I dedicate this story to one of my friend’s mother who after losing her husband didn’t lose her courage & hope . And yes undoubtedly she gave a fantastic upbringing to my friend (who is a successful engineer now ) while managing the other essential relations & activities.
आज अनंत का जन्मदिन है और इसलिए फिर एक बार पूरा घर मायूसी और मातम में डूब गया है। खेतान साहब तो अनंत के जाने के बाद वैसे ही खामोश हो गए थे और योगिता जी (अनंत की माँ) के आँसूं आज थमने का नाम नहीं ले रहे थे। सुबह आशी (अनंत की बड़ी बहन ) का फ़ोन आया था अपने माँ-बाप को सांत्वना देने के लिए पर आज तो उसकी भी हिम्मत जवाब दे गयी और वो भी फ़ोन पर फफक कर रो पड़ी।
अगर इन सब का यह हाल है तो ज़रा सोचिये की सोनाली (अनंत की विधवा) का क्या हाल हो रहा होगा। आज सुबह से ही सोनाली गुमसुम सी है और खुद को और आर्यन को (अनंत का दो साल का बेटा ) कमरे में बंद कर रखा है। यूँ तो वो रोज़ अपने सास-ससुर की हिम्मत बनाये रखती है पर आज तो वो जैसे टूट कर रोना चाहती थी। अनंत की तस्वीर को एकटक निहारे जा रही थी और बस एक ही सवाल था उसकी आँखों में कि ,”क्यूँ अनंत ? मुझे बीच रास्ते में ही मेरा साथ छोड़कर क्यूँ चले गए ?
तभी दरवाज़े पर खट -खट की आवाज़ हुई और उसका ध्यान टूटा।जल्दी से अपने आँसूं अपने दुपट्टे से साफ़ किये और दरवाज़े की और भागी। दरवाज़ा खोला तो देखा की उसकी सास अपने दर्द को अपनी आँखों में दबाये अपने चेहरे पर मुस्कान लिए खड़ी हैं। सोनाली बोली ,”मम्मी जी मुझे आवाज़ दें देती . आप बेकार में ही खुद को थकाती रहती हैं।”
योगिता जी ने कहा की ,” तू नाहक ही परेशां होती है। इस शरीर में अभी भी बहुत जान बाकि है। आर्यन अभी भी सो रहा है या उठ गया है। अगर उठ गया है तो जल्दी से तुम दोनों माँ बेटे तैयार हो जाओ। अनाथालय में सामान बांटने जाना है। ”
सोनाली ने हाँ में गर्दन हिलाई और अगले ही कुछ मिनट में वो खुद तैयार हो और आर्यन को भी तैयार कर लायी। उसके बाद योगिता जी , सोनाली और आर्यन तीनों गाड़ी में सवार हो गए। दिव्यज्योति अनाथालय पहुँचते ही वहां की मैनेजर श्रीमती संगीता बजाज से उन्होंने मुलाकात की।संगीता जी बोली ,” योगिता जी , आपका दुःख मैं ना समझ सकती हूँ और ना ही कम कर सकती हूँ। हाँ लेकिन मुझे इस बात की ख़ुशी है की अनंत के जाने बाद भी आज उसके जन्मदिन की ख़ुशी आप इन अनाथ बच्चों के बीच मनाने आई हैं। अनंत जहाँ भी होगा आप दोनों पर उसे गर्व महसूस हो रहा होगा। ”
दोनों सास-बहु ने अपने गम को थोड़ी देर के लिए भुलाकर उन अनाथ बच्चों के बीच किताबें,कपड़े और चॉकलेट्स बाँटी। थोड़ा समय संगीता जी के साथ बिताया और इसी बहाने आर्यन ने भी थोड़ी मस्ती कर ली। घर वापस आते-आते रात हो चली थी। घर पहुँचने पर नागेश्वरी (खेतान परिवार की नौकर) से पता चला की खेतान साहब ने सुबह से कुछ खाया पीया नहीं है और जाहिर है ऐसी हालत में दवाई खाने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। योगिता जी सोनाली की तरफ देख कर बोली ,”बेटा तू ही समझा उनको। अनंत के बाद अगर वे किसी की बात सुनते हैं तो वो सिर्फ तू है। वैसे भी इनकी सेहत को लेकर मुझे बहुत टेंशन रहती है।” सोनाली ने योगिता जी को हिम्मत दी और कहा ,”मम्मी जी परेशान ना हो। मैं अभी पापा जी को खाना खिला कर आती हूँ।”
