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Nothing wrong in drinking little!

Published by Durga Prasad in category Funny and Hilarious | Hindi | Hindi Story | Social and Moral with tag alcohol | hospital | woman

थोड़ी सी जो पी ली है , चोरी तो नहीं की है … !:Nothing wrong in drinking little! ( Satire on Social Issue of alcoholism among a particular section of people in society. One man joined women’s rally against alcohol selling & was beaten.)

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Hindi Story – Nothing wrong in drinking little!
Photo credit: Darnok from morguefile.com

चार – पांच दिनों से रामखेलावन का कहीं अता – पता नहीं . न तो खटाल में दिखा , न ही चौपाल में . एक तो राज्य में इतनी गर्मी पड रही है कि जीना दूभर हो गया है. शुबह से ही सूरज का गोला आग उगलना शुरू कर देता है. पानी की किल्लत चारों तरफ है. लोग दिन , क्या रात , पानी के चक्कर में घूमते रहते हैं .
जिनके पास पैसे हैं , उनके क्या कहने ! . गर्मी में सर्दी का एहसास !

झगडू से पता चला रामखेलावन चार दिनों से सरकारी अस्पताल में भरती है. किसी जुलूस में शरीक होने गया था , कपार ( सिर ) फूट गया . मैं सुनते ही चल दिया . सामने ही बेड पर दिख गया .

रामखेलावन ! यह दुर्दशा किसने बनाई ?

हुजूर ! क्या बताऊँ , लाज लगता है कहने में . औरत को समझाने – बुझाने काशीपुर ग्राम गया था , बस उसी में औरतों ने सरकारी दलाल समझकर डंडा चला दिया . सर फट गया और मैं वहीं बेहोश हो गया . गनीमत थी कि एक औरत ने पहचान लिया और तुरंत अस्पताल में भरती करवा दी.

आखिर ये सब हुआ कैसे ?

विश्व महिला दिवस के अवसर पर काशीपुर की महिलायों ने अपने – अपने शराबी पतियों के खिलाफ चेतावनी रैली निकाल दी थी . एक प्रकार से जेहाद छेड़ दिया था. अब वैसे पतियों की खैर नहीं , जो शराब के दरिया में गोता लगाते रहते हैं. उनकी भी खैर नहीं , जो उन धर्मपत्नियों को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं. वे गली – गली मोहल्ले – मोहल्ले घूम कर अपने शराबी पतियों को तलाश रही हैं . अगर ये वीरांगनाएँ अपने मुहीम में सफल हो जाती हैं , तो शराब की दुकानदारी बंद हो जायेगी. दुकानदारी बंद हो जाने से राजस्व से मिलनेवाली एक मोटी आय से अपनी सरकार वंचित हो जायेगी. साथ ही साथ उत्पाद विभाग वाले दारोगा – सिपाही बेरोजगार हो जायेंगे. फिर ये महिलाएं सरकार से निपटेगी या सरकार इन महिलाओं से निपटेगी. जिसका पलड़ा भारी होगा , वही जीतेगी – महिलाएं या सरकार . उन पतियों को दूरदर्शी कहा जाना चाहिए , जो महुआ/अंगूर की बेटी को गले लगाकर एक साथ कई लोंगों की घर – गृहस्ती चलवा रहे हैं . ये ऐसे पति हैं , जो अपने घर में आग लगाकर दूसरों के घरों को आबाद कर रहे हैं . महुआ/अंगूर के दामादों का कहना है कि इन पत्नियों को घर के अन्दर कैद कर देना चाहिए . इनका काम चौका – वर्तन तक ही सीमित है. पतियों को एकजूट होने की आवश्यकता है. जो आग काशी पुर में लगाई जा रही है , उसकी आंच भी दुसरे गाँव , शहर या राज्य तक पहुँच सकती है. तो शराब का धंधा बंद हो जाएगा . तब क्या होगा बताने की जरुरत नहीं है.

फिर शराब की बात तो छोडिये , बीडी – सिगरेट , पान – खैनी या गुटका – किसी प्रकार की नशा घर के अन्दर ही करनी पड़ेगी वो भी छुप – छुप कर पैखाने या गुशलखाने में . कहीं पकडे गये तो अपनी ही धर्मपत्नी के हाथों पीटे जायेंगे . बाहर निकलकर किसी को बता भी नहीं पायेंगे , क्योंकि अपना हारा और मेहरी का मारा किसी को बताया नहीं जाता.

मैंने बीच में ही टोका : रामखेलावन ! इतनी सारी बातें ( घटनाएँ ) हो गयीं , फिर भी मुझे खबर तक नहीं . किस जन्म की दुश्मनी निकाल रहे हो मुझसे ? किसी से खबर भेज देते , तो मैं भी चलता तुम्हारे साथ , तो सर फटने से तो बच जाता.

हुजूर ! होनी को कौन टाल सकता है ? होनी प्रबल होती है . अदबदाकर आदमी फंस जाता है. मैंने सोचा घड़ी – दो घड़ी की बात है , समझा – बुझाकर झटपट लौट जाऊंगा , लेकिन फंस गया तो फंस गया . कौन जानता था कि भगवान राम उधर हिरन का शिकार करने जायेंगे और इधर सीता मैया का हरण हो जाएगा ?

ऐसा सटीक उत्तर सुनकर मैं मौन हो गया . बोला : अच्छा चलो , फिर आगे की बातें जारी रखो . उन काशीपुर के पतियों का कसूर ही क्या है ? यही न कि किसी होटल या ढाबे में बैठकर अपने दोस्तों के कहने पर पी लेते हैं . मस्ती से मध्य रात्रि में घर तो पहुँच ही जाते हैं . भले ही कभी – कभी दरवाजा न खुलने पर बाहर ही रात गुजारनी पड़ती है. वो पुराना गाना नहीं सुना ?

