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Water

Published by aryan in category Hindi | Hindi Story | Social and Moral with tag Dream | money | police | tears | water

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Social Hindi Story – Water
Photo credit: FlyingPete from morguefile.com

संसार में पानी की किल्लत इतनी बढ़ गई कि अपनी -अपनी सभ्यता बचाए रखने के लिए महाशक्तिशाली देशों को आपस में लड़ना पड़ा। जिसने तीसरे विश्व युद्ध को जन्म दिया। इनका शिकार विकशित देशों के साथ -साथ सभी विकाशील और गरीब देश भी थे। जँहा पानी का थोड़ा बहुत हिस्सा बचा हुआ था। नुक्लिएर वॉर इतना भयानक हुआ की जितना पानी की मात्रा उन्होंने लूटा नहीं ,उससे कंही वॉर की भेंट चढ़ गया। पचास साल पहले संसार की पॉपुलेशन जंहा सात अरब हुआ करती थी ,अब मात्र सत्तर लाख पर सिमट कर रह गई।अब नौबत मानव सभ्यता को बचाए रखने की आ गई।  पूरी पृथ्वी हरे भरे जंगलों के बजाए ,कॉन्क्रीट के सुनसान जंगलों में बदल चूका था। ग्लेशियर पिघल चुकी थी।कई  नदियों का पानी सूख चूका था ,बची हुई नदियों का पानी काला तेजाब बन चूका था। दस सालों से एक बूँद बारिश नहीं हुई थी। सूरज का तापमान सामन्य में भी 30 डिग्री सेल्सियस रहता था। सागरों ने अब पृथ्वी का 85 % पृष्ठ क्षेत्र घेर लिए था।

छोटे देशों का सफाया हो चूका था। बची हुई जनसंख्या महाशक्तिशाली देशों में अपनी -अपनी सभ्यता बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही थी। इन्हीं देशों में से एक भारत भी था ,जंहा कभी डेढ़ अरब अधिक पापुलेशन हुआ करती थी आज सिर्फ दस लाख रह गई थी। ये संख्या भी पानी की कमी के कारण तेजी से कम हो रही थी। भारत सरकार के पास पानी सिमित मात्रा  हुआ था ,इसी बचे हुए पानी से इन्हे अपनी सभ्यता आखिरी तक बनाए रखनी थी।

बचे हुए पानी को बड़े -बड़े टैंकरों में भरकर विशाल इमारतों में कड़ी सरकारी सुरक्षा में रख जाता था।यंही से पानी को ट्रकों के टैंकरों में भरकर कुछ गिने -चुने सरकारी दुकानों में ले जाया जाता था। जँहा से लोग चार करोड़ रुपये प्रति लीटर की दर से पानी खरीदते थे। जिन लोगों पास रुपया था वे अब तक जीवित थे ,और तब तक जीवित रहते जब तक उनके पास पानी खरीदने के लिए रुपया होता। सरकार ने पानी की कुछ मात्रा पाने के लिए एक नियम बनाया था ,जो व्यक्ति मरने वाला होता उसे सरकार के सैनिक उठाकर वाटर बैंक ले जाते ,जँहा उस व्यक्ति की  नसों  में मौजूद खून की हर एक बूँद से पानी बना लिआ जाता ,और उसका आधा हिस्सा उसके परिवार को दे दिया जाता ,और बाकि बचा सरकारी खजाने में जमा हो जाता।

देश के बचे हुए धनि परिवारों में बूढी रिया (उम्र 60 वर्ष ) परिवार भी आता था। उसकी एक 25 वर्ष की सुंदर ,प्यारी बेटी स्नेहा भी थी। पति का टायरों  बिज़नेस था ,उसी की कमाई से घर में रोज 2 लीटर पानी आ जाता था ,जनसे बूढी रिया का परिवार अब तक जीवित था। लेकिन एक दिन व्यापार में बहुत बड़ा घाटा हुआ ,व्यापार पूरी तरह से ठप हो गया। बैंक में जमा रुपयों से कुछ दिन घर में पानी आता रहा ,फिर सारे रूपये खत्म हो गए।किसी ने उधार देने से मना कर दिया ,रुपयों का प्रबंध कहीं से नहीं हो पाया। बूढी रिया का पति चिंता और पानी की कमी के कारन जल्दी बीमार पड़ गया। घर में पानी की एक बूँद भी नहीं बची। तीनो जनों का प्यास से बुरा हाल था। बेटी स्नेहा को पता था यदि उसके पापा को पानी नहीं मिला तो वो नहीं बचेंगे।

स्नेहा अपनी से बोली ,”माँ मैं कुछ भी करुँगी लेकिन पापा को मरने नहीं दूँगी ,मैं पानी लेकर आऊँगी।”