उसने नागेश्वरी से खाने की थाली लगाने को कहा . और फिर थाली लेकर वो पापा जी को मिलने कमरे में पहुँच गयी। यूँ तो खेतान साहब किताब में आँखें गड़ाए बैठे थे पर मन तो अनंत की यादों को याद कर कर के जैसे खून के आँसूं रो रहा था। तभी सोनाली की आवाज़ सुनकर वो एकदम जैसे सतर्क से हो गए। वो शिकायत भरे लहज़े में बोली ,”यह क्या है पापा जी ? आज आपने खाना क्यूँ नहीं खाया ? और आज की आपकी मेडिसिन भी मिस हो गई। चलिए अब यह किताब बंद कीजिये और फटाफट खाना खा लीजिए। ” खेतान साहब अगले ही पल एक छोटे बच्चे की तरह सोनाली के सिर पर अपना हाथ रख कर फूट -फूट कर रोने लगे। बोले की,”तू कहाँ से लाती है इतनी हिम्मत। वो निर्मोही तो हमसब से नाता तोड़कर चला गया और तू है की अपना दर्द अपने अन्दर दबाए हमारे आगे पीछे घूमती रहती है। तुझे अनंत की याद नहीं सताती है क्या?”
सोनाली बोली,”पापाजी ! अनंत तो मेरे हर कण में बसे हैं। शारीरिक तौर पर वो हमारे बीच नहीं हैं पर सच तो यह है वो हम सब में ही कहीं न कहीं बसते हैं। और पापाजी आप आर्यन को कैसे भूल सकते हैं। वो भी तो आपके अनंत का ही अंश है। और रही बात हिम्मत की तो यह हिम्मत तो मुझे आपसे और मम्मी जी से ही मिलती है।मैंने अपना पति खोया है तो आप दोनों ने भी तो अपना बेटा खोया है।अगर आप लोग इतने साहस के साथ इन हालातों का सामना कर सकते हैं तो फिर मैं क्यूँ नहीं कर सकती।मैं भी तो आपकी ही बेटी हूँ ना। माना पापाजी यह रात बहुत लम्बी और काली है पर आप यूँ निराश ना हों क्यूंकि इस रात की सुबह ज़रूर होगी और वो भी नयी उम्मीद और सपनों के साथ। ”
खेतान साहब यह सब सुनकर और सोनाली की हिम्मत देखकर गदगद हो गए और मन ही मन ऊपर वाले को धन्यवाद देने लेगे की सोनाली जैसी बहु उनके जीवन में है। योगिता जी भी चुपचाप कमरे के बाहर खड़े होकर अपने मुरली मनोहर को धन्यवाद कर रही थी। थोड़ी देर के बाद सोनाली सोते हुए आर्यन को गोद में उठाये अपने कमरे में आ गयी। अनंत की तस्वीर को एक बार फिर निहारा और बोली कि ,”जानती हूँ की अब आप लौट कर कभी वापस नहीं आयेंगे पर एक बात कह देती हूँ की इस जन्म में हम बेशक जल्दी ही अलग हो गए पर अगले सात जन्मों में आपका पीछा इतनी जल्दी छोडूंगी। इस जन्म के लिए मैंने आपको माफ़ किया।बस इतनी सी इल्तजाह है आपसे की मेरी हिम्मत कभी टूटने नहीं देना ताकि जिन अधूरे कामों और जिम्मेदारियों को आप मेरे ज़िम्मे छोड़ गए हैं उनको मैं अच्छे से पूरा कर सकूँ।” और फिर आर्यन को सहलाते सहलाते वो भी नींद के आगोश में चली गयी ताकि नयी सुबह का स्वागत वो खुले दिल से कर सके।
मैं तहेदिल से सोनाली और सोनाली जैसी उन सभी लड़कियों और महिलायों को सलाम करती हूँ जो अपने जीवनसाथी का साथ छूटने के बाद भी टूटी नहीं हैं और उनके फ़र्ज़ और जिम्मेदारियां पूरी ईमानदारी के साथ निभा रही हैं। ये हमारे संस्कार और परवरिश ही है जो हर विपरीत स्तिथियों में भी हम औरतों में धैर्य और हिम्मत बनाये रखते हैं।
सोनाली तुझे सलाम !