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Jiwan Ke Badlte Rango Ki Dastan

Published by RASHMIRANI in category Hindi | Hindi Story | Social and Moral with tag beautiful | gender discrimination | married | Mother

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Hindi Story – Jiwan Ke Badlte Rango Ki Dastan
Photo credit: imelenchon from morguefile.com

नीमा आज घर से दूर जंगलों में रात के अँधेरे में खाने के लिए कूड़े की ढेर से कुछ खोज रही है। क्या खोज रही वो भी उसे मालूम नहीं। ये नीमा कौन है ? इसकी इस हालत का जिम्मेदार कौन है ? आइए इन सवालों के जबाब ढूंढने के लिए नीमा के बिती जिंदगी में झांकते है। शायद वहां से हमे जबाब मिल जाये।

नीमा के माता -पिता साधारण परिवार से थे। वह गॉव में रहते थे। उनके पिता बाहर शहर में प्राइवेट काम करते और साथ में गावं  करते में खेती भी करते थे। नीमा की दो बहने और तीन भाई थे। नीमा दूसरे नंबर पर थी। उससे पहले बड़ा एक भाई था।

नीमा दूध सी गोरी ,कद -काठी साधारण ,बाल काले घने घुंघराले चेहरे पर लटकते ,बड़ी -बड़ी कजरारी आँखें जो किसी को अपनी ओर आकर्षित कर ले और नैन -नक्श के तो कहने ही क्या बला की खूबसूरत थी। नीमा की शुरुआती प्राइमरी तक की पढ़ाई गॉव के सरकारी स्कूल में हुई। पढ़ाई में जानकारी शून्य थी ।

आगे लड़की होने के कारण पढ़ाई पर कोई ध्यान ना दिया गया। वह काफी हसमुख स्वभाव की थी। नीमा को दिन भर घर के काम करने होते। जब नीमा अपने भाई को स्कूल जाते देखती तो वह अपने माँ और भाईओं को बोलती थी की मेरे साथ ऐसा वर्ताव क्यों ? मुझे स्कूल जाने क्यों नहीं दिया जाता है । मुझे अच्छा खाना क्यों नहीं दिया जाता है ?भाई को तो तो रोज मन पसंद खाना खिलातीं हो।

इस बात पर लगभग रोज ही उसे गालियाँ और लात -घूसे की बौछार की जाती। रोती -सिसकती थोड़ी देर बाद वह माँ और भाई से बात करने के लिए तरसती रहती थी । आखिर उसके न कोई दोस्त थे। उसके घर में माँ और भाई की तूती बोलती थी। उसे घर से बाहर जाने की मनाही की गयी थी। किसी से दोस्ती करने की सख्त मनाही थी। उन दिनों उनके घर में टीवी भी नहीं था । घर के और सदस्य दूसरे घरों में टीवी देख लेते थे। उसे घर में कोई पसंद नहीं करता था। थोड़ा उसे पापा प्यार करते पर घर में उनकी हैसियत भिगी बिल्ली जैसी थी।

घर के लोग उसे बिलकुल पसंद नहीं करते थे क्योंकि एक तो लड़की ऊपर से सीधी – सादी थी ,   जिसका छल प्रपंच से दूर -दूर तक कोई वास्ता नहीं था ,जबकि माँ और भाई -बहन इस विद्या में इतने दछ थे की जैसे उन्होंने वकायदा इस कोर्स में मास्टर डिग्री हासिल की हो। नीमा के आगे खाने के नाम पर सुबह -शाम रोटियाँ फेक कर जानवरों की तरह दे दिए जातें थे । उसका क्या कुसूर था ?सीधी होना क्या गलत बात है? आज की भौतिकवादी युग में दोस्तों लोगों के मूल्यों की क़द्र नही है। ये बातें मैंने अपने जीवन के कुछ निजी अनुभव में देखा है। बचपन से आपको स्कूल ,कॉलेज में महात्मा गांधी के पद चिन्हों पर चलने की सीख दी जाती है। जब आप उन पर चलने की कोशिश करते हो तो कोई आपका साथ नहीं देता। उसके बाद भी लोग आपको वकायदा पागल या वेबकूफ की पदवी दे डालते हैं। खैर उनलोगों की मुझे परवाह नहीं। उनकी अपनी एक अलग सोच है।

अब नीमा की कहानी की ओर आगे बढ़ते हैं। नीमा के भाई -और माँ बोलते थे,  तुझे तो दुनियादारी की कोई समझ नहीं है।  ऐसी कोई बात नहीं थी। साधारण लड़की की तरह हर कार्य कुशलता से कर लेती थी। हाँ उसे बाहरी दुनिया में क्या हो रहा है ,इसकी उसे कोई जानकारी नहीं थी। होगी भी कैसे, न कोई संगी न साथी ,न पढ़ाई पूरी कराई गयी थी । वह कहाँ से ज्ञान प्राप्त कर सकती थी। भाई-माँ उससे सीधी मुंह बात भी नहीं करते थे। कपड़ो के नाम पर दो सिले समीज -सलवार दे दिए जाते। उन्ही से वह तन ढकने का इंतजाम करती थी ।

