This is a Hindi story of a good nature girl who faced many troubles in her life. Finally destiny took her to happy ending…
मृदुला बचपन से कोमल स्वभाव की थी। वह किसी को अपनी बातों से कष्ट पहुँचाना नहीं चाहती। इस लिए वह बहुत कम बोलती थी। लेकिन बहुत ज्यादा सोचती थी। करती भी बहुत ज्यादा ही। इस लिए सब उसे बहुत पसंद करते थे।
ग्राम में उसकी पढाई खतम हुई। कालेज में पढने की उसकी इच्छा थी। लेकिन माँ – बाप उसे शहर भेजकर पढाना नहीं चाहते थे। क्यों कि उनकी कमाई इतनी नहीं कि उसकी पढाई के लए खर्च कर सकें। मृदुला का पिता मोहन सिंह एक मामूली किसान था। उनका एक छोटा घर था। मृदुला की माँ कमला सालों से बीमार थी। उसकी सेवा करना या रसोई में उसकी सहायता करना मृदुला का ही काम था। इसी में उसे काफी संतोष मिलता था।
“मां, मैं कालेज जाकर पढना नहीं चाहती। मैं पढकर क्या नौकरी करने वाली हूँ?” मृदुला ने कहा।
कमला जानती थी कि मृदुला ऐसा क्यो कह रही है।
“मैं जानती हूँ बेटी, पढाई से तुम बडी बन सकती हो। तुम नौकरी न करो, फिर भी पढाई से तुम बडी बनोगी, यह मैं जानती हूँ। लेकिन, अफसोस है तुम्हारे पापा तुमको पढा नहीं सकते।” मृदुला की माता ने कहा।
मृदुला ने बात को बढाया नहीं। वह नहीं चाहती कि माता इस के लिए दुखी रहे।
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एक दिन मोहन सिंह आनंद से घर आया। उसके हाथ में लड्डू की बक्स थी।
“कमला, मेरी लडकी भाग्यवान है। वह मंगेतर बन गई है, बब्बर सिंह की।” मोहन सिंह ने खुशी से कहा।
कमला को मालूम था कि बब्बर सिंह एक आवारा लडका है। पढाई नहीं, खेत में काम भी ठीक से नहीं करता, इस लिए उसका पिता राम सिंह उससे बहुत परेशान था। आखिर यही बेकार लडका मेरी लडकी का पति बनने वाला है, यह सोचकर कमला मन ही मन दुखी हुई।
जो होना था सो होना ही चाहिए। एक दिन मृदुला बब्बर सिंह की मंगेतर बन गई। घर में लोगबाग आये, जश्न मनाया। ग्राम में सब लोग सोचने लगे कि मृदुला जैसी सुंदर और कोमल लडकी के लिए बब्बर सिंह से अच्छा लडका मिलना चाहिए। लेकिन नसीब को लिखना किसके बस का काम है ?
मृदुला अच्छी लडकी थी। इस लिए उसने सोचाकि बब्बर सिंह की पत्नी बननी है तो वही होगा। उसे इस बात पर कुछ दुख नहीं था।
कुछ महीने बीत गये। एक दिन मृदुला का पिता लाश बनकर घर पहुँचा। खेत को जाते समय रास्ते में जहरीले सांप की पूँछ पर उसका पैर पडा, सांप ने उसे डस लिया। बहुत समय तक किसी को इस बात का पता नहीं चला। मोहन सिंह के बगल वाले खेत में कटाई हो रही थी। मजदूर काम के लिए जाने लगे तो उनकी नजर मोहन सिंह पर पडी। तब तक उसकी जान चली गई थी।
कमला बहुत रोयी। मृदुला चुप थी जो कमला से ज्यादा दुखी थी। लेकिन जो होना है, उसको रोकने वाला कौन होगा। मृदुला ने यही सोचा।
कमला मृदुला की शादी की प्रतीक्षा कर रही थी। बब्बर सिंह ने कहा कि वह अभी शादी नहीं करेगा। वह इंगलैंड जा रहा था। वहाँ थोडे दिन रहकर वापस आएगा, तब शादी करेगा।
मोहन सिंह का छोटा सा खेत था। उसकी देखरेख का काम उसका छोटा भाई लछमन सिंह करता था। माँ बेटी घर पर कुछ साग-सब्जियाँ उगाकर, थोडा पैसा कमा रहे थे। इस तरह कुछ साल बीत गये।
एक दिन कमला की तबीयत बहुत खराब थी। गाँव का डाक्टर अमर शर्मा ने मृदुला से कहा कि कमला अब कुछ दिन का मेहमान है, उसकी सांस कब रुक जाएगी, यह बताना मुश्किल है। मृदुला की आँखों से आँसू भी नहीं निकले, अंदर ही अंदर सूख गये।
एक सप्ताह भी नहीं गुजरा।
कमला ने मृदुला को पास में बिठाकर कहा, “बेटी, मैं ने नहीं सोचा कि हमें इतने बुरे दिनों से गुजरना पडेगा। तेरी शादी हो जाती तो मैं चैन की नींद सो जाती। लेकिन.. बेटी…” यह कहते-कहते कमला की सांस रुक गई।
पहली बार मृदुला बिलख बिलखकर रोयी। लेकिन कुछ नहीं हुआ। चाचा ने कहा कि मृदुला अपने घर आ जाये। लेकिन मृदुला नहीं मानी।
