लीडर
लीडर ने उसे जो आदत लगायी थी वो ज़िन्दगी भर गयी नहीं बल्कि लीडर के जाने के बाद उनकी याद में और ज़्यादा पुख्ता हो गयी थी. तभी तो सूरज अभी तक उगा नही था. भोर का समय. कटकटती ठंड मे सब बिस्तर मे मुह ढँके सोए पड़े थे. पर ठंड मे एक कोने मे चाय का खोम्चा लगाए बैठा था एक दुकानदार. और ग्राहक कौन. रात के समय काम करते मजदूर. पर उनके अलावा एक नायाब ग्राहक रोज़ आता था चाय पीने. प्रकाश. कभी आर्मी मे था अब डिफेन्स के आड्मिनिस्ट्रेशन मे भेज दिया गया. रोज़ सुबह उल्लू की तरह जाग जाता. और दो स्वेटर एक के उपर एक डालकर बाहर आ जाता.
साहब आप इतनी सुबह सुबह उठ कैसे जाते हो?
जैसे तुम उठते हो?
हमारी तो रोज़ी रोटी का सवाल है. आप तो ऑफीसर है. आपको क्या ज़रूरत है?
मुझे इनसॉमनिया है
क्या?
मतलब मुझे नींद ना आने की बीमारी है
आपका कोई घर परिवार भी है हुज़ूर
नही कुछ नही. अपनी उम्र तो जोश और जुनून मे बिता दी लीडर के भरोसे. अब जब जवानी ढल गयी और लीडर भी नही रहे तो बड़ा सुना सुना लगता है
लीडर को हुआ क्या?
कौन जाने. कोई कहते है मार गये कोई कहते है ज़िंदा है
मेरा दिल कहता है वो ज़िंदा है पीछे से एक आवाज़ आती है. घनी दाढ़ी मच और मैइले सा चोगा पहने एक बुजुर्ग दिखाई पढ़ते है
आपकी तारीफ? प्रकाश ने कुछ नाराज़गी से पूछा
बाबा जी बैठो छाई वाला कहता है. बड़े सिद्ध बाबा है. अभी कुछ दिन पहले ही पधारे है हुमारे यहाँ
आप लीडर के बारे मे कुछ जानते भी है? प्रकाश ने बेरूख़ी से पूछा
वैसे तो कुछ नही जनता. नाम बहुत सुना है पर कभी मिला नही. जब हुमारी उम्र थी तो बहुत ख्याति थी उनकी. अपना दिल नही मानता की वो अब नही रहे
सच है. मानने का जी तो नही चाहता पर…. एरोप्लेन क्रेश के बारे मे तो सब जानते है
दुकान वाले ने कहा कुछ बताइए ना उनके बारे मे. क्या क्या हुआ उनके साथ. उनकी बात अपनी बात
ठीक है एक और चाय बनाओ फिर
मेरी और लीडर की कहानी कई साल पुरानी
उनके साथ मुलाकात तब हुई जब वो पॉलिटिक्स मे आए. तब तक हमे बस ये पता था की वो आई ए. एस ऑफीसर थे कभी पर उनके हर काम मंत्री लोग टाँग अड़ा देते थे. उनको ये चापलूसी वाली नौकरी नही सुहाई ज़्यादा पावर की चाह थी तो पॉलिटिक्स मे आ गये. दिमाग़ से बहुत तेज़ और प्रॅक्टिकल आदमी थे तो जल्दी ही एक बड़ी पोलिटिकल पार्टी मे जगह बना ली
उनकी पार्टी मेन ऑपोसिशन पार्टी थी तो जायज़ सी बात थी उनके काम का विरोध करना उनका परम उद्देश्या था. वो समय ही ऐसा था. हर जगह उथल पुथल थी. मैं उस टाइम कॉलेज मे पढ़ता था. स्टूडेंट यूनियन का मेंबर भी था. लीडर की पर्सनॅलिटी ग़ज़ब की थी. भाषण देते थे तो लगता था की अगर खून भी माँग ले तो वो भी न्योछावर कर दे. हमने कई बार उनके साथ हड़ताले की, रैलियों मे भाग लिया. तब एक बार एक पोलिटिकल मीटिंग मे प्रत्यक्ष संवाद हुआ. फिर जो साथ बना वो कभी टूटा नही
उन्होने ही मुझको कहा था की उनकी दिल की तमन्ना थी की फौज मे जाकर देश की सेवा करे. पर रिस्की प्रोफेशन था तो परिवार ने मना किया. बोला अगर देश की सेवा करनी हो सिविल सर्विस दे दे. वो मेरी भूल थी. इस देश को ज़रूरत है रेवोल्यूशन की ,आर्म्ड रेवोल्यूशन की.