समय अपनी गति से आगे बढ़ रहा था। भाईओं की सरकारी नौकरी लग गयी। मगर हाथ में पैसे आ जाने से क्या ऐसे लोगों की मानसिकता बदल जाएगी।कतई नहीं। नीमा 25 साल की नवयुवती हो चुकी थी। माँ और भाई के लिए इस बोझ को हटाने की तैयारी की जा रही थी। एक लड़का इनकी साजिश का शिकार बना। उसे नीमा देखते ही पहली नजर में पसंद आ गयी। नीमा के भाई के द्वारा बोला गया था की लड़की पढ़ी -लिखी है।

वो दिन भी आया नीमा दुल्हन के जोड़े में सजी,मांग में सिंदूर की लाली ,माथे पर लाल बिंदिया लिए ससुराल की दहलीज पर आ चुकी थी। अपनी दुल्हन का चाँद सा मुखड़ा देख ,सास -ननदे बलाये ले रहीं था। अमित भी इतनी सुंदर जीवन साथी पाकर खुश था। शादी के सुहाग रात के समय नीमा ने अपनी दिल की बात बताई की वह पढ़ी -लिखी नही है। मेरे माँ ने आप लोगों से झूठ बोला है। अमित इतना सुनते ही गुस्से से लाल कमरे से बाहर निकल गया। रात के अँधेरे में यह सोच रहा था इतना बड़ा झूठ। उसका मन कर रहा था। अभी शादी तोड़ दे। फिर सोचता है इस की क्या गलती। इसने तो सच्चाई के साथ जिंदगी की शुरुआत करनी चाही। गुस्सा ठंडा होते ही वापस नीमा के पास गया। नीमा सो चुकी थी। नीमा को सर् को अपने गोद सुलाते हुए बोला मुझसे गलती हो गयी। वह उठ कर बैठ गयी।

नीमा शरमा गयी। अमित ने उसे अपनी बाँहों में समेट लिया। फिर दो जिस्म एक जान हो गए।

सुबह नीमा  शरम से लाल अपने बिखरे कपड़ों को सहेजने की कोशिश कर रही थी। उह कभी अपने पति को तो कभी अपने चेहरे को आईने में देख कर रात की बातें याद कर शर्म से लाल हो रही थी। इतने में कब अमित ने नींद में हीं वापस बिस्तर में खींच लिया। उसे हर चीज सपने जैसा लग रहा था। अमित ने उसे ढंग से साड़ी पहननी सिखाई। उसने नीमा के साथ  बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाया। उसने नीमा को गोवा घुमाया। उसने नीमा को समुन्द्र के किनारों पर घुमाया। नीमा डरी – सहंमी लग रहा थी की वह खो जाएगी। उसने अपने पति को जोर से पकड़ रखा था। समुन्द्र की आती लहरे पैरों के बने निशानों को मिटाते उनके पैरों को सहलाकर जा रही थी। नीमा को नए एहसास के साथ नयी चीज अच्छी लग रही थी। शाम का समय बदन को सहलाती ठंडी हवा। गोवा का समुन्द्र का किनारा हाथो में हाथ। शाम की लालिमा नीमा के चेहरे को और हसीं बना रही थी। खुली -बिखरी झुल्फें गजब की खूब सुरति पसरी थी। चारों ओर ,कहीं हाथ में वाइन की बोतल लहराते नवयुवकों और नवयुवतियों के नाचते -गाते झुण्ड , तो कहीं किनारों पर फुटबॉल खेलते बच्चे ,जवां ,कहीं डीजे की धुन पर ताल पर ताल मिलाते जोड़े। कहीं दूर मछली पकाई जा रही है। जगह- जगह बैग के स्टॉल्स ,फैशनेबुल चस्मे की दुकाने सजी है। उनलोगों ने घूमने के बाद कुछ खाया।

कुछ दिन यहां घूमने के बाद वह घर को लौटे । समय बीतता जा रहा था। अचानक नीमा के माइके वाले नीमा को थोड़ा लाड़ -प्यार दिखा रहे थे। नीमा सोच रही थी की माँ-भाई उसे प्यार करने लगे हैं पर प्यार की आड़ में नीमा से मोटी -मोटी रकम ऐंठी जा रही थी। पर उसे इसकी कहाँ सुध थी। नीमा की शादी को सात साल होने को थी। पर नीमा की गोद अभी तक सूनी थी। सास की नाराजगी दबे जुबान में वयक्त हो रही थी। सास की बातों को नीमा नहीं टालती थी।नीमा की सास ने एक दिन बेटे की अनुपस्थिति में नीमा को लेकर एक तांत्रिक के यहाँ गयी। उस तांत्रिक ने नीमा को खाने के लिए छोटी -छोटी गोलियां दी। जैसे -जैसे उन गोलियों का सेवन कर रही थी। उसकी स्थिति बद से बतर होती जा रही थी। उसका मानसिक संतुलन बिगड़ता जा रहा था।उसे शुगर ,बी.पी जैसे बिमारिओं ने घेर लिया।