कौन सा , हुजूर ?

चरणदास को पीने की जो आदत न होती , तो आज मियाँ बाहर , बीवी अन्दर न सोती , वो जीर – जीर, जीरजीर ओ जीर …..!

ये गाने जब बजते थे , तब शराबी पतियों की हवा निकल जाती थी , रामखेलावन ! अमीर – उमराँव घरवाली को कान्फिडेंस में लेकर पीते हैं और जी भर पीते हैं , कुछ नहीं होता , पर ये तो काशीपुर वालों ने अपनी बीवियों को विश्वास में नहीं लिया होगा . यदि ऐसा होता , तो ऐसी घटना नहीं घटती .

हुजूर ! अपना दिमाग इतना “ घूर – पेंच ’’ की बात नहीं समझ पाता . सीधा –सादा आदमी हूँ . पोलिटिक्स करना बिलकुल नहीं जानता , नहीं तो मैं भी बैजू की तरह मंत्री नहीं बन जाता !

खैर , जाने दो . फिर आगे …?

फिर आगे ? देख ही रहें हैं अपनी आँखों से – बेड पर पड़ा हूँ चार दिनों से . सीटी – स्कैन रिपोर्ट आनी बाकी है. सबकुछ ठीक – ठाक होने से छुट्टी मिल जायेगी .
अब आप खटाल और चौपाल का हाल – चाल …?

मुझे थोड़ी सी भनक मिली थी कि जरूर कहीं आस – पास में कोई घटना घटित हुयी है , लेकिन मैं आश्वस्त नहीं था .

वो कैसे ?

वो ऐसे कि कल रात को भदरुआ रोते – कलपते मेरे पास आया और बोला :

बीवी घर से झाड़ू मार कर निकाल दी है .

कुछ उल्टा – पुल्टा किया होगा .

कलाली में दो- चार प्याली पी ली थी .

तुम तो घर में ही पीते हो . पीकर सो जाते हो भले आदमी की तरह , फिर ?

कुट्टी ( कटे हुए पुआल ) का पैसा देने श्मशान रोड से आ रहा था . कलाली रस्ते में पड़ती है . दो- चार लोग बाहर ही चबूतरे पर पी रहे थे – चखना – चबेना चबा रहे थे . देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया . मैं भी पीने बैठ गया .

बोतल पर बोतल …..?

पता नहीं .

तो क्या पता है ?

घर आया तो नज़ारा ही कुछ और था . दोनों बच्चे विलख रहे थे . घर के भीतर शराब की बोतलें ,जो छुपा कर रखी थीं , बीवी से , जमीन पर फूटी पडी थीं . वह तो साक्षात् चंडी बनी हुयी थी . जान बचाकर भागा हूँ . इधर ही लपके चली आ रही है . हुजूर ! माँ कसम , आज से शराब हाथ तक नहीं लगाऊँगा , पीने की बात तो …

भदरू ! जबतक तुम अपने आपको खुद नहीं बचा पाओगे , तुम्हें कोई नहीं बचा पायेगा . इसलिए कसम खाओ कि आज के बाद कभी नहीं पीयोगे .

देखा सचमुच में झुमकी ( भदरू की पत्नी ) हाथ में डंडा लेकर लपके आ रही है

भदरू भागनेवाला था , उसे पकड़ लिया मैंने . कहा आने दो , सामना करो , डरकर कबतक भागते रहोगे ?

गुरूजी ! देखिये , कितना मन बढ़ गया है इस हरामखोर का ! झुमकी आते ही उबल पडी .

भदरू पत्नी के सामने कसम खाओ कि आज तारीख से शराब नहीं पीयोगे .

भदरू ,देखा , कसम भी खा रहा था और कान पकड़ कर उठक – बैठक भी करते जा रहा था – राम , दो , तीन … मरता क्या न करता !

गुरु जी ! पुछ्नेपर क्या बोलता है ? … जरा दबंगता तो देखीये इस हरामजादे का .

क्या बोलता है ?

थोड़ी सी जो पी ली है , चोरी तो नहीं की है .

छिः ! छिः !! चोरी भी और ऊपर से सीनाजोरी भी !

बेटी ! आज से नहीं पीएगा , इस बात की गारंटी मैं देता हूँ . आदमी का बच्चा है , समझ गया होगा अबतक.

देखा , झुमकी घसीटते हुए भदरू को लेती चली गयी अपने साथ .

उसको अब यकीन हो गया था कि अब उसका घर खुशियों से भर उठेगा .

डाक्टर व नर्स विजिट में आ चुके थे . डाक्टर परिचित ही थे . नर्स भी मोहल्ले की ही थी. मैंने अभिवादन में हाथ जोड़ लिया .

सीटी – स्कैन रिपोर्ट में कुछ नहीं है . पेशेंट को ले जा सकते है. सप्ताह भर दवा खाने के बाद एक बार मिल लीजियेगा , जरूरी है. डाक्टर ने मेरे तरफ मुखातिब

होते हुए कहा .
फिर क्या था , डिस्चार्ज करवाकर लगले ले आया रामखेलावन को अपने साथ.  वो भी खुशी – खुशी . लेकिन मेरे मन – मानस में गाने के वे बोल गूँज रहे थे :

“ थोड़ी सी जो पी ली है , चोरी तो नहीं की है .”

 

लेखक : दुर्गा प्रसाद , बीच बाज़ार , गोबिंदपुर , धनबाद , दिनांक : ०४ मई २०१३ , दिन : शनिवार |
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