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Champion

Published by saurabhnayyar1 in category Hindi | Hindi Story | Social and Moral with tag Dreams | son

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Hindi Story – Champion
Photo credit: pjhudson from morguefile.com

दिन भर नोट गिनते-गिनते अब सुस्ती आने लगी थी… शुरू-शुरू में खुद को नोटों से घिरे देखना, इतना बुरा नहीं लगता था… हर दिन लाखों रुपये आपके हाथों से होकर गुजरते हों, तो बुरा क्यों लगेगा ? वैसे भी इस सरकारी बैंक की नौकरी का अपना तो सुख था ही. एक सिक्यूरिटी थी, जिसके बल पे शादी हो गई, घर के लिए लोन आसानी से मिल गया.. बच्चे की एजुकेशन….सब कुछ secure तो है. …लेकिन इन सारी चीज़ों के बावजूद ना जाने क्यों इस काम से जी मचलने सा लगा है.  कुछ चीज़ें होती है, जो आपके समय के साथ आपके भीतर एक कोने में अपनी जगह बना लेती है. और फिर रह-रह के आपको कुरेदती है…यही हाल अब मेरा था.  सब कुछ अच्छा चलते हुए भी, कुछ खालीपन सा लगता था. एक जैसी दिनचर्या से ऊब सा गया था…वही रोज़ सुबह उठके नाश्ता करना, ऑफिस के लिए तैयार होना..ऑफिस आना,  साथ वालों के साथ गपशप मारना, फिर काम में जुट जाना, और ५ बजते ही, वापस घर… क्या येही सब कुछ था , जो कॉलेज पास out करने के बाद मैं करना चाहता था…?

घर पहुंच कर अलमारी खोली और स्कूल के, कॉलेज के फोटोग्राफ देखने लगा….या हूँ कहें , अपने अन्दर छिपे पिंटू को जगाने लगा… छोटे-छोटे हाथों में बड़े-बड़े prize लिए मैं खड़ा था. स्कूल से शुरू ही वो पुरस्कारों की दौड़ कॉलेज में भी जारी थी… कॉलेज छोड़े १२ साल हो चुके थे…पर कल का ही दिन लग रहा था…

“क्या लड़कियों वाले खेल खेलते हो…. इस badminton से carrier बनाओगे तुम ?-

पापा सरकारी नौकरी वाले आदमी थे, और अपने अनुभव के आधार पर अपने बेटे से भी सरकारी नौकरी की अपेक्षा रख रहे थे..

” पापा state level competition में 1st आया हूँ… छोटी बात नहीं है…”

“एक काम करो बेटा, तुम कंचे खेलो…कैरम खेलो…क्या पता आने वाले टाइम में ओलिंपिक में ये खेल भी खेले जाएँ, और तुम्हें गोल्ड मैडल मिल जाए….हैं?….क्या है तुम्हारा badminton…. ये चिड़िया को एक आदमी इधर से मारेगा, एक उधर से मारेगा…. हो गया खेल? बरखुर्दार खेल-कूद की एक उम्र होती है.  अब जिम्मेदारियों की गाडी पर सवार हो जाओ….छोटे-मोटे स्टेशन पर रुको मत….”

पापा से बहस का कोई औचित्य नहीं था…फिर भी सोचा आखिरी बार पापा के सामने अपनी बात रख लूँ…

“मैं एक बार national टीम के लिए खेलना चाहता हूँ….ऐसा मौका दोबारा नहीं आएगा पापा.”

