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KITNA PYAR

Published by BR Sunkara in category Hindi | Hindi Story | Social and Moral with tag child | Love | old man | sea beach

This Hindi story is about false affection motivated with cheating spreading around in society. People are becoming artificial and living by cheating many ways.

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Hindi Story – KITNA PYAR
Photo credit: gracey from morguefile.com

प्यार का हमेशा नतीजा प्यार होता है. इस लिये प्यार कभी बुरा नहीं होता. मगर प्यार में स्वार्थ होता है. प्यार में धोखा होता है. प्यार में कपट होता है. प्यार हमेशा स्वच्छ और साफ होना चाहिये, मगर ऐसा नहीं होता। कुछ संदर्भ ऐसे होते हैं जहां लगता है कि भरपूर प्यार मिल रहा है, पर सच कुछ अलग होता है। इस धोखे से भरे प्यार का परिणाम अच्छा नहीं होता. असली प्यार को कोई भी बुरा नहीं कहता. प्यार के नाम पर होने वाले धोखे को कौन प्यार कहेगा?  सच्चा प्यार ही प्यार है.

एक दिन मेरीना बीच (सागरतट) में हम बैठे थे.  मेरे साथ मेरा दोस्त डा. रघु था. सागर तट पर कई लोग थे. क्योंकि यह रविवार की एक शाम थी. हम देख रहे थे कि लोग सागर तट पर शाम का आनंद ले रहे थे. बीच यानी सागर तट पर टहलने के लिये आने वाले हरेक का अपना अपना अपना काम था.

कोई सागर के पानी में जाकर नहाना चाहता था. कोई उफनती लहरों में जाकर, अपने पैरों के नीचे से फिसलने वाले पानी को देखकर आनंद ले रहा रहा था. कोई अपने बच्चों को रंगीन गुब्बारे खरीदकर देने में लगा हुआ था. कुछ लोग आईसक्रीम बेच रहे थे। बच्चे आईसक्रीम खरीदकर देने के लिये बडों से मांग रहे थे.

“तुम को कोल्ड है बेटा, आईसक्रीम खाना मना है” बड़े समझा रहे थे. अच्छे बच्चे मान रहे थे। जिद्दी बच्चे नहीं मान रहे थे.

सागर तट पर घोड़े दौड़ रहे थे. बच्चे घोड़ों पर बैठने के लिये रो रहे थे. माँ-बाप बच्चों को घोड़ों पर बिठाकर टहला रहे थे. कुछ लोग पैसे खर्च करना नहीं चाहते, इस लिये बच्चों को मना रहे थे. कुछ और बहाना करके उन्हें चुप करने की कोशिश कर रहे थे.

एक औरत ने एक घोड़े वाले को रोककर पूछा, “कितना पैसा ले रहे हो?”

“घोड़े पर एक बार की सवारी के लिये हम पचास रुपये लेते हैं माँ जी!” घोड़ा वाला लड़का बोला.

“पचास रुपये ज्यादा है ना? पच्चीस रुपये लेना बेटा!” उस औरत ने कहा. मगर घोड़े वाला लड़का नहीं माना.

“हम पचास रुपये से कम नहीं लेते माँ जी, हमें भी तो जीना है ना, सब चीजों के दाम बढ़ गये हैं न माँ जी!” घोड़ा वाला इनकार के स्वर में बोला.

लाचार होकर उस औरत ने पचास रुपये देकर, अपनी लड़की को घोड़े पर बिठाया. घोड़े वाल लड़का आनंद से घोड़े को हांककर ले चला।

“सुंडल…कै मुरुकु..” एक बूढ़ा कनस्तर हाथ में लेकर चिल्लाते हुए आ रहा था.

सुंडल यानी पकाये गये मटर हैं। कै मुरुकु का मतलब है हाथ से बनाये गये मुड़ी हुई क्रंची स्नैक्स हैं. इस तरह सागर तट पर हर प्रकार की चहल पहल थी. हर कोई आनंद मना रहा था. उसी समय में एक ग्रामीण औरत आयी था. वह अकेली बैठी थी. उसका लड़का था जो चार साल का था. वह लड़का सुंडल खाना चाहता था. कै मुरुकु खरीदने के लिये जिद करके रो रहा था. घोड़े पर बिठाने के लिये जिद कर रहा था. उसकी मां पैसे खर्च करने के लिये तैयार नहीं थी. लड़के को चुप करने के लिये वह बहुत कोशिश कर रही थी. मगर लड़का चुप नहीं हो रहा था.