बूढी रिया ने अपनी बेटी को रोकने का बहुत प्रयास किया लेकिन वह नहीं मानी और घर से चली गई। बूढी रिया अपनी पति को गोद में लिए रोती रही। कुछ घंटे बाद सरकार के छह सैनिक घर के अंदर घूंसे,फिर बूढी रिया के पति को जबरदस्ती अपने  ले लिया। बूढी रिया रोती बिलखती की उसके पति को छोड़ दो अभी वे जीवित है ,लेकिन उन सैनिकों ने उसकी एक सुनी उनमे से एक बड़ा अधिकारी बोला ,”वैसे भी तुम्हारा पति कुछ देर में मरने वाला ही है ,यँहा मर गया तो इसका खून ख़राब हो जायेगा और किसी  काम नहीं आयेगा ,पर वाटर बैंक में मरेगा तो तुम्हारे और देश के लिए कुछ लीटर पानी देकर मरेगा।”

सभी सैनिक रिया के पति को वंहा से लेकर चले गए।बूढी  रिया अधमरी हालत में बस रोती रही ,फिर आँखों में ना आँसू बचे न सरीर में ताक़त बस एक ही विश कंही से एक बूँद पानी  जाए। कुछ देर बाद एक सरकारी कर्मचारी घर में आया ,वह आधे गैलन पानी बूढी रिया के हाथों में थमाकर चला गया ,प्यास ने दिमाग पर ऐसा असर किया था की उसे कुछ ख्याल नहीं रहा की वह अपने पति का ही खून से बना पानी पि रही थी। उसने झट से ढक्कन खोल और अपनी प्यास बुझ ली। जब आँखों में आँसूं लायक पानी आ गए फिर फूट फूटकर रोने लगी लेकिन अपने आँसू  बर्बाद नहीं जाने दिया ,किसी तरह जमा कर लिया।

अगले दिन फिर वही सरकारी कर्मचारी आधे गैलन पानी लेकर उसके घर आया। बूढी रिया उसे देखकर हक्का बक्का रह गई। वह बोल,”आपकी बेटी स्नेहा की हटाया हो गई उसने अपना जिस्म बेचकर एक गिलास पानी कमाया था ,जिसे लेकर वह घर लौट रही थी,तभी रास्ते में प्यासे गुंडों ने उस पर हमला कर दिया ,फिर पानी लूटने की कोशिश में उसकी हत्या कर दी।”

ये सुनते ही रिया के पैरो तले जमीन खिसक गई। वह एक बार फिर से रोने लगी। सरकारी कर्मचारी गैलन रखकर चला गया।

बूढी रिया की जीवित रहने की अब कोई वजह नहीं बची थी ,वैसे भी इतने पानी से कुछ दिन ही जिन्दा रह पाती मरना अब तय था। उसने समय से पहले ही मरने का फैसला किया ,और घर छोडकर मैन सड़क पर आ गई ,जँहा उसने देखा कई लोग प्यास से तड़प रहे थे और अपनी मौत का इंतजार कर रहे थे। सरकारी सैनिक उनके पास ही खड़े थे. जैसे ही कोई बेहोश होता , वे लोग उसे एम्बुलेंस में डालकर वाटर बैंक ले जाते।बूढी रिया बस चली जा रही थी. जब शरीर में पानी की भारी कमी हो गई तो वह सड़क पर गिर पड़ी। सरकारी सैनिक आये और  उठाकर वाटर बैंक ले जाने लगे।

रिया की आँखे बंद थी वह अपने बचपन के दिनों को याद करके मुस्कुरा रही थी। जब पानी की कोई कमी नहीं हुआ करती थी। मम्मी के साथ घंटो नहाना ,होली की पिचकारी ,झूम झूम सावन आना। फिर बूढी रिया की हाथ के नसों में शुई चुभी ,और शरिर से खून का कतरा कतरा बोतल में भरने लगा। तब उसे अपनी मौत का कारण नजर आया की कैसे बचपन में वह पानी बरबाद  करती थी।उसके पेरेंट्स बेमतलब में पानी का इस्तेमाल कर बर्बाद किया करते थे ,पर उसने न कभी खुद को रोक न उन्हें रोकने की कोशिश की। जब बूढी रिया के शरिर से खून की हर एक बूँद निकल गई ,तो उसकी दिल की धड़कन रुक गई। साँसे थम गई।

तभी अचानक उसके कानों में जोर -जोर से किसी  आई। उसकी माँ उसे जगा रही थी। जब आँखे खुली तो रिया अपने कमरे में थी। रिया एक बारह साल की प्यारी बच्ची थी ,जिसने पूरी दुनिया का भविष्य अपने सपने में देख लिया था। रिया झट से बेड से उठी और रोते हुए अपनी माँ को गले से लगाकर बोली ,”मैं इस सपने को कभी हकीकत नहीं होने दुँगी।”

रिया ने अपनी आँखों के आँसु पोछे और दौड़कर बाथरूम में गई जँहा टोंटी खुली थी ,और पानी बाल्टी से बहार रहा था। उसने झट से टोंटी बंद किया। फिर भागकर अपने गार्डन में गई जँहा उसके पापा हाथों में पाइप लिए कार को धोने वाले थे। वह दौड़ते हुए उनके पास गई ,हाथों से पाइप छिटकर दूर किया ,फिर जोश के साथ बोली ,”पापा इस राक्षस को पानी से धोने की कोई जरूरत नहीं इसे तो मैं कपड़े से ही चमका दुँगी।”

फिर प्यारी रिया ने हाथों में पोंछा लिया और कार चमकाने लगी।

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