास राहुल को दिया,दुध पकडते समय राहुल का हाथ थोड़ा काँप गया ओर दुध थोड़ा छ्लक गया,
आराम से-अजनबी बोला-गरम हे आराम से………..
राहुल ने देखा था कि उस अजनबी ने एक ही जार से दोनो गिलास मे दुध डाला था, तो वो उस अजनबी के पीने का इन्तजार करने लगा जैसे ही उस अजनबी ने पिया राहुल समझ गया सब ठीक है उसने भी झट से पी लिया, अजनबी ने केला दिया तो राहुल ने खा लिया क्योंकि वो उसने राहुल के सामने ही लिया था,
फ़िर राहुल ने अपना सामान पलंग के नीचे रख दिया,ओर कम्बल लेकर लेट गया, वो अजनबी भी लेट गया,राहुल को लगा कहीं वो उसके सोने के बाद उसका सामान लेकर भागने का इन्तजार तो नही कर रहा इस चक्कर मे राहुल आँखे बंद करके सोने का नाट्क करने लगा,काफ़ी देर तक वो जागता रहा……….फ़िर ना जाने कब उसकी आँख लग गयी…
जब वो सुबह उठा तो उसने देखा………………….
वो अजनबी चाय बना रहा था,राहुल को उठ्ता देख उसने उसे गुड मोर्निंग कहा फ़िर चाय दी…..राहुल ने चाय ली और उसके वापस किचन मे जाने के बाद अपना सामान देखा सब ठीक था… फ़िर उस अजनबी को पीता देख राहुल ने भी चाय पी ली,
फ़िर अजनबी ने राहुल को तैयार होने को कहा राहुल तैयार हो गया,फ़िर राहुल ने अपना सामान उठाया और कमरे से बाहर आ गया वो अजनबी भी राहुल के पीछे बाहर आ गया तैयार होकर,
फ़िर वो वापस पहाड़ी के उपर आ गये, उस अजनबी ने आटो ली फ़िर उसे बस स्टोप चलने को कहा,, आधे घन्टे मे वो बस स्टोप पहुच गये…..
राहुल ने पैसे देने चाहे तो अजनबी ने फ़िर से मना कर दिया और खुद दिये….
फ़िर राहुल को बस मे चढा दिया…
फ़िर वो जब जाने लगा तो बोला अच्छा मै चलता हु अपना ख्याल रखना……….
जैसे ही वो जाने को हुआ राहुल ने टोका आपका बहुत बहुत धन्यावाद आप नही होते तो शायद पता नही क्या होता !!!!!
!वो अजनबी मुस्कुराया और बोला – मै नही होता तो कोई और होता भगवान किसी न किसी को भेज देता……तुमने मुझपर यकीन किया तभी तो गये न करते तो नही जाते चलो अब मै भी चलता हु मुझे भी आफ़िस जाना है, दुनिया छोटी हे फ़िर मिलना होगा तो मिल लेंगे…
फ़िर वो हंसा और नीचे उतरकर चला गया.
राहुल उसे जाते हुआ देखता रहा…
सही कहा इसने–राहुल खुद से बोला-सही कह्ते थे सब लोग यकीन करने से ही मिलता हे अगर हम पहले ही सोच लेंगे तो कभी नही कर पाएंगे……
फ़िर राहुल मन ही मन मुस्कुराया और आराम से अपनी सीट पर बैठ गया.
आज उसे यकीन का मतलब समझ मे आ गया था.
उस अजनबी ने भी यकीन करके ही राहुल को पनाह दी,,,,अगर वो ये सोचता की राहुल उसे लूट लेगा तो नही कर पाता, उसने एक अजनबी की उस समय सहायता की जब उसे जरूरत थी,उसने एक बात साबित कर दी की दुनिया से यकीन अभी उठा नही है
सही भी है अगर आप किसी पर यकीनकरेंगे तभी जान पाएंगे और अगर पहले ही सोच लेंगे कि वो इन्सान ऐसा हे तो आपको कैसे पता चलेगा……कम से कम जिन्हे हम जानते है उन पर तो कर सकते है,, और जिन्हे नही जानते उन पर भी यकीन ना करने कि वजह भी होनी चहिये. यकीन करने से ही यकीन पर यकीन होगा.
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BY ANKIT AND MONA