उनकी इस बात का मुझपर गहरा असर हुआ. कुछ महीनो मे सी. डी. एस जॉयन कर लिया. ट्रैनिंग लेकर ऑफीसर बना. इन कुछ सालो मे लेटर्स और फोन के ज़रिए कॉंटॅक्ट मे रहे. पता चला चुनाव मे लीडर की पार्टी जीत गयी है. सुनकर बहुत खुशी मिली की चलो देश का भला होगा.
कुछ सालो बाद जब मुलाकात हुई तो उनको अप्रसन्न ही पाया
पहले विरोधियो से लड़ रहे थे अब अपने आदमियो से लड़ रहा हूँ. पार्टी का अध्यक्ष अपनी चलाए चलता है पर ये लोग सोशियल वर्कर की बहुत ज़्यादा सुन रहे है. कहता है मैं किसी पार्टी का नही सबका भला चाहता हूँ और पार्टी मे फूट दल रहा है
याद है मुझे. वो सोशियल वर्कर एक टाइम barrister था फॉरिन मे. पिछले एक दशक से राष्ट्र नेता बनकर उभरे थे. पर लीडर और उनकी कभी नही बनी
ये राष्ट्र नेता चाहता की हम दुश्मन का प्रतिकार ना करे. ये लोग देश के विद्रोहियो को दुश्मन मानते है पर बाहर के दुश्मनो को दोस्त. इनका बस चले तो आतंकवादियो से भी सुलह कर ले.
ये थोड़ी अतिशयोक्ति थी. राष्ट्र नेता शांति के दूत थे पर लीडर को मिलिटरी से प्यार था.
मेरे पोस्टिंग लीडर से दूर हुई तो कुछ टाइम तक उनसे दूरी रही. बस ये खबर आती रही की लीडर अपनी पार्टी से अलग थलग पद रहे है. पर समस्या कितनी गहरी है इसका अंदाज़ा हमे बाद मे ही लगा.
हमारे कुछ सिपाहीसिपाही सरहद पार की फाइरिंग मे मारे गये थे. जनता मे आक्रोश था. उपर से मीडीया का रोल. हमेशा यही खबर देते है की हुमारे कितने मारे हमने कितने मारे ये बात कभी सामने नही आती.
एक दिन अचानक से फोन आया. फोन पे लीडर थे. बोला मैं तुम्हारे शहेर मे हूँ. तुमसे मिलना चाहता हूँ जल्द से जल्द.
वैसे तो कैंट एरिया से बाहर जाने मे कई तरह की झंझट है पर लीडर से मिलने की ख्वाहिश ऐसी थी की मैने परवाह नही की.
तय वक़्त मे तय जगह पहुचा तो लीडर मेरा इंतेज़ार कर रहे थे
तुम्हारी हेल्प चाहिए प्रकाश
जान हाज़िर है लीडर
हन वही चाहिए. देश पर हुँले हो रहे है. कब तक चुपचाप बैतोगे
पर लीडर फाइरिंग दोनो तरफ से हो रही है
शुरू कौन कर रहा है
इस सवाल का तो कोई जवाब नही है.
ये लोग देश को बाटने के बारे मे सोच रहे है
कितने टुकड़े करेंगे और? वैसी ही दो देश बन गये हमारे देश से?
जब तक इनकी सत्ता की भूख रहेगी. देश तब तक बँटा रहेगा. ह्यूम रोकना पड़ेगा इसे
कैसे लीडर?
प्रकाश वी नीड अवर ओन आर्मी.आ गरिल्ला आर्मी
ये देश के साथ धोखा नही होगा लीडर
नही. हम देश बचाने के लिए के लिए लड़ रहे है.
अपनी सरकार के खिलाफ?
नही रेबेल फोर्सस के खिलाफ. फंडमेंटलिस्ट्स के खिलाफ और पड़ोसी देश के खिलाफ
मुझे ये काम कुछ सही नही लगा पर लीडर का विश्वास देखकर मुझे लगा की मुझे ये काम करना चाहिए. अगर सही रहा तो देश की सेवा हार भी गये तो लीडर की सेवा
मैने एक सीक्रेट मीटिंग बुलाई केवल उन लोगो की जो हुमारे काम आ सकते थे. कुछ लोग मान गये. और जो नही माने उनसे ये वचन ले लिया की वो किसी से कुछ नही कहेंगे. तय हुआ की सब कुछ कुछ दिन के अंतराल मे छुट्टी लेंगे ताकि सहूलियत हो और शक भी ना हो. जब हुमारी फोर्स जमा हुई तो पता चला की लीडर ने गांव गांव जाकर भारी संख्या मे लोगो को जमा कर लिया था.
