….जिन्हें बेटियों की चिंता है! – Who Cares for Daughters: Hindi Story on Gender Discrimination
…बेटी पैदा होने पर घर में मातम मनाने वाले लोग आज के मॉडर्न जमाने भी है!…ये लोग बेटे के पैदा होने पर ढोल-ताशे बजवातें है, मिठाइयां बटवातें है, रिश्तेदारों को आमंत्रित करके जश्न मनाते है….और जिस तरीके के मना सकें, खुशियाँ मनाते है!…लेकिन बेटी के पैदा होना इनके लिए आफत खड़ी हो जाना होता है!…केवल हमारे भारत में ही नहीं दुनिया के अन्य देशों में भी यही हाल है!…हो सकता है भारत में कुछ ज्यादा प्रमाण में यह देखने को मिलता हो!
…अभी पिछ्ले वर्ष मेरा जर्मनी के अर्लांगन शहर में जाना हुआ!…मेरी बड़ी बिटिया वहाँ रहती है!…उसके यहाँ दूसरे बेटे का जन्म हुआ!…पास-पड़ोसी बधाई देने घर पर आने लगे!…साथ में बच्चे के लिए खिलौने, कपडे और अन्य उपहार भी लेकर आते थे …मुझे आश्चर्य हो रहा था कि मैं यहाँ लगभग एक महीने से रह रही हूँ..लेकिन अब तक पास-पड़ोसी कोई भी मिलने आए नहीं थे…सभी ‘रिझर्व’ हो कर अपने में मस्त ही नजर आ रहे थे..लेकिन अब बिन बुलाएं भी आ रहे है, क्या बात है!….इस पर खुशी तो मुझे बहुत हो रही थी!..सभी की आव-भगत करने और उन्हें बेसन के, देसी घी के, ड्राई-फ्रूट्स डाल कर बनाएं हुए भारतीय पद्धति के लड्डू खिलाने में मुझे बड़ा ही आनद आ रहा था!
….मेरी बिटिया ने बताया कि ‘ मम्मी!..यहाँ ऐसा ही होता है…’लड़का’ पैदा होने की खबर पा कर सभी मिलने और बधाई देने आ ही जाते है…,लड़की होने की खबर पा कर सिर्फ नजदीकी फ्रेंड्स या रिश्तेदार ही तशरीफ़ लाते है!’
…..छोटे बच्चे को मालिश कर के नहलाने के लिए रोजाना अस्पताल से एक नर्स जिसका नाम नाम ”मायके” था; आती थी!…उससे मेरी रोज बात-चीत होती थी!…एक दिन बात चल पडी तो उसने जो बताया वह उसी की ज़ुबानी सुनिए…मायके कहने लगी!
“…. मैडम!..मेरी तीन बेटियाँ है!…जब तीसरी बेटी पैदा हुई तब जो कुछ हुआ वह सुन कर आप हैरान रह जाएगी!…हुआ ये कि मेरी तीसरी बेटी ‘ एलिना’ पैदा हुई!…तीसरी भी बेटी ही हुई थी सो पास-पड़ोसियों ने मेरे घर आना बेहतर न समझा!…मेरी दूर रहने वाली दो-चार सहेलियां जरुर अपने परिवार के साथ आ कर हाल-चाल पूछ गई!…मेरी बेटी ‘ एलिना’ एक स्वस्थ और तंदुरुस्त बच्ची थी!….वह बहुत ही कम रोती थी…उसे नींद भी भरपूर प्रमाण में आती थी!…जब वह तीन दिन की हुई कि अचानक रात के ग्यारह बजे हमारी डोर-बेल बज उठी….मेरे पति विल्सन ने दरवाजा खोला तो सामने पुलिस के दो सिपाही थे!…विल्सन ने उन्हें अंदर आने दिया और आने का सबब पूछा…वे बोले..
” मि. विल्सन, क्या आप के यहाँ कोई छोटा बच्चा है?…”
“जी…मेरी बिटिया ‘एलिना’ है…वह तीन दिन की है!…बाकी दो बच्चियां बड़ी है!”….विल्सन ने बताया!
” हम एलिना को देखना चाहते है!…कहाँ है?” एक पुलिसवाला इधर-उधर देखता हुआ बोला..
“….वो गहरी नींद सो रही है..उस तरफ के बेड-रूम में…आप उसे क्यों देखना चाहते है?”…विल्सन ने आश्चर्य के साथ पूछा!
“…हमारे पास कंप्लैन आई है!…किसी ने शिकायत दर्ज करवाई है कि बच्ची के रोने की आवाज तीन दिन से बिलकुल आई नहीं है!…शिकायत कर्ता को शक है कि कही बच्ची के साथ कुछ बुरा तो नहीं हुआ…खैर!…हम बच्ची को अभी देखना चाहते है…चलिए दिखाइए!”…दूसरा पुलिसवाला कुछ सख्ती से बोला!
…विल्सन ने उन्हें रिक्वेस्ट की…. ”कि छोटी बच्ची सो रही है…आप के पास जाने से उसकी नींद में खलल पड़ सकता है, आप सुबह आइए…’ लेकिन पुलिसवाले माने नहीं और बिटिया ‘एलिना’ के पास गए!…उसके दिल पर हाथ रख कर, उसकी साँसों की जांच-पड़ताल भी की!..एलिना जाग गई और रोने लगी!…तब पुलिस वाले उसके पास से हट गए और इतनी रात को आ कर तकलीफ देने के लिए ‘सौरी’ भी कहा!.
..उन्होंने कहा कि वे अपनी ड्यूटी निभाने आए थे!…आगे बताया कि ‘कुछ लोग बेटी पैदा होने पर उस पर जुल्म ढाते है और संगीन अपराध करने तक भी नीचे उतर जाते है!..आप के पड़ोसी ने तीन दिन से बेटी के रोने की आवाज नहीं सुनी और उन्हें कुछ ‘बुरा’ होने का शक हुआ…सो उन्होंने फोन किया और हम आ गए…अब हम उन्हें बता देंगे कि ऐसा कुछ नहीं है, जो वे सोच रहे थे!’…अपनी ड्यूटी निभा कर पुलिसवाले चले गए!
अब मैंने मायके से पूछा…” क्या आप को बुरा नहीं लगा कि आपके पड़ोसी ने ऐसी हरकत की और पुलिस को बुलाया?”
” नहीं मैडम!…हमें तो अच्छा लगा कि दुनिया में ऐसे लोग भी है जो बेटियों की चिंता करते है!…वरना किस को क्या पडी होती है? ”
……नर्स मायके से यह किस्सा सुनकर मुझे भी लगा कि वाकई पड़ोसी ने जो किया अच्छा ही किया!…बेटियों की खुश-हाली की चिंता करने वाले लोग ही उन्हें उनका सही हक दिलवा सकतें है!