आइसक्रीम(Ice cream): This is a Hindi story of Ramu, a poor boy and his desire for an Ice cream, a luxury for a boy like him. How, he manages to get some money for ice cream and how he becomes the victim of his rich, selfish and ignorant counterpart.
रामू एक 13 साल का लड़का है और कचरा बीनने का काम करता है ।घर की हालत ऐसी है की दो वक्त की रोटी का इंतज़ाम भी बड़ी मुश्किल से हो पाता है। पहले उनकी हालत इतनी ख़राब नहीं थी उसकी माँ घरों में काम करती थी और बाप मजदूर था लेकिन पिछली बरसात में उसकी डेंगू से मौत हो गई।इस बात को कुछ ही दिन बीते की माँ को टीबी हो गई फिर तो रामू का स्कूल भी छूट गया और इस छोटी सी उम्र में घर की ज़िम्मेदारी उस पर आ गई ।अब वो कचरा बीनता है और उसी से घर चलता है ।
कल ही रामू ने गुप्ता जी के लड़के राहुल को आइसक्रीम खाते देखा ।उसे खाते देखकर उसके मन में भी आइसक्रीम खाने की इच्छा जाग उठी तभी उसे माँ की दवाइयों का ख्याल आया आइसक्रीम भूलकर वो घर के लिए भागा ।रात को बिस्तर पर लेटे लेटे माँ से कहा अम्मा आज राहुल मुझे चिढ़ा रहा था कह रहा था तेरी अम्मा कभी खिलाती है तुझे आइसक्रीम ,”अम्मा मुझे भी खानी है आइसक्रीम “रामु ने जिद करते हुए कहा ।
अम्मा ने उसकी बात बिलकुल नज़रन्दाज़ करते हुए कहा,”जा पानी लादे मेरे लिए ,दवा भी खानी है ।”
रामू दौड़ के पानी ले आया ।माँ के दवा खाने के बाद उसने फिर अपनी बात दुहराई ।इस बार माँ ने समझाते हुए कहा ,”बेटा राहुल के पिताजी तो दफ्तर में बाबु हैं हम कहा से उनकी बराबरी करेंगे तू सो जा ।”
बिस्तर पर लेटे लेटे रामू सोच रहा था उसने आखरी बार आइसक्रीम कब खाई थी ,हाँ याद आया वो शर्मा अंकल के लड़के की शादी में । दरअसल शर्माजी के यहाँ रामू की माँ काम करती थी और शादी में बची हुई आइसक्रीम में से श्रीमती शर्मा ने रामू की अम्मा को भी थोड़ी सी आइसक्रीम दे दी थी।
अगले दिन सुबह रामू काम पर निकल गया ।सारा दिन कचरा बीनने के बाद रहमान चाचा की दूकान पर पहुंचा और कचरे का थैला दिया और पैसे लेकर घर की ऒर चल दिया ।वो रूपए गिन रहा था कि उसे पता चला की 20 रूपए ज्यादा है ।रामू की आँखों के सामने आइसक्रीम की तस्वीर उभर रही थी तभी उसे उसे याद आया की किस तरह जब वो एक बार गोलू के कंचे ले आया था तो माँ ने उसकी अच्छी मरम्मत की थी ।वो तुरंत रहमान चाचा के पास गया और बोला चाचा यह लो 20 रूपए आपने गलती से ज्यादा दे दिए थे। रहमान चाचा ने रूपए ले लिए लेकिन जैसे ही रामू चलने लगा तो उन्होंने उसे रोकते हुए कहा रामू ये ले ये रूपए तू ही रख ले कुछ खा लेना।
रामू की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था उसके कदम अपनेआप आइसक्रीम के ठेले की ऒर चल दिए वो खुश था कि अब वो आइसक्रीम खरीदेगा और माँ को भी खिलाएगा ।ठेले पर पहुंचकर उसने कहा दो दस दस वाली दे दो उसकी हालत देखकर ठेले वाले ने पूछा पैसे लाया है रामू के स्वाभिमान को यह बिलकुल भी गवारा नहीं गुजरा उसने थोडा रूख े अंदाज़ में पैसे दे ते हुए कहा ये लो ।ठेलेवाले ने पैसे लिए और रामू को एक थैली में आइसक्रीम दे दी तो रामू ने कहा चम्मच भी दो अंकल ठेलेवाले ने चम्मच देते हुए कहा ये ले अब जा यहाँ से ।
रामू बहुत खुश था ।उसका मन कर रहा था की अब बस जल्दी से घर पहुँच जाये ।काश हमारे भी चिड़िया के जैसे पंख होते तो अभी उड़ के पहुँच जाता ,वह मन ही मन बोला । वह ख़ुशी ख़ुशी घर की ऒर चला जा रहा था तभी अचानक सामने से आ रहे मोबाईल में व्यस्त लड़के से उसकी टक्कर हो गयी, उसकी थैली नीचे गिर पड़ी , आइसक्रीम अब रोड पर पड़ी थी ,पास के कुत्ते आपस में लड़ते हुए आइसक्रीम की थैली पर टूट पड़े ।लड़का जोर से रामू पर चिल्लाया देखकर कर नहीं चल सकता पूरा comment delete करवा दिया अब फिर से लिखना पडेगा, अँधा कहीं का। रामू खिसिआया सा वहीँ खड़ा था और उसकी आँख से आंसू की एक छोटी सी बूँद उसके गाल पर ढरक गयी……………………
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