लोग हुमारे पास काफ़ी है. हथियार और रसद आ जयगी कल तक. अभी के लिए पैसा भी है पर हमारी लड़ाई लंबी है. इतने से कुछ नही होगा. हमे सबका सहयोग और सबसे सहयोग चाहिए. लेकिन एक चीज़ जो हुमारे पास नही हैं वो है सपोर्ट. हमे किसी एजेन्सी किसी ऐसी ग्रूप का सपोर्ट चाहिए जो हमे पवर भी दे और रेकग्निशन भी. ये कहकर लीडर ने हुंकार भारी वनडे मातरम की जिससे पूरा आसमान गूँज उठा.
पर मैने जब लीडर की आर्मी जाय्न की थी तो मैं नही जनता था की लड़ाई इतनी लंबी होगी. हमने जो किया वो आर्मी और देश दोनो के उसुलो के खिलाफ था. दो महीनो की छुट्टियों मे हमने कई गॉरिला वॉरफेर के कैंप्स लगाए. हमारा लक्ष्य था की बॉर्डर पे तैनात सिपाहियो की मदद से दुश्मनो के ख़ुफ़िया ठिकानो का पता लगाया जाए. कुछ ओफ़्फिसीयल्स से बात हुई जो चोरी छुपे हमे सपोर्ट देने को तैयार थे पर ऐन टाइम पर वो दागा दे गये. कई लोग मारे गये कई लोग पकड़े गये. मैं लीडर और कुछ गिने चुने लोग भेष बदल के भाग निकले. डिसाइड किया की अब देश मे रहना ठीक नही. लीडर देश छ्चोड़ के चले गये और हम छुट्टियाँ ख़त्म होने से पहले ही रेजिमेंट लौट गये.
सरकार को हमपर शक था पर कोई सबूत न्ही था हमारे रोल का. कुछ महीनो बाद ये खबर आई की लीडर का प्लेन क्रैश हो गया और उनकी डैथ हो गयी. हुमारे अंदर का सारा जोश सारा जुनून मर गया. मैने सिर्फ़ लीडर ही नही अपना गुरु अपना दोस्त खोया था.
बोलते बोलते प्रशांत की आँखे भर आई.
कहानी अधूरी है बाबा फिर बोले
क्या?
मैने कहा तुमने पूरी कहानी नही सुनाई
तो पूरी कहानी क्या बाबा चाय वाले ने चमत्कार की आशा से पूछा.
लीडर कभी मारा नही. उसे गवर्नमेंट के कहने पर विदेश मे ही नज़रबंद कर दिया गया. लीडर के साथ के सभी लोगो को आर्मी मे भरती कर लिया गया. लेकिन एक शर्त के साथ
कैसी शर्त चाय वाले ने पूछा
सभी ठिकानो हथियारो और पैसे का पता, और दूसरा लीडर की मौत की झूठी कहानी गड़ने की. प्लेन का क्रॅश होना लीडर का मारना सब एक साजिश थी है ना मिस्टर. प्रशांत
प्रशांत झेंप गया. chai वाला बोला आप तो सिद्ध हो बाबा चमत्कार
प्रशांत चिल्लाया कोई चमत्कार नही है ये. ए बाबा बताओ कौन हो तुम
बाबा सवाल का जवाब देने की बजाय गोल घूमते रहे. विदेश से रिहा इस शर्त पर हुए लीडर की अपनी पहचान किसी को नही बताएँगे
इधर उधर घूमते भटकते अपने देश पहुँचे. इतने सालो मे लोग लीडर को मानो भूल गये थे. उसने भी क्या किया. ना पैसा था ना पहचान बाबा बन गये
अभी तक प्रशांत उनकी बात को अनसुना कर रहे थे पर ये शब्द उसके कानो मे गूँज गये. अब तक सूरज निकालने लगा था. उसने गौर से देखा. लीडर. मेरे सामने. उसे विश्वास न्ही हो रहा था अपनी नज़रो पे
जब आप किसी को अपनी पहचान नही बताते तो हमे क्यूँ बताई
बस एक सवाल पूछना था प्रकाश तुमसे? छोटा सा
क्या सवाल. प्रकाश ने बोला पर उसे भीतर ही भीतर वो सवाल पता था पर शायद जवाब नही
” you too brutus?”
और प्रकाश से कोई जवाब देते ना बना