रुपाली आजकल बदली -बदली नजर आने लगी है। उसे नन्ही चिड़िया की चहकने में कोयल की मधुर संगीत सुनाई दे रही है। उसे तपा देने वाली गर्मियों के मौसम में बरसात सी चारो ओर हरियाली हीं हरियाली दिख रही है। गर्म चलने वाली हवा के झोकें उसे शीतल मल्हार सुना रही है। आसमान में बादलों में उसे अजीब सी मनमोहक कलाकीर्तियां अटखेलियाँ करती नजर आ रहीं हैं। उसे दिन में तारे नजर आ रहें हैं। उसे रसोई में मसालों की गंध फूलों जैसी सुगंध दे रही है। उसे आजकल किसी का गुस्सा भी प्यार नजर आ रहा है। उसे बिना बरसात के मौसम में आसमान में सतरंगी इन्द्र धनुष की छटा दिख रही है।
वह अपने को सुंदर लिवास में सजी परी के रूप में देख रही है। जो दूर गगन में उड़ती चली जा रही है। बादलों को छूते हुए,पंछियों से बातें करती ,पहाड़ों,नदियों की सीमाओं को लांघते हुए ,ना किसी की रोक – टोक,अपने को वह फूलों से हल्का महसूस कर रही है। यह उसके साथ पिछले कई महीनो से अनुभव हो रहा है। वह जब बालकनी के धूप में भी रिम -झिम फुहार पड़ती नजर आ रही है। जो उसके तन बदन को पूरी तरह भिंगो रही है। वह हर काम को बड़े प्यार से कर रही है। ये किस चीज की दीवानगी है ,आखिर ऐसा क्या चमत्कार हुआ है जीवन में। वह हमेशा की तरह आज भी अपने में मगन है। तकरीवन शाम के पांच बजने को है।
उसके स्मार्ट फोन पर ऑफिस से उसके पति का कॉल आ रहा है।
रुपाली – हैलो,
राज -कैसी हो जान?
रुपाली -क्या बात है ?आज बड़े रोमांटिक मूड में हैं जनाब।
राज -कुछ ऐसा ही समझ लो। आज आप पे दिल आ गया है।
रुपाली -आप कैसी बहकी -बहकी बातें कर रहे हो।
राज – आप मेरी वाइफ हैं ,इतना हक़ तो बनता है , मेरा।
रुपाली -हाँ बाबा हाँ ,चलो अब ज्यादा मक्खन न लगाओ। बताओ क्या बात है ?
राज -ओके मैडम ,आज आपके लिए मैंने सरप्राइज प्लान किया है।
रुपाली -क्या सरप्राइज ,प्लीज बताओ ना।
राज – थोड़ा सब्र करो जान ,इंतजार का फल मीठा होता है। शाम को आप सज -सवरकर तैयार रहना ,मै जल्द आने की कोशिश करता हूँ ,चल ओके बाय।
रुपाली को अपने कानो पे विश्वास नहीं हो रहा था ,प्रायः राज गम्भीर स्वभाव का वयक्ति है। रुपाली को याद भी नहीं की शादी के पिछले आठ सालों में उसने रुपाली से कभी रोमांटिक बातें की हों। आज क्या खास बात है। उन्होंने मुझे सज -सवरकर तैयार होने को कहा। उसने सबसे पहले स्नान किया। अपने खुले लम्बे बालों को करीने से सजाया,नाखूनों पे गुलाबी कलर के नेल पेंट लगाए ,अपने हाथों में मेहँदी लगायी ,हाथों में डिजायनर कंगन पहने ,आँखों में काजल की पतली धार लगायी और अंत में मांग में पति के नाम की सिंदूर लगायी। लो हो गयी तैयार ,रुपाली ने अपने आप से कहा.