“चाचा जी, आप मेरी चिंता मत कीजिए। यह घर तो मेरे बाप का बनाया हुआ है। यहीं मुझे शांति मिलेगी। खाने पीने के लिए खेत का काम तो आप खुद संभाल रहे हैं। फिर मेरी क्या तकलीफ है? मुझे यहीं रहने दिजिए।” यह कहकर मृदुला ने उन्हें शांत किया।
इस तरह मृदुला के जीवन का सफर गुजर रहा था।
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मृदुला की एक सहेली थी कामिनी। दोनों स्कूल में शाथ साथ पढती थीं। फिर कामिनी कालेज में दाखिल हुई। डिग्री के बाद कामिनी वापस ग्राम में चला आयी। वह ग्राम के मुखिया की बेटी थी।
रोज दोपहर को खाना खाकर कामिनी मृदुला के घर आती थी। दोनों कई बातें करते थे। कामिनी की वजह से मृदुला के दिन आनंद से कटने लगे।
लगभग दस साल बाद बब्बर सिंह इंगलैंड से वापस आया। अब वह बहुत बदल गया था। सूट, हैट, मोटर गाडी। और तो और बोलने का तरीका भी बदल गया। जो नहीं बदला था, वह था उसका मोटा- तगडा चेहरा और भारी भरकम बदन। पहले दिन जब वह मृदुला के घर आया, तब मृदुला कामिनी के साथ बातों में चहचहा रही थी। अचानक बब्बर सिंह को देखकर वह कुछ घबरा गयी।
उसे बैठने के लिए कुरसी दिखायी। बब्बर सिंह सिंह बैठ गया। उसने पहली बार कामिनी को वहीं देखा। वह उसी से बात करने लगा जैसे वह उसकी पुरानी दोस्त है।
“यह बब्बर सिंह जी हैं। तुम जानती हो, मैं इसकी मंगेतर हूँ।” मृदुला ने कहा।
फिर बब्बर सिंह सप्ताह में एक बार आता था। फिर पंद्रह दिन में एक बार आता था। दो टूक बातें और वापस जाता था। मृदुला एक लडकी थी। उसने सब कुछ खो दिया। सिर्फ एक ही आशा थी कि बब्बर सिंग आएगा और उस से शादी करेगा।
अब बब्बर तो आ गया, मगर शादी की बात उसके मुँह से नहीं आ रही थी। मृदुला परेशान थी।
एक दिन कामिनी ने रोते हे कहा –
“तुम्हारा बब्बर मेरे पीछे पडा। तुम जानती हो, तुम उसकी मंगेतर हो। मैं शहर में एक लडके से प्यार कर रही हूँ। इस भालू के साथ रिश्ता मुझे पसंद नहीं है। मेरे पिताजी इससे शादी करने के लिए मुझे बहुत परेशान कर रहे हैं।”
यह सुनकर मृदुला रो भी नहीं सकी।
बस कुछ दिन बीत गये। एक दिन ग्राम में एक बात जंगली आग की तरह फैल गयी।
कामिनी घर से भाग गई है। उसे ढूंढने के लिए अपनी इंपोर्टेड मोटर गाडी में बब्बर सिंह भी चला गया।
यह सुनकर मृदुला मन ही मन हँसने लगी।
मिस मेरी शहर से आकर ग्राम में टीचर का काम कर रही थी। उसे कंप्यूटर का ज्ञान भी था। कुछ महीनों से मृदुला उसके पास कंप्यूटर की पढाई करने लगी।
“तुम बहुत होशियार लडकी हो, मनृदुला। कंप्यूटर का नालेज बहुत जल्दी पकड गयी हो। अब तुम आसानी से कंप्यूटर आपरेट कर सकती हो।हाँ, शहर में मेरे भय्या का एक कंप्यूटर सेंटर है। अगर तुम चाहती हो तो वहाँ मैं तुम्हें काम दिला सकती हूँ। जाना चाहती हो तो बताओ।”एक दिन मिस मेरी ने मृदुला से कहा।
मिस मेरी की बातों पर थोढे दिन सोचकर, मृदुला ने एक निर्णय ले लिया।
वह शहर चली गई। मिस मेरी के भय्या की कंप्यूटर सेंटर में मृदुला नौकरी में लग गई।
*****
मिस मेरी का भैया पढा-लिखा था, पैसे वाला था। वह एक अच्छा लडकी था। उसने मृदुला को पसंद किया।
उन दोनों की शादी पक्की हुई।
कामिनी की उसके दोस्त के साथ शादी हो गई। बब्बर सिंह हताश हुआ, फिर वापस आकर, मृदुला से शादी करना चाहा। आखिर वह तो उसकी मंगेतर ही तो था।
जब उसे मालूम हुआ कि मृदुला शहर में काम कर रही है, बब्बर सिंह उस से मिलने के लिए जल्दी अपनी इंपोरटेड मोटर गाडी में शहर पहुँचा। लेकिन तब तक मृदुला की भी शादी हो गई।
“यह सरासर धोखा है।तुम ने मुझे धोखा दिया, तुम मेरी मंगेतर हो ना?” बब्बर सिंह ने पूछा।
“तुम्हारे लिए मैं ने पूरे दस साल प्रतीक्षा की। तुम वापस आकर भी कामिनी के पीछे पड गये हो। मैं आपको दिखाई नहीं पडी। क्या यह धोखा नहीं है श्रीमान बब्बर सिंह जी?” मृदुला ने पूछा।
लज्जा के मारे बब्बर सिंह का चेहरा लाल टमाटर बन गया। सब हँसने लगे तो बब्बर ग्राम को वापस निकला। लालाट पर जो लिखा होता है, उसे मिटाना किसी के बस का काम है?
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