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Diwali

Published by prerna singh in category Hindi Story | Social and Moral with tag diwali | Festival | Happiness | Kids

दिवाली

“रोहन!अब उठ भी जाओ बेटा।”

“अरे मम्मी आज तो छुट्टी है आज तो सोने दो चैन से।”

“बेटा छुट्टी तो मिली है पर सोने को नहीं खुशियां मिल बांट के मनाने को।दीवाली है आज।”
“हां मॉम, मैंने अपने सब दोस्तो को रात में ही मैसेज कर दीवाली कि बधाई दे दी थी।बस!अब सोने दो।”
“मम्मी अब आप गुमसुम सी मत बैठो।अच्छा चलो आज खाना बाहर से मंगा लेते हैं।फिर मूवी देखने चलेंगे।”
“बेटा हम तो दीवाली ऐसे नहीं मनाते थे..! तुम्हारी नई सोच वालो को क्या हो गया है?मैसेज पे दीवाली होली मनाते हो।मिठाइयां ऑनलाइन भेज देते हो।उपहार ऑनलाइन भेज देते हो।ना मिलना ना मिलके त्योहार मानना।
अच्छा एक काम करो अपने सारे दोस्तो को आज शाम बुलाओ।”

“ओह ! मम्मी।आज सब आराम करेंगे।छुट्टी में घूमेंगे,मूवी देखने जाएंगे।कोई नहीं आएगा ।”
“तुम बुलाओ तो,बोलना मूवी और खाना खिलाने मम्मी लेके चलेंगी।”
“लेकिन आप के साथ कौन जाएगा।”

“ठीक है बाबा!बोलना मम्मी किसी खुशी में हम सब को पार्टी देगी।”


शाम को रोहन के दोस्त आने लगे।मम्मी सबको गले लगा के स्वागत की।सबको अपने हाथो से मुंह में मिठाई खिलाई , माथा चूमा।सबको अजीब सा महसूस हुआ। पूरा घर मम्मी ने दियो से सजा रखा था।तभी कुछ बच्चे जो फटे से कपड़े पहने थे मम्मी के साथ आए।मम्मी ने सबको मिठाई खिलाई फिर सबको थोड़े थोड़े पटाखे दिए।जिनके जलाने से रौशनी हो रही थी पर धुआं नहीं।क्या कहते उसे! हां! इको फ्रेंडली पटाखे।बच्चे इतने खुश हुए।

सब रोहन के दोस्तो के पास आके बोले”चलो ना भैया आपलोग भी।साथ मिलकर पटाखे जलाए।”

रोहन के दोस्त ख़ुद को रोक नहीं पाए।सब साथ मिलकर पटाखे जलाएं।मम्मी भी बीच बीच में खाने का लेे आई। खाते बाते करते कब वक़्त बीता पता ही नहीं चला।

रोहन के दोस्तो ने बच्चो से पूछा “तुम लोग का घर किधर है?”

बच्चो ने कहा, ” हमसब तो अनाथाश्रम में रहते हैं।हमारे मम्मी पापा नहीं।आज आंटी जी वार्डन से पूछ के हमें लाई थी।बोली दीवाली मनाएंगे साथ। हमें बहुत मजा आया आज।काश रोज दीवाली होती!!”

रोहन के दोस्तो का में भर आया। उनलोगो ने बच्चो से वादा किया वो अक्सर मिलने आया करेंगे।फिर रोहन भाग कर अपने कमरे से टॉफी का पैकेट ले आया।सबको थोड़ी थोड़ी दी।बच्चो की खुशी देख सब खुश हो रहे थे।
मम्मी ने पूछा, “तो कैसी रही दीवाली?मूवी देखने चले?”
रोहन ने मां को जोर से गले लगा लिया।

“मम्मी मिलके प्यार बांट के जो मने वही दीवाली।मूवी तो कभी भी देख लेंगे।”
रोहन के सब दोस्तो ने एक दूसरे को गले लगाया और कहा अब आगे से मैसेज पे नहीं,साथ मिलकर मनाएंगे दीवाली।खुशी अकेले नहीं ,खुशियां बांट कर मनाएंगे दीवाली।चारो तरफ दिए कि झिलमिल रौशनी में सबके चेहरे भी झिलमिला उठे।।

–END–

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