अब राज आएंगे तो उनकी पसंद की ज्वेलरी और कपड़े पहनुंगी इतना सोच ही रही थी ,की घर में राज की इंट्री होती है। उसने आते ही रुपाली को एक गिफ्ट का सरप्राइज पैकेट दिया और बोला। आप दूसरे कमरे में जाओ और ये नयी ड्रेस पहन कर आओ। मैं जब तक ना बुलाऊँ आप इस कमरे में नहीं आएँगी। राज ने जल्दी से कमरे में नए डिजायनर पर्दे लगाए ,उसने बेड पे मखमली बेडसीट डाली। पूरे बेड पर गुलाब की पंखुड़ियों से दिल बनाया ,पूरे कमरे को बलून और फूलों और रंग बिरंगी झालरों से सजाया। पूरे कमरे को कैंडल से सजाया ,बेड के सामने एलसीडी टेलीविज़न को सेट किया। सामने टेबल पे कैंडल्स लगाए उस पे उसने रेस्टुरेन्ट से आर्डर किये हुए रुमाली रोटी ,नान ,साही बिरयानी, दाल मखनी ,मिक्स वेज ,मोमोज ,कड़ाही पनीर,सलाद और आइस क्रीम को क्रम से सजाए। और जल्दी से फ्रेश होकर रेडी हो गया।
उसने रुपाली को आवाज लगायी। रुपाली -नाउ यू कैन कम।
रुपाली ने अपने सजे हुए कमरे को देखकर ख़ुशी से उछल पड़ी। रुपाली -राज के लाये हुए गुलाबी लहंगे में क्या लग रही थी ,राज तो उसे अपलक देखे जा रहा था ,राज ने रुपाली के सर पे गुलाबों से बना एक प्यारा सा ताज पहनाया। राज ने रुपाली के उभरे हुए पेट पे गोल्डन कलर की बेबी रिबन को बाँधा। उसने टेबल पर रखे केक को रुपाली ने काटा फिर रुपाली के पेट पे बंधे रिबन को काटा। दोनों ने एक दूसरे को केक खिलाया फिर म्यूजिक की धुन पे हाथो में हाथ डाले थोड़ा डांस किया ,फिर दोनों ने कैंडल नाईट डिनर किया राज ने रुपाली को गोद में उठाकर बेड पे बिठाया। राज ने रुपाली के पेट पर प्यार से हाथ फेरा ,एक किस किया और बोला। हेलो बेबी। राज ने एलसीडी टेलीविज़न पे अपनी शादी की सीडी लगायी और दोनों ने अपनी पुराणी यादों को ताज़ा किया,और अंत में दोनों एक दूसरे को बहाने में समेटे कब नींद की आगोश में चले गए पता ही न चला। आँख खुली तो सुबह के आठ बज चुके थे। राज जल्दी -जल्दी तैयार हो ऑफिस चला गया।
राज के चले जाने के बाद घर के सारे कामो को निपटाने के बाद वह पलभर आईने के आगे खड़े होकर खुद को निहार रही है। शादी के इन पिछले आठ सालो में आज की तुलना में ज्यादा सुन्दर दिखती थी ,तब तो राज ने कभी सुंदर नहीं कहा ना ही पल भर को मुझे निहारा ,मुझे मेरा प्यार शादी के इतने सालो के बाद मिला। आज राज के प्यार की निशानी रुपाली के गर्भ में पल रहा था। वह राज के बच्चे की माँ बनने वाली है। वह छः महीने की गर्भवती महिला है ,अभी तो पहले की तुलना में थोड़ी मोटी हो गयी हूँ। फिर भी राज के लिए दुनिया की सबसे सुंदर महिला हूँ।