अमित को नीमा का वयवहार समझ नहीं आ रहा था। अमित की माँ ने इस मोके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी । उसने अपने बेटे के आगे ये कह कर झूठे आशु गिराती की मैंने बेटे की शादी नीमा के साथ ये दिन देखने के लिए तो नहीं किये थे। दिन भर बिस्तर पर आराम करती है। मैं बूढी औरत इस उम्र में इसकी सेवा करूं। मेरी छोड़ो मेरे बेटे से सीधी मुँह बात भी नहीं करती है । ये जानबूझ कर हमलोगों को परेशान कर रही है। उसकी माँ ने कहा बेटे तू इसके साथ अपनी जिंदगी क्यों बर्बाद कर रहा है। मेरी मान दूसरी शादी कर ले। अमित उस दिन कुछ ना बोला। पर कही न कहीं वह दबी जुबान से माँ के शब्दों को बढ़ावा दे रहा था।

एक दिन अमित की माँ ने मौके का लाभ उठा नीमा से कोर्ट के कागजों पर नीमा का लिखित वयान ले लिया की अमित दूसरी शादी कर सकते हैं। अमित की माँ ने नीमा के कारनामों की लिस्ट लाकर अमित को सुना दी। मै न कहती थी की ये तुझे पसंद नहीं करती। अब तो इसने तुझे दूसरी शादी करने का आर्डर भी सुना दिया है । अब अमित के सब्र का बांध टूट चूका था।  वह अब रातों को नशे में धुत हो घर लौटता ,ना खाने की सुध नीमा की सुध। अब अमित को लगने लगा इसे तो मायके वाले भी नहीं सम्भालना चाहते हैं । अगर नीमा मुझसे खुश नहीं हैं तो मै इसके साथ अपनी जिंदगी क्यों बर्बाद करूं। उसने अगले ही दिन दूसरी शादी क़र घर आ गया नयी दुल्हन को लेकर।

नीमा की सास अपने मंसूबों में कामयाब हो गयी। नीमा के साथ नयी दुल्हन सास के साथ मिलकर उसे मरती -पीटती ,उसे खाना नहीं देती। अमित भी अब नयी दुल्हन के साथ हो लिया। उसने अपनी आँखे जैसे मूँद रखीं थी। एक दिन अमित ने अपने माँ के कहने पर नीमा के घर कॉल किया की आप अपनी बेटी को यहाँ से हमेशा के लिए ले जाएँ। उसके मायके वालों ने साफ इंकार कर दिया। शादी के बाद हमारी कोई जिम्मेदारी है ,आप उसे जिस तरह से रखें। इतना सुनते हीं अमित की माँ ने नयी बहु के साथ मिलकर रात के अँधेरे में उसे शहर दूर जंगलों में नीमा को छोड़ आये। नीमा की मानसिक स्थिति ठीक तो थी नहीं की यह घर वापस आ पाती। अमित की माँ ने बोल दिया पता नहीं कहाँ चली गयी। अमित को भी अब ज्यादा नीमा से मतलब रहा नहीं क्यूंकि नीमा की जगह उसकी जिंदगी में कोई आ गयी थी ।

रात के अँधेरे में भूख से तड़पती वह कूड़े की ढेर में से खाने की कोशिश कर रही है। क्या इस दरिंदो से भरी दुनिया में कोई भेड़िया आकर उसकी इज्जत नहीं लूट लेगा। फिर वह बचने की कोशिश में जान दे देगी।

क्या हुआ आगे नीमा के साथ ये मुझे भी पता नहीं। पर दोस्तों हमारे आस -पास ऐसी कई नीमा के साथ ऐसा हो रहा है। जिसे हमलोगों को मिलकर रोकना है। बेटिओं को शिछित करें। बेटा -बेटी में भेद -भाव ना करें।आज भारतीय महिलाएँ पूरे वर्ल्ड में कामयाबी के झंडे लहरा रही है। उदाहरण के तौर पे तत्कालीन घटना -अप्रैल 2016 बिजनेस पत्रिका फ़ोर्ब्स के सूची में भारतीय आठ महिलाओं के नाम शामिल हैं। नीता अम्बानी ,अरुंधति भट्टाचर्या ,अम्बिका धीरज ,दीपाली गोयनका ,विनीता गुप्ता ,चंदा कोचर ,वंदना लूथरा और किरण मजूमदार। एक तबका अभी भी इससे कोसों दूर हैं।

सोचा कहाँ था मैंने ये खुदा ,
जिंदगी यूं तमाम होगी।
पराये तो पराये अपनों ,
ने इस तरह बर्बाद किया मुझे।
मै किस से करूँ शिकवा -शिकायत ,
मेरा अपना कहने को कोई नहीं।

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