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With Intention of Revenge

Published by arunakapoor in category Hindi | Hindi Story | Social and Moral with tag daughter | son

Hindi Short Story – बदला लेने के इरादे से….

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Short Story – With Intention of Revenge
Photo credit: presto44 from morguefile.com

सुरेखा मेरी बिटिया शोभना की सहेली थी!…दोनों ही हम-उम्र याने कि लगभग ग्यारह-बारह वर्ष की थी!…एक ही स्कूल में और एक ही कक्षामें पढ़ती थी!…सुरेखा पहले कही अन्यत्र रहती थी लेकिन छह महीने पहले अपने परिवार वालों के साथ हमारी सोसाइटी में रहने आई थी ; सो कभी कभी हमारे घर खेलने भी आ जाती थी!….बहुत ही शालीन और सलीकेदार लड़की थी!

एक बार उसे ढूंढती हुई उसकी मम्मी मेरे यहाँ आई!…

” नमस्ते!…मैं सुरेखा की मम्मी हूँ!…हम लोग यहाँ, इस सोसाइटी में छह महीने पहले ही आए है!”

” नमस्ते!..आइए, अंदर आइए!…बहुत अच्छा हुआ जो आप आई!..सुरेखा तो आती रहती है…मैंने उसे कहा भी था कि कभी अपनी मम्मी को भी साथ ले कर आना!”…मुझे सुरेखा की मम्मी से मिलकर खुशी हो रही थी!

” नहीं!..अभी बैठने का टाइम नहीं है मिसेस कपूर!…हम छत्तरपुर माता के मंदिर जा रहे है!…अपने तीन साल के छोटे बेटे तुषार को घर पर छोड़ कर जा रही हूँ!…घर पर मेरी सासुजी है, लेकिन सुरेखा अपने भाई का ज्यादा अच्छा ध्यान रखती है!….कहाँ है सुरेखा?…” सुरेखा की मम्मी को जाने की जल्दी थी और वह जल्दी जल्दी से बोले भी जा रही थी!

” आप दरवाजे में ही खड़ी है मिसेस चंद्रा!…अंदर तो आइए! सुरेखा अंदर है….मेरी बिटिया के साथ पोहे खा रही है….आज पोहे बनाएं थे ;सो शोभना और सुरेखा को प्लेट में डाल कर दे दिए….सुरेखा तो मना कर रही थी लेकिन मैंने कहा थोडेसे ले लों बिटिया…”

…सुरेखाने अपनी मम्मी की आवाज सुन ली और वह बाहर ड्रोइंग-रूम में आ गई!

” चलो रेखा!…जल्दी चलो!..आपकी दादी और तुषार घर में अकेले है!” सुरेखा की मम्मी ने कहा…

” मम्मी!…नीरज भैया और नकुल आप के साथ मंदिर जा रहे है?” सुरेखाने मम्मी से पूछा…

…सुरेखा और नीरज जुड़वा भाई बहन थे और नकुल और तुषार उसके छोटे भाई थे!…इस परिवार में तीन बेटे और एक बेटी थी!…मैं सुरेखा के परिवार के बारे में इतना ही जानती थी!

” मम्मी!…पापा भी जा रहे है क्या?…” सुरेखा ने मम्मी के साथ दरवाजे से बाहर निकलते हुए पूछा!

” हद हो गई तेरी तो !…पापा की तो ऐसी की तैसी!…वे नहीं जाएंगे तो कार कौन ड्राइव करेगा?” …सुरेखा की मम्मी ने कहा और मुझे हंसी आ गई!

…दोनों माँ-बेटी चली गई!…फिर भी मुझे लगा कि ‘पति के बारे में सुरेखा की मम्मी ने ऐसा क्यों कहा?’…हो सकता है कि पहले उन्होंने छत्तरपुर मंदिर जाने से मना कर दिया हो और बाद में तैयार हुए तो…पत्नी को गुस्सा आना स्वाभाविक है!

