This Hindi story is all about the behavior of our society where a women always pay for her suffering.
उसके पैर मानो जम से गए थे ,शरीर में ताकत न होने पर भी ,वो हॉस्पिटल के कमरे से निकल कर कॉरिडोर में निकल आई ,उसने सोचा भी ना था की जिस रिश्ते से जीवन भर की डोर बंधी है वो इस तरह बेमानी हो जायेगे ,अपने आँसूओ को थाम कर शैलजा ने आस पास नज़र दौड़ाई ,उसके पति सास , ससुर डॉ केमैं बैठे थे , उसकी तरफ उसकी निगाह नहीं थी ,अच्छा मौका देख कर शैलजा , वहाँ से भाग निकली । हालत के मारो का ठिकाना ,केवल मौत है ,अब तक वो यही जानती थी ,ना चाहते हुए भी उसके कदम अनजान रास्तो पर चल पड़े । बिना पति के मायके की दहलीज़ पर ,खड़ी लड़की का सम्मान क्या और मान क्या , अजीब विडंबना है शादी के समय जिसे दिल से लगा कर विदा करते है , बाद में वही अगर बिना पति के आकर मायके मे बैठ जाए तो ,समाज ,परिवार दोनों ही उसे अस्वीकृत कर देते है ।
शैलजा के लिए उसके माता पिता ने ऊचे घर का , सभ्य ,अच्छी नौकरी वाला वर देख कर विवाह किया था ।विवाह ऐसा की लोग दांतो तले उॅगली दबा ले ,समृद्धि – सुख और ऐश्वर्य , अच्छे जीवन साथी पाने की सीढ़ी ,नहीं , यह शैलजा को तब पता चला जब नितिन ने बातो ही बातों में नए घर के लिए, रुपयों का बंदोबस्त , करने शैलजा को मायके भेज दिया , और रुपयो का इंतज़ाम न होने पर अपना गुस्सा , शैलजा को पीट -पीटकर उतारा था , जब तक वो बेसुध न हो गई , आँखे खुली तो वो , हॉस्पिटल मे थी ।
अभी होश आया ही था की , उसने सुना , उसके सास ससुर व पति आपस में बाते कर रहे थे ” ऐसे कगलो से रिश्ता करने से क्या लाभ , इसे पागल खाने पहुँचा कर , दूसरे विवाह की तैयार करते है “।
ऐसा सुनते ही शैलजा के होश उड़ गये ,जान बुझ कर आँखे बंद कर वो लेटी रही, पर अब ना मंज़िल थी ना रास्ता, तभी उसे मीना की याद हो आई, उसी शहर में पास ही मीना का मकान है,रात भर शरण के लिए शायद जगह मिल जाये ये सोच कर वो मीना के घर चल पड़ी। बहुत पहचान ना होने पर भी उसे मीना की सह्रदयता पर विश्वास था
सुबह से शाम होने को आई थी, पंछी भी अपने घोसले में जा रहे थे , दिन भर के थके प्राणी घरो को लौटरहे थे ,पर शैलजा आज बेघर थी उसका आसरा छिन चुका था , माँ -बाप के पास जाती कैसे , डोली से लड़की जाती है तो कन्धों पर अर्थी ससुराल से उठती है , यही दुनिया की रीत है ,फिर जाती कैसे ? उसके माता – पिता कन्धे यूँ ही पहले से उसके विवाह में लिए क़र्ज़ से झुके हुये थे । वहाँ जा कर बोझ बनना उसे मंजूर नहीं था ।
चलते चलते उसे भान ही नहीं रहा की वो ग़लत जगह पहुँच गई है , आँखे सूज गई थी , चेहरे की थकन उाके हालात का पता दे रही थी । शरीर में हिम्मत शेष कहा थी ,वो पास के पेड़ के सहारे बैठे बैठे कब सो गई , उसे पता नहीं चला जब नींद खुली तो उसके पैर के पास सिक्के पड़े थे लोगो ने भिखारी समझ कर फेके थे ।शैलजा की आँखों में आँसू भर आये , उसने सिक्के बटोरने शुरू कर दिए ,वो भिखारी ना थी पर उसकी आँते कुलबुला रही थी, मायके में होती तो ,रोज़ उसके खाने के नखरों से माँ परेशान हो जाती थी, पर आज भूखलगने पर वो सूखी रोटी खा ने को तैयार थी,गली में लगे बल्ब ने उसकी चुग़ली कर दी , पैसे उठाते हुये कुछ शराबियो ने उसे देख लिया , हिरन आज भड़ियो की गिरफ़्त में था , बेसुध हो उसने फिर भागना शुरू किया, कुछ दुरी पर कीर्तन हो रहा था वो वही जा कर बेहोश हो गई , ये घर मीना का था ।
घर के लिए मीना का मिलना वैसा ही था जैसे भक्त को, भगवान मिल गये हो। मीना ने उसकी बातों पर विश्वास किया, विश्वास से जब विश्वास, कुछ महीनों बाद मीना ने शैलजा के पति पर कार्यवाही कर दी, वकील होने का कुछ तो फायेदा हो कह कर वो हँस पड़ी साथ ही शैलजा भी महीनो बाद मुस्कुरा दी ,आज वो मीना के साथ काम करेगी , डाल से टूटे पत्ते को ठौर मिल गया था ।विश्वास मिल गया था ।उसका दुःख लाखो स्त्रियों का दुःख होगा यही सोच कर वो अपने मायके ना जा कर मीना के साथ कदम मिला के चल पड़ी ।
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