आप जब भी नयी जॉब ज्वाइन करते है तो सबसे पहले मेडिकल चेकप होता है । बहुत आम बात है आज कल। इसमें किसी को क्या परेशानी हो सकती है। मै भी सोचती थी जब तक मैंने मुंबई में pre employment medical checkup नहीं कराया था। 1 जून को ज्वाइन किया था मुंबई में एक कंपनी में । मै बहुत खुश थी क्योकि हेड ऑफिस मे नियुक्ति थी । मुंबई से पहले भी नाता रहा था इसलिए ही तो मुंबई ने दिल खोलकर स्वागत किया था मेरा । मेघा के लिए आसमान से मेघ धडाधड बरस रहा थे।हाथ में 3-3 बेग्स और साथ में कोई नही। पापा ने बोला था की बेटा में चलता हूँ पर मुझ पर नारी शक्ति का भूत सवार था।”नहीं पापा मै मैनेज कर करुँगी”। क्या खाक मैनेज किया !! तीनो बैग एक साथ उठाने के चक्कर में एक बेग सीढियों से नीचे गिर गया और मै गिरते गिरते बची ।खैर किसी तरीके से मेरी सहेली अमृता के घर पहुची। अब तो वही मुंबई में मेरा ठिकाना था।
अगले दिन ऑफिस में ज्वाइन किया तो पता चला की मेरा Pre Employment checkup तो हुआ ही नही। किसी कारण से लैटर घर नही पंहुचा , ना मेरा ना मेरा साथ ज्वाइन करने वाले 4 और लोगो का। मुझे तो पूरा यकीं था की भेज ही नही गया है। हम लोगो को अगले दिन की डेट दी गयी।
मेडिकल चेकप में हम लोगो को खाली पेट जाना था और टाइम दिया था सुबह 10 बजे का। में रहती थी भांडुप में और जाना था अँधेरी वेस्ट । सोचा ज्यादा टाइम नही लगेगा । पर आज मेघराज का मन कुछ और ही था। बारिश थी की बंद ही नही हो रही थी। इतना पानी मानो लग रहा हो की फिर से बाढ आएगी मुंबई में। बस मिली नही । चलो कोई नही . सोचा ऑटो कर लेते है। पर यदि इन्सान को सबकुछ मांगने पर मिल जाता तो भगवन को कौन याद करता । ऑटो भी नही मिला । सोचा लिफ्ट ले लू लेकिन फिर से नारीशक्ति ने सर उठाया । हम किसी से कम थोड़े ही है। स्टेशन तक पेदल चलते चलते पहुची ।छाता भी कितना बचाता।बस इज्ज़त भर रख ली। लोकल लेट थी बारिश के कारण । बहुत देर इंतज़ार करने पर एक आई, उनमे घुसंने के लिए मुझे पुरस्कार मिलना चाहिए था । मतलब वो कोच पहले से ही इस कदर भरा था की यदि कोई दाई तरफ से चढ़े तो बायीं तरफ से कोई और गिर जाए। राम राम करते हुए पहुची । वह सब पहले से ही मोजूद थे।
“10 बजे का टाइम था और 11 बजे पहुची हो, सबको लेट कर दिया” सबने कहा। इतना गुस्सा आ रहा था की बता नही सकती थी।इतनी जंग जीत के आई मगर किसी को कदर नही ही नही थी।
खैर मुंबई में जीना किसी जंग से कम नही। चेकअप में 1 बज गए थे। भूख के मारे बहुत बुरा हाल हो रहा था । रात से कुछ नही खाया था। बारिश हद से ज्यादा हो गयी थी, बाहर कोई दुकान खुली नही थी। क्या करे समझ नही आ रहा था। बस फिर नही मिल रही थी की सीधी घर तक की लेलु । किसी ने कहा रोड पर पानी भर गया था । लोकल से चले जाऔ। स्टेशन तक ता ऑटो लिया मेने और नेहा ने । उससे चरनी रोड जाना था था और मुझे दादर । ऑटो वाले ने हमे स्टेशन से दो गली दूर छोड़ दिया और बोल मैडम में आगे नही जा सकता । “क्यों भैया , क्यों नही ””हमने कहा तो उसने बाहर का नज़ारा दिखा ।
पूरी सड़क पर पानी ही पानी । थोडा बहुत नहीं कमर तक का। ऑटो , कार के पहिये पूरी तरह से डूब गए थे। लोग उसी पानी में चल कर जा रहे थे । ना आगे रास्ता था ना पीछे , ऊपर से भयानक भूख । कोई दुकान नही थी । वापस पीछे नही जा सकते थे पूरा ट्रेफ़िक जाम था।मैंने सच में इतना पानी कभी नही देखा था । यु लग रह था की बाढ आगयी हो। नेहा ने बहुत साथ दिया कहा चल हम भी इसी में से चलते है । “बाकी लोग भी तो जा रहे”। राम का नाम लिया और उतर गए पानी में । “लोगो के पीछे पीछे चलते है ताकि किसी गटर में ना गिर जाए ” नेहा इसी तरह अच्छे विचार दिए जा रही थी। पानी भी इतना गन्दा की बता नही सकती। और सोने पर सुहागा मैने जींस पहनी थी।छि छि छि । इतना गन्दा लग रहा था की बता नही सकती। लोगो को इसमें भी मज़ा आ रहा था । मस्ती करते हुए जा रहे थे । किसी तरह स्टेशन ही गए । स्टेशन पर बहुत सी दुकाने थी मगर इतना गन्दा और गिला लग रहा था की खाने का मन ही नहीं किया । टिकट लेके किसी तरह लोकल में घुसी। उस समय भी बहुत भीड़ थी पर हा राम की कृपा से खड़े रहने को जगह मिल गयी थी। सोचा आज की परीक्षा यही ख़तम । मगर ये जिन्दगी इतनी भी आसान नही ।
लोकल दो स्टेशन के बीच जाके रुक गयी । ट्रेक पर काफी सारा पानी भर गया था। उस रुट की सारी लोकल जहा थी वही रुक गयी और रुक गयी मेरी सांस । क्या करू समझ नही आ रहा था। पुरे शरीर में गिले कपड़ो की वजह से खुजली होने लगी थी। भूख से ज्यादा प्यास लग रही थी । ऊपर से अब खड़े खड़े चक्कर आने लगे थे । मेरे सामने बैठी एक बुडी औरत को मेरी हालत समझ आ गयी। उसने मुझे अपनी सीट देदी। तब मेने देखा सब यही कर रहे थे, बारी बारी से एक दुसरे को बैठने की जगह दे रहे है। उन आंटी ने मुझे पीने के लिए पानी दिया और दूसरी आंटी ने कुछ खाने को। मुंबई में इस तरह का जज्बा मेने पहली बार देखा। दिल खुश हो गया। राम नाम लेके लोकल 3 घंटे बाद चली। 8 बजे की निकली में शाम 6 बजे घर पहुची। उस दिल मेने भी दो कसम ली। पहली इतनी बारिश में कभी बाहर नही निकलूगी । दूसरी की हमेशा जरूरतमंद की मदद करुँगी। क्योकि मद्दद करने के लिए पैसे होना जरुरी नही है , दिल में जज्बा होना चाहिए।