तभा एक अच्छा आदमी यह सब देख रहा था. उसे लड़के पर दया आयी. वह एक बूढ़ा था. अच्छे कपड़ों में था, वह बड़ा दयालू दिखाई दे रहा था. वह उस लड़के के पास गया. वह उस औरत के पास बैठा गया था. उस ने लड़के को प्यार से अपने पास लिया। उसने लड़के को सुंडल खरीदकर दिये. लड़का आनंद से सुंडल खाने लगा.

“ना..ना..सुंडल बच्चे के स्वास्थ्य के लिये अच्छे नहीं हैं…” उस औरत ने मना किया. लड़के को खाने से रोकने की कोशिश की.

“बेटी,एक दिन के लिये बुरा क्या होगा, लड़का है ना, उसे खाने दो.” उस आदमी ने कहा. उस बूढ़े की बातों में अपार प्यार था. इस लिये वह औरत कुछ बोल नहीं सकी. औरत चुप थी. उस बूढ़े ने उस लड़के को बहुत प्यार दिया. औरत को आश्चर्य हुआ. वह बूढ़ा लड़के को सब कुछ अपने पैसे से खरीदकर दे रहा था. इस जमाने में भी कुछ लोग कितने अच्छे हैं, ऐसे लोगों को देखने पर मन बहुत खुश होता है – उस औरत ने सोचा. वह मन ही मन बहुत खुश हुई.

फिर उस आदमी ने लड़के के लिये कै मुरुकु खरीदकर दिये. बच्चा बड़े संतोष से खाने लगा. फिर उसे चने, दाल, मूंगफली सब खरीदकर देने लगा. उसे आईसक्रीम भी खिलाई. औरत बहुत मना करके भी बच्चे को रोक नहीं सकी.

“दादा जी… दादाजी…” कहते हुए वह लड़का उस बूढ़े आदमी के पीछे भागने-दौड़ने लगा.

“ना..ना..” कहते हुए वह औरत उस लड़के को मना करती ही रही. लेकिन उसका कोई फायदा नहीं रहा. लड़का उस बूढ़े आदमी के पीछे दौड़ता ही रहा. उस बूढ़े ने लड़के को घोड़े पर सवारी भी करवायी. घोड़े के पीछे दौड़कर सावधानी बरती कि बच्चा कहीम गिरन जाये. यह सब उस लड़के की मां देख रही थी. कितना प्यार. वह औरत उस बूढ़े आदमी के प्गयार को देखकर दगद हो गयी.

शाम हुई.

“बाबा, अब घर जाने का समय होगया. बहुत बहुत धन्यवाद. आप ने मेरे लड़के को बहुत प्यार दिया. णैं इसे भूल नहीं सकती.” उस औरत ने बूढ़े आदमी को धन्यवाद दिये. फिर उससे विदाई ली. उस बूढ़े आदमी को इस प्धरकार न्यवाद देकर वह औरत लड़के को लेकर घर की अोर लौटी। थोड़ी ही देर में वह घर पहुंच गयी.

घर आने पर उसकी माँ ने पूछा, “सागर तट का आनंद भरपूर लिया है ना बेटी ?”

“हाँ माँ, बहुत सा आनंद लिया.” उस औरत ने कहा।

फिर उस बूढ़े आदमी के बारे में उस औरत ने अपनी माँ को बताया. उसकी वह बहुत तारीफ करने लगी. उस औरत की माँ को विश्वास नहीं हो रहा था. तभी उस औरत की माँ ने लड़के के गले में देखा.

“बबलू के गले सें सोने की चेन पहनाकर गई होना? वह सोने की चेन जो पच्चीस हजर में मैं ने खरीदी थी, वह चेन कहाँ है?”

बबलू की माँ एकदम हैरान थी. वह तभी उस चेन के बारे में सोचने लगी. उसे संदेह ही नहीं आया कि बबलू के गले में चेन है, बूढ़ा उसे चुरायेगा.

“उस बूढ़े ने कितना प्यार दिखाया? देखा ना? उसने हमारे बबलू के गले से पच्चीस हजार की चेन चुरा ली. प्यार मुफ्त में नहीं आता है न?…” उसकी माँ ने कहा.

प्यार का मूल्य चुकाया गया, इस लिये बबलू की माँ कुछ बोल नहीं सकी.

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