रुपाली ने अपने पेट के उपर हाथ फेरा और अपने बच्चे को बोलती है ,ये मेरे नन्हे शहजादे या शहजादी आप जो भी हो। मै आपसे वादा करती हूँ की आपके क़दमों में दुनिया भर की खुशिया आपके कदमों में न्योछावर कर दूंगी ,आप नहीं जानती , माँ बनना कितनी बड़ी ख़ुशी है। आप मुझे पूर्ण करने वाली है। अब तक मै किसी की बेटी ,बहन और पत्नी थी ,हर रिश्ते को बड़े सिद्दत से निभाया है और आप तो मेरे अंदर पल रहे नन्हीं सी जान हो। आपको को तो हर रिश्ते से उपर मानूंगी। आज मुझे अपना वजन बढ़ना भी दुगुनी ख़ुशी दे रहा है। ये मेरे कलेजे के टुकड़े आज जब मै हसती हूँ तो तू भी अंदर हसता होगा ,आज जब मै रोती हूँ तो तू भी अंदर रोता होगा। ये कैसा अनोखा रिश्ता भगवान ने बनाया। जब आप पहली बार मेरे गर्भ से बाहर आओगे। मै और राज आपमें अपने अक्श को ढूंढेंगे ,मै आपकी नन्हें -नन्हें हाथो और पैरो को होले से सहलाउंगी उन्हें चूमूंगी और तुझे अपलक निहारुंगी फिर सीने से लगा लूँगी। जब आप गिरतें -सम्भलते क़दमों से पहली बार मेरी अंगुली थामे आप चलना शुरू करोगे मै आपमें अपना बचपन देखूंगी ,जब आप तोतली बोली में मुझे माँ बोलोगे शायद मेरे आँखों से ख़ुशी के आशू बह निकलेंगे ,जब कभी आप मुझे परेशान करोगे तो शायद मै आप पे खिजूं और जब आपका चेहरा उतर जाये तो मैं रोने लगूं।
इतना सोचने के बाद वह अपनी अतीत की यादों में खो जाती है। आज वो जितनी खुश है ,इसकी शायद उसने कल्पना भी नहीं की थी। जब मेरी यानी रुपाली की नयी -नयी शादी हुई थी ,बड़े -बड़े सपने अपने संयुक्त परिवार वाले घर में कदम रखा था। दो साल कैसे बीते पता ही न चला एक दूसरे को समझते तो कभी ससुराल के नए वातावरण को सँभालते। परिवार वालो की तरफ से दादा-दादी बनने की डिमांड आने लगी ,हमलोग भी अपनी कोशिश में एक साल लगे रहे लेकिन कामयाबी नहीं मिली तो हमने इनफर्टिलिटी स्पेस्लिस्ट से दिखाया। सारे टेस्ट करवाए गए ,सारे टेस्ट राज और मेरे नार्मल आ रहे थे। डॉक्टर्स को भी सही जबाब कुछ मिल नहीं रहा था। ट्रिटमेंट स्टेप बाई स्टेप आगे बढ़ रहे थे ,कुछ समझ में नहीं आ रहा था सारे टेस्ट नार्मल होने के वावजूद निराशा हाथ लग रही थी। हमदोनो तनावग्रस्त रहने लगे थे।
जब हमारे दोस्तों के दूसरे बच्चे आ चुके थे। वे लोग अपने बच्चों के साथ बाहर घूमने जाते,हम पति -पत्नी अपनी किस्मत पर रो रहे होते ,अपने बंद अँधेरे कमरे में अपने भविस्य की चिंताओं में डूबे रहते। दोस्त लोगो से कभी मिलने जाते तो वो लोग बोलते हमारे तो बच्चे है आप तो फ्री हो,दूसरी बात जरूर बोलते आप अच्छे डॉक्टर से ट्रीटमेंट क्यों नहीं लेते। हमे तो लगता हमारे जख्मों को उसने कुरेद दिया ,धीरे -धीरे हमने सारे दोस्तों से किनारा कर लिया। दूसरी ओर घरवाले ,नाते- रिश्तेदार सभी का वयवहार नकारात्मक हो गया था। जब कभी किसी की शादी या पार्टी में हमदोनो सिरकत करते तो सभी हमे मेन फंक्शन से दूर रखते। जैसे मै कोई छूत की बीमारी हूँ ओरो को लग जाएगी ,लोगो की निगाहें ऐसे मुझे घूरती जैसे मैंने गुनाह किया है। लोग पार्टी से घर आते तो खुश होते ,हमदोनों घर आकर उदास जाते।