…इसके कुछ दिनों बाद जब सुरेखा मेरे यहाँ शोभना बिटिया के साथ खेलने आई तब पता चला कि सुरेखा और नीरज जुड़वा भाई बहन है…लेकिन उनकी अपनी मम्मी गुजर जाने के बाद, उनके पापा ने दूसरी शादी की, जो वर्त्तमान में उनकी मम्मी है!..लेकिन सौतेली मम्मी होने के बावजूद वह उनकी सगी मौसी है…मतलब कि उसकी अपनी मृत मम्मी की सगी बहन है!

…एक दिन फिर सुरेखा की मम्मी आई!..इस बार वह मुझसे मिलने ही आई थी!..इधर -उधर की बाते हुई..मेरे साथ उसकी मित्रता भी हो गई …और हमारा मिलना-जुलना और एक दूसरी के घर आना-जाना भी शुरू हुआ!..

..सुरेखा की मम्मी का नाम कौशल्या था…सो अब कौशल्या के नाम से ही हम उसे संबोधित करेंगे!…कौशल्या को घुमने का बड़ा शौक था!…घर में बैठे रहना उसे अच्छा नहीं लगता था!…घर का सारा काम उसकी बूढ़ी विधवा सास ही देखती थी!…कौशल्या को किट्टी-पार्टिओं का भी शौक था!…नए नए कपड़ों की भी खरीदारी वह करती रहती थी!…सुरेखा को वह अपनी सगी बेटी की तरह प्यार करती थी…लेकिन पता नहीं क्यों…सुरेखा के ही जुड़वा भाई नीरज का वह तिरस्कार ही करती थी!…अपने सगे दो बेटे नकुल और तुषार को उसने महंगी फ़ीस वाले इंग्लिश मीडियम के स्कूल में दाखिला दिलवाया था…सुरेखा भी इंग्लिश मीडियम के अच्छे स्कूल में पढ़ रही थी..लेकिन नकुल के लिए सरकारी स्कूल में पढ़ना तय था!…और एक दिन नीरज को अपने मायके माता-पिता के पास पंजाब भिजवा दिया!…वे पंजाब के किसी गाँव में रहते थे..वही नीरज अब स्कूली शिक्षा ग्रहण करने लगा!

…समय गुजरता गया, कौशल्या अब मेरे सहेली थी..अपने घर की बातें बताया करती थी! ..मुझे भी मेरे नाम से ‘अरुणा” कहकर बुलाती थी! मैं जान चुकी थी कि कौशल्या अपने पति और सास की बिलकुल ही इज्जत करती नहीं थी!..पति का कारोबार अच्छा था सो उसके पास पैसो-गहनों की बहुतायत थी! एक दिन उसने एक और परदा-फाश कर दिया…

“अरुणा!..मेरी शादी मेरी मरजी के विरुद्ध हुई है! ”

“…लेकिन तुम्हारी शादी को अब बारह साल हो चले है…सुरेखा अब बारह साल की हो गई है!” मैंने कहा…

“..हाँ! समय गुजरते देर थोड़े ही लगती है?…मेरी बड़ी बहन ने सुरेखा और नीरज…दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया और वह डिलीवरी के दो दिन बाद ही गुजर गई!”…कौशल्या ने अपनी दास्ताँ बयाँ करनी शुरू की…

” बहुत अफ़सोस हो रहा है कौशल्या…कितनी दु:खद घटना है यह…”..जान कर मैंने दु:ख व्यक्त किया!

“…घर में सब परेशान थे और बच्चों की तरफ देखते हुए निर्णय लिया गया कि दीदी की जगह अब मुझे दी जाए…हमारे अन्य रिश्तेदार भी इस बात पर सहमत हो गए…दीदी की सास भी सहमत हो गई…दीदी के पति भी मुझसे शादी करने के लिए राजी हो गए!..लेकिन मुझसे किसीने नहीं पूछा कि मैं क्या चाहती हूँ!…अरुणा!…मैं इस शादी के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं थी!…मेरे बड़े बड़े, सुन्दर से अलग ही सपने थे! मुझे किसी हैंडसम राज कुमार से दुल्हे का इंतज़ार था!..मै किसी डॉक्टर या इंजीनियर की पत्नी बनना चाहती थी!…दो बच्चों की सौतेली माँ बन कर जीना, मुझे कतई मंजूर नहीं था!”

