• Home
  • About Us
  • Contact Us
  • FAQ
  • Testimonials

Your Story Club

Read, Write & Publish Short Stories

  • Read All
  • Editor’s Choice
  • Story Archive
  • Discussion
You are here: Home / Hindi / PAISA HI SAB KUCHH NAHI HAI !!

PAISA HI SAB KUCHH NAHI HAI !!

Published by Captain Anuradha Jha in category Hindi | Hindi Story | Social and Moral with tag domestic violence | dowry | husband

पैसा ही सब कुछ नहीं है!!

आज संडे का दिन था, इसलिए सुबह सुबह कोई हड़बड़ी नहीं थी. सात बज चुके थे और अभी सब बस सो कर ही उठे थे. अखबार वाला भी आज देर से ही आएगा. सबको चाय का प्याला थमा कर सुकून से मैं बालकनी में अपनी चाय ले कर बैठी ही थी की सास की तीखी आवाज़ आयी “बहु, तुम्हारी छोटी बहन का रिश्ता कहीं पक्का हुआ या नहीं?”

“नहीं माँजी, अब तक तो नहीं. दो-एक जगह बात चल रही है “, दबी सी जुबान में मैंने कहा.

“अरे, हमने जो रिश्ता बताया था, वही जो सिविल डिपार्टमेंट में बड़ा बाबू है, वो तो कितना अच्छा है. अब सबका भाग्य तुम्हारी तरह थोड़े ही हो जाएगा, जो इतने बड़े घर में इतने अच्छे लड़के से शादी हो जाए. और फिर तुम्हारी बहन तो इतना अच्छा कमाती ही है, लड़का थोड़ा कम भी कमायेगा तो क्या बिगड़ जाएगा. अब पैसा ही सब कुछ थोड़े ही न है. इतना लालच भी ठीक नहीं. ज्यादा ऊँचे ख्वाब देखोगे तो कीमत भी तो ज्यादा देनी पड़ेगी”  कहते कहते माँजी के होठों पर एक कुटिल सी मुस्कान खेल गयी.

“सही कहा मांजी आपने, अब मेरी शादी की कीमत चुकाने में तो पिताजी के गांव की जमीन भी बिक गयी, जितनी जमा पूंजी थी, सब ख़त्म हो गयी, क्यूंकि उन्होंने तब भी यही सोंचा की पैसा ही सब कुछ नहीं है, बेटी की खुशी के लिए सब मंजूर था उनको. इसलिए अब छोटी बहन को देने के लिए कुछ भी न बचा. शायद पिताजी को उसकी शादी उससे कमतर लड़के से ही करनी पड़ेगी. काश आपने भी अपने बेटे की शादी के वक़्त यही सोंचा होता की पैसा ही सब कुछ नहीं है”, मेरे मन का आक्रोश मेरी होठों तक आ गया था.

“हमें तो दहेज़ के साथ साथ कमाऊ लड़की भी मिल रही थी, पर हमने कहाँ कभी पैसों को एहमियत दी. हमने तो सोंचा था की घरेलु लड़की होगी तो ज्यादा संस्कारी होगी, पर मेरा भाग्य इतना अच्छा कहाँ. सुबह सुबह बस तुम्हारे मुँह से यह खरी खोटी सुननी ही बाकी थी. मेरा बेटा भी तो जोडू का ग़ुलाम हो गया, नहीं तो उसकी बीवी को कभी हिम्मत नहीं होती मुझे यह सब कहने की“, कहते कहते वो दहाड़ें मार कर रोने लगी.

“क्या हुआ माँ? यह सुबह सुबह क्यों शोर मचा रखा है“,शोर सुन कर पति देव भी वहां आ गए.

“खुद ही पूछ ले अपनी बीवी से, अब तू मेरी बात का विश्वास थोड़े ही न करेगा. सुबह सुबह अपने बाप के कंगले होने का दोष मुझपर मढ़ने लगी है”, रोते रोते माँजी ने जवाब दिया.

खीज कर वो पति देव बोले, “क्या हुआ रीना, अब तुम संडे को भी मुझे चैन से रहने दे सकती, माँ बाप ने बड़ो से व्यवहार करने का संस्कार नहीं दिया क्या. “

“अरे वो क्या बताएगी, उसे तो बस झूठ बोलना और जबान लड़ाना आता है. मैंने तो बस उसकी छोटी बहन से डॉक्टर साब के लड़के की शादी की बात की थी. बस लगी मुझे खरी खोटी सुनाने”, सासु माँ दहाड़ उठी.

“माँजी वो डॉक्टर नहीं, हॉस्पिटल में चपरासी हैं” मेरी दबी हुई सी आवाज़ आयी…

“चटाक….”

“ख़बरदार जो दुबारा जबान चलाई तो…”

सिसकियों के बीच कभी मैं अपने भाग्य के बारे में सोंचती तो कभी सोंचती की क्या सच में पैसा सब कुछ नहीं है. आज मैं अपने पैरों पर खड़ी होती, मेरे पास खुद के पैसे होते तो क्या मैं यह सब बर्दाश्त करती…

–END–

Read more like this: by Author Captain Anuradha Jha in category Hindi | Hindi Story | Social and Moral with tag domestic violence | dowry | husband

Story Categories

  • Book Review
  • Childhood and Kids
  • Editor's Choice
  • Editorial
  • Family
  • Featured Stories
  • Friends
  • Funny and Hilarious
  • Hindi
  • Inspirational
  • Kids' Bedtime
  • Love and Romance
  • Paranormal Experience
  • Poetry
  • School and College
  • Science Fiction
  • Social and Moral
  • Suspense and Thriller
  • Travel

Author’s Area

  • Where is dashboard?
  • Terms of Service
  • Privacy Policy
  • Contact Us

How To

  • Write short story
  • Change name
  • Change password
  • Add profile image

Story Contests

  • Love Letter Contest
  • Creative Writing
  • Story from Picture
  • Love Story Contest

Featured

  • Featured Stories
  • Editor’s Choice
  • Selected Stories
  • Kids’ Bedtime

Hindi

  • Hindi Story
  • Hindi Poetry
  • Hindi Article
  • Write in Hindi

Contact Us

admin AT yourstoryclub DOT com

Facebook | Twitter | Tumblr | Linkedin | Youtube