इनफर्टिलिटी से पीड़ित हर दम्पति के पति -पत्नी के रिश्तों पर इसका बहुत बुरा असर होता है।रिश्ते दिन पे दिन बत्तर होते चले जाते है। हमारे संबधों पे भी इसका असर दिखने लगा ,राज मुझसे कटे -कटे रहने लगे ,वो ज्यादातर समय अपने माँ -पापा या भाई -बहनो के वयतीत करते और पैसे भी इधर -उधर बर्बाद करते। मै कितना भी बोलती थोड़े पैसे भविस्य के लिए बचाकर रखो ,बोलते तुम्हारे पास क्यों बैठूं झगडे करने के लिए और मेरा तो अपना बच्चा भी नहीं है ,किसके लिए जमा करूँ ,बात बढ़ती चली जाती है दोनों गुस्से में तलाक लेने की बात कह देतें है ,मैं रोने लगती हूँ राज भी दूसरे कमरे में तनावग्रस्त होकर लेट जाते है ,नींद कहां दोनों को आती है , बस उस समय लगता है की मर जाऊँ। कभी लगता है तलाक ले लूँ पर तलाक कोई हल नहीं है ,क्या जरुरी है की वो रिश्ता आप निभा पाओ।
एक रिश्ता समझने में आधी जिंदगी निकल जाती है और कहीं न कहीं लड़ते -झगड़ते आप दोनों एक दूसरे के आदि हो जाते हो। तलाक का सबसे बुरा असर हमारे बच्चे पे पड़ता है। उनका शादी पर से विश्वास उठ जाता है ,हमे पता है की हर इंसान एक दूसरे से स्वभाव में अलग होते हैं तो उनकी राय एक सी कैसे होगी।हमारे सामने जीवन में समस्या हमेशा रूप बदल कर आएंगी। हमें उन हालातों का मिलकर सामना करना होता है। दोस्तों लोगो के आधे झगड़े आज के डेट ऐसे ही होते है बिना कोई कारण के हमलोग एक -दूसरे को टाइम नहीं देते ,बात चीत बंद क़र देते हैं। यहीं से बिखराव सुरु होता है जैसा की आप जानते हो मनुस्य एक सामाजिक प्राणी है ,वो अकेला तो रह नहीं सकता ,उसके जो भी अच्छे या बुरे जो भी उसे मिलेंगे उसे अपना बना लेगा। यही सोचते -सोचते सुबह हो जाती है फिर डॉकटरो के चककर लगाओ ,समय की बर्बादी ,पैसे की बर्बादी और शारीरिक थकान। समय अपनी गति से चलता रहा। मेडिकल ट्रीटमेंट की वजह से राज और रुपाली संतान पाने का सुख पा सके।
हर कोई इतना खुश नसीब नहीं होता है दोस्तों -आये दिन हम समाचार पत्रों में पढ़ने को मिल जाता की किसी निःसंतान दम्पति ने परेशान होकर आत्महत्या कर ली।
आपलोगों लग रहा होगा की मेडिकल जगत में नए -नए अविष्कार होने के वाबजूद इनफर्टिलिटी भारत में ही नहीं पूरे वर्ल्ड में एक गम्भीर समस्या के रूप में उभर रही है। इसका कारण हमारे रहन-सहन में आधुनिकता का प्रभाव ,मानसिक तनाव ,रासायनिक खाद्य पदार्थों का सेवन और लड़कियों का शिफ्ट में काम करना आदि शामिल है। WHO के अनुसार -2016 में लगभग भारत मे 1. 90 करोड़ नपुंसक दम्पति है। इनमे से मात्र 0. 1 फीसदी ही आई वी एफ से बच्चे पैदा करने में सछम पाए जाते है।
इसलिए हम सबों को इस तरह की समस्या से जूझ रहे दम्पति का सहारा बनना चाहिए ,होसला देना चाहिए। ऐसे दम्पतियों के लिए महर्शि अरविंद के कथन यहाँ सटीक लगते हैं -कोई भी समस्या ऐसी नहीं है ,जो मन की शक्ति से अधिक शक्तिशाली हो। मन को मजबूत कर किसी भी समस्या पर विजय पाई जा सकती है। इसके सामने शरीर की शक्ति कोई मायने नहीं रखती है।
–END–