“…लेकिन भाग्य को कौन बदल सकता है कौशल्या!’ मैं बीच में बोल उठी!

“…भाग्य?..कौनसा भाग्य?…यह सब मेरे साथ मेरे मेरे माँ-बाप ने अपने स्वार्थ के लिए किया…वे जमाई ढूंढने के कष्ट से बच गए…दीदी के बच्चों की चिंता से मुक्त हो गए…मेरे दिए दहेज खर्च करने से बच गए!…आप जानती है सुरेखा के पापा मुझ से दस साल बड़े है!…पैसे वाले है तो क्या हुआ?”…अब कौशल्या तैश में आ कर बोल रही थी!

“…तो तुमने उसी समय इस शादी के लिए विरोध क्यों नहीं जताया?”‘..मैंने पूछा!

“…बहुत विरोध जताया था मैंने!…बहुत रोई…माँ-बाप के ना मानने पर आत्महत्या भी करने की कोशिश की!…एक बंजर कुँए में अपने आप को झौंकने चली गई…लेकिन किसीने पीछे से आकर पकड लिया और बचा लिया…”…अब कौशल्या रो रही थी मैंने उसे शांत किया और पानी का गिलास उसके मुंह से लगाया!

” …क्या शादी के बाद पति का व्यवहार तेरे साथ ठीक नहीं था?”

“…वह तो खुश थे!…मेरे साथ भी वर्ताव अच्छा ही था और आज भी अच्छा ही है!…जानती हो अरुणा!..मैंने उन्हें डराकर रखा हुआ है!”…कौशल्या कह रही थी!

” क्या…कैसे?”

” मै बात बात में आत्महत्या करने धमकी देती हूँ…एक पत्नी की मृत्यु से वह बेहद डरे और घबराए हुए है…अगर दूसरी भी चल बसी तो क्या होगा…यही सोच सोच कर घबरा जाते है उन्हें पसीने छूट जाते है!…मैं उनके अंदर के इसी डर का फायदा उठा कर अपनी मन-मानी करती हूँ!…मैं उनसे नफरत जो करती हूँ!”…अब कौशल्या के चेहरे पर मुस्कुराहट थी!

“…ये ठीक नहीं है कौशल्या!..अपनी सास को भी तुमने नौकरानी बना कर रखा हुआ है..और नीरज से इतनी नफरत क्यों करती हो?”

“…मेरी अपनी कोख से पैदा हुए ,नकुल और तुषार तो है ही!…नीरज की मुझे जरुरत नहीं है! वह दीदी का बेटा है ..उसकी चिंता मैंने अपने माँ-बापू पर छोड़ दी है और उसे पंजाब भिजवा दिया है!..मेरी अपनी बेटी कोई नहीं है सो मैं सुरेखा को प्यार से पाले हुए हूँ!…बड़ी होने पर धूमधाम से शादी भी कर दूंगी!…अगर अपनी बेटी होती तो सुरेखा को भी माँ-बापू के पास पंजाब भिजवा दिया होता…”…अब कौशल्या बिलकुल सामान्य हो गई थी!

“…तो तुम्हारे साथ जो हुआ…उसका तुम समाज से बदला ले रही हो…अपने माता-पिता और पति से बदला ले रही हो…और चाहती हो कि मैं तुम्हारा समर्थन करू?…तुम जो कर रही हो इसे सही बताऊँ?..बेचारी बूढ़ी सास को भी तुमने अपने बदले की आग में झौंक दिया..क्या ठीक कर रही हो तुम कौशल्या?”….मैं भी अब तैश में आ गई!

“….मै अपने इरादे की पक्की हूँ…मेरे साथ मेरे माँ-बाप, पति, सास और समाज ने जो अन्याय किया है उसका मुंह तोड़ जवाब यही है!…अरुणा!..मैं सही रास्ते पर चल रही हूँ!” ..कौशल्या अपने आप सही बता रही थी!

…इस मै कोई जवाब नहीं दे पाई!

….यह सच्ची कहानी है…पात्रों के नाम बदले हुए है!…क्या आप समझतें है कि कौशल्या अपनी जगह सही है और सही व्यवहार अपने पति. सास, बच्चें और समाज के साथ कर रही है?

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