“देख पिंटू…मेरी जितनी  saving थी, वो तुम्हारी बहनों की शादी में खर्च हो गई… अपने लिए ना सही,  माँ-बाप के रहने के लिए एक घर ले ले…कब तक किराए के घर में किश्तें भरते रहेंगे…….”  पिताजी ने फरमान सुना दिया…

दिनचर्या बदलने लगी, जिन हाथों  में बैडमिंटन का  रैकेट होता था, उसकी जगह बैंक परीक्षा की किताबें आ चुकी थी…

एक दिन रास्ते में मेरे बैडमिंटन कोच मिल गए…

“पागल मत बनो….state level का  chimpion एक looser जैसे बात कैसे कर सकता है… चलो practice के लिए” –  कोच ने मेरा हाथ पकड़ लिया…

“National level के लिए तुम्हारा नाम  recommend किया है…और कौन कहता है भविष्य नहीं है इस खेल का, अगर जीत गए तो सरकारी नौकरी में जितना साल भर में नहीं कमाओगे, उतना तुम एक महीने में कमा लोगे यहाँ….- मेरे कोच अपने शब्दों के तीर जलाते जा रहे थे, पर कोई भी तीर मुझे भेद नहीं पाया…
“sorry sir….आप और मैं ये सपने देख सकते हैं,…और उनके साथ आगे जा सकते हैं…पर अपने माँ-बाप को मैं ये सपना नहीं दे सकता, क्योंकि उनकी आँखों में पहले से ही किसी और सपने ने जगह बनाई हुई है….उन्होंने अपना जीवन हम लोगों की education और दूसरी चीज़ों जुटाने में गुज़ार दी… और अब जिंदगी के जिस पड़ाव पर वो हैं, मैं अपने सपने उन पर लाद नहीं सकता…” –   मैं वहां से चला गया. कोच की आँखें काफी दूर तक पीछा करती रहीं…
बैंक परीक्षा पहली ही बार में पास कर ली… और मुझे सरकारी नौकरी मिल गई…
“प्रकाश….खाना ठंडा हो रहा है…” – संगीता की आवाज़ ने मुझे वापस अपने घर के कमरे में लाके खड़ा कर दिया… एल्बम को वापस अलमारी में रख दिया…
एक दिन स्टोर रूम की सफाई करते-करते सिदार्थ को मेरा बैडमिंटन का  रैकेट मिल गया…
” पापा आप बैडमिंटन खेलते हो…- सिदार्थ की आँखें आश्चर्य से फैल गई….
“खेलता था, अब नहीं….” – मैंने जवाब दिया…
“पापा आप मुझे बैडमिंटन खेलना सिखाओगे….?”
मैं Sid की आँखों में देखा, और उसमें अपना चेहरा नज़र आया…
एक बार फिर से मेरी दिनचर्या बदल चुकी थी…. सुबह उठ के दोनों बाप-बेटे जमके बैडमिंटन खेलते…. Sid के अन्दर ये कला शायद पहले से ही छिपी हुई थी…इतनी जल्दी वो अच्छा खेलने लगेगा, मैंने expect नहीं किया था…
स्कूल की बैडमिंटन चैंपियनशिप से होता हुआ, वो  junior state level championship जीत चुका था…और आज उसका Junior national level championship का फाइनल था…
एक point जीतने के लिए बचा था…सारी आँखें मैच पर गड़ी थी… अचानक Sid कहीं ओझल हो गया…और पिंटू उसकी जगह field पे खेलने लगा…स्टेडियम में उसके पापा-मम्मी जोर-जोर से चिल्ला-चिल्ला के पिंटू को  encourage कर रहे थे, कोच खुश में चिला रहा था…..
“keep it up पिंटू ..”
पिंटू ने ज़ोरदार शॉट मारा और  shutlle-cock विरोधी के पाले पे जा गिरी….पिंटू की आँखें ख़ुशी से छलछला रही थी..वो मम्मी-पापा के पास भागा.
“मैं जीत गया पापा, मैं जीत गया “- पिंटू की आँखों से जब पानी की बूंदे अलग हुई, तो सामने Sid खड़ा नज़र आया. जो ख़ुशी में उछालते हुए कहे जा रहा था…
“मैं जीत गया पापा, मैं  National level championship जीत गया..”
Sid शायद नहीं जानता था, की मैच ज़रूर उसने खेला है, पर जीता पिंटू है.. मुझे नहीं समझ आ रहा था, की अपनी इस जीत को कैसे celebrate करूँ…
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