Such persons who don’t clear liability in time rather go on increasing so careless for household work.They have to face problems none washes when shed tears
हम अपने दैनिक जीवन में कुछेक लोगों को कहते हुए सुनते हैं कि उनके ऊपर मुसीबतों का पहाड़ है . समझ नहीं आता कि कैसे छुटकारा मिले इससे . ऐसे लोग अपने भाग्य को कोसते हैं या ईश्वर को दोष देते हैं . आत्मचिंतन या आत्मआंकलन से जी चुराते हैं या घबडाते हैं . प्राकृतिक आपदा को छोड़कर बाकी सभी मुसीबतें हम खुद पैदा करते हैं , जब एक –एक कर यह जमा होती जाती है और ज्यामितीय दर / क्रम में बढ़ती जाती है और एक दिन पहाड़ का रूप / आकार ले लेती है तो हम कहते फिरते हैं कि हम पर मुसीबतों का पहाड़ आ गया , अब हम क्या करें , क्या न करें .
चलिए , चलते हैं ऐसे लोगों के पास :
एक : साफ़ – सफाई , रंग – रोगन , रख – रखाव व देख – रेख
श्रीमान क के यहाँ गया तो देखा नौकरानी घरों में झाड़ू देती हुयी कूड़ा – करकट दरवाजे के बाहर निकालकर एक किनारे जमा कर देती है . अब वही हवा के झोंकों से उड़कर दरवाजे के सामने आ जाता है.
घर की दीवार का प्लास्टर गिर रहा है . दीवारें , दरवाजे , खिड़कियाँ आदि बदरंग हो रहे हैं
घर के फर्नीचर टूट- फूट रहे हैं .
कपडे की आलमारी में कागज़ – पत्र और कागज़ – पत्र की आलमारी में बैग , सूटकेस , बिजली का सामान , पुरानी रेडिओ , केसेट , क्रोकरी आदि .
ये भाई साहब को सब कुछ मालुम है , लेकिन निश्चिन्त हैं . आधार कार्ड बनाना है. जन्म तिथि के प्रमाण के लिए मैट्रिक का प्रमाणपत्र चाहिए . सप्ताह भर से खोज रहे हैं . नहीं मिला . हाथ जोड़कर जन्म – साल लिखवा दिए . किसी तरह काम चलने के आदी हैं ये सज्जन , परिणाम से इनको कोई मतलब नहीं . लड़के का बैंक एकाऊंट खोलवाना है, बिजली या पानी का कनेक्सन लेना है . एड्रेस प्रूफ चाहिए. आवासीय प्रमाण पत्र बनवाने के लिए प्रखंड का चक्कर काट रहे हैं .
कुटुंब वाले उनकी लडकी को देखने आनेवाले हैं . आगामी रविवार को शुबह दस बजे आयेगें .रंग – रोगन , साफ़ – सफाई दिन – रात हो रही है. रात भर सज्जन सोते नहीं हैं , जाग कर काटते हैं . कोई मिल जाए , तो मत पूछिए एक ही तावा बजाते हैं , एक ही रोना रोते हैं : मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है . ख : सरकारी देनदारियों का भुगतान ये सज्जन ख बेमिशाल हैं . सरकारी देनदारी से अपने को दूर ही रखते हैं . आयकर या विक्रय कर जबतक सर के ऊपर से पानी नहीं बहता तबतक इनके कानों में जूं तक नहीं रेंगती . भुगतान के लिए नोटिस मिलती है तो रात – रात भर नहीं सोते – चिंता – फिक्र से. बिजली का बिल करीब दो सौ पचास रुपये मासिक . पानी का बिल करीब दो सौ रुपये त्रेमासिक .
हज़ारो रुपये बकाये हो गये . इनको कोई चिंता – फिक्र नहीं . ये कहते हैं और लोगों के बकाये की राशि इनसे ज्यादा है , जब उन्हें चिंता नहीं तो इनको क्यों ? बिजलीवाले लाईन काट दिए हैं ऊपर से ऑर्डर है. इस गर्मी में रात भर बैठे – बैठे काट दिए . पत्नी एवं बाल – बच्चों का कोपभाजन बने सो अलग . दो – तीन दिन से रि-कनेक्सन के लिए ऑफिस का चक्कर लगा रहे हैं . पानी का कनेक्सन कब कट जाय कोई निश्चित नहीं . जिस जमीन पर घर है , उसका लगान देनी की जरूरत नहीं समझते . उनके अनुसार सर्व भूमि गोपाल की . जीवन वीमा थोक के भाव में करवा लिए हैं . प्रीमियम वक़्त पर नहीं दे पाते. कई पोलिसी लेप्स हो गयी – कई प्रतीक्षा – सूची में है. दो बच्चे स्कूल में और एक बच्ची कालेज में पढ़ती हैं . परीक्षा में बैठने से वंचित करने की सूचना जब मिलती है तो फीस का भुगतान करते हैं . पूछने पर बताते हैं : आजकल फीस इतनी बढ़ गयी है कि देना मुश्किल होता है. हमारे समय में फीस आने में थी , अब तो पांच सौ और हज़ार के नोट भी कम पड़ते हैं . ऐसे लोगों से आप बहस करेंगे तो हथियार डाल देंगे – ऐसा मेरा अनुभव है.
17 सितम्बर विश्वकर्मा पूजा का दिन था . मैंने अपनी स्कूटी और मारूती 800 बाहर धोने के लिए निकाली तो सज्जन व्यक्ति मिल गये – गर्व से बोले :
भाई साहब ! घर तरफ शाम को आईयेगा .
क्यों , कोई विशेष बात ?
हाँ , विशेष ही समझिये .
लडकी का रिश्ता पक्का हो गया क्या ?
वो बात नहीं है . क्या बताऊँ , वो नशीब कहाँ ?
प्रॉब्लम क्या है ?
वर मिलता है तो घर नहीं और घर मिलता है तो वर नहीं . और …
और क्या ?
जहां दोनों मिलते हैं , 15 – 20 मांगता है . वो तो मेरा मांस बेचने से भी जोगाड़ नहीं होगा.
तो कोई साधारण परिवार , परन्तु अच्छा सा वर देखकर शादी क्यों नहीं कर देते ?
ऐसा होता है क्या ? लडकी का रिश्ता हमेशा अपने से ऊँचे खानदान और पैसों वालों के साथ करना चाहिए . और मेरी तो बस एक ही लडकी है.
आप की लडकी अभी तो कालेज में पढ़ रही है . ग्रेजुयेसन तो करने दीजिये , फिर शादी कर दीजियेगा . दिक्कत क्या है ?
भारी दिक्कत है . तब तो जोड़ का लड़का मिलना मुश्किल हो जाएगा . मिलेगा भी तो वही 15 – 20 में . हो सकता है , महंगाई और बढे तो दहेज़ का रेट भी बढ़ सकता है. 20 – 25 हो जाए . तब तो बे फजूल 5 की चपत लग जायेगी. देखते नहीं पेट्रोल – डीजल का दाम पहले साल में एकबार बढ़ता था , अब रोज ब रोज बढ़ते जाता है.
एक बात पूंछू ?
जरूर पूछिये , शौक से पूछिए .
आप को देखता हूँ हमेशा आर्थिक संकट में रहते हैं .
व्यापार में ये सब आम बात है . ये सब चलता रहता है.
अच्छा आज किस खुशी में ?
एक नयी गाडी ली EMI स्कीम के अंतर्गत .
आप के पास तो बाईक है ही , फिर यह जहमत ?
लडका देखने जाना पड़ता है . अपनी कार रहेगी उसका …
समझ गया . तो आज पूजा … प्रसाद खिलाने …
हाँ . जरूर आईयेगा .
अब इनको कौन समझा सकता है ? सज्जन व्यक्ति जो ठहरे !
हमारे समाज में ऐसे हजारों सज्जन मिल जायेंगे जिनके सर पर मुसीबतों का पहाड़ है . ये पहाड़ एक दिन में नहीं हुआ , बल्कि कई महीने , कई साल लग गये . सोच और समझ की कमी . आडम्बर और दिखावा , झूठी शान – शौक़त , मिथ्याभिमान ऐसे कुछेक ठोस कारण हैं जो व्यक्ति को सुख – शांति व चैन से जीने नहीं देता . विडम्बना है कि हम फिर भी शेखी बघारने से बाज नहीं आते . हम आदत से लाचार जो हैं !
लेखक : दुर्गा प्रसाद , गोबिंदपुर , धनबाद , दिनांक : २१ जुलाई २०१३ , दिन : रविवार |
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