Hindi story about a mother, who fight against her fears and decides to stand with her daughter against sexual harassment.
नेहा अभी तक आई नहीं? उफ़ ये लड़की, कभी भी समय का ख्याल नहीं रखती। कह कर गयी थी, दोपहर का खाना साथ खाएंगे, बस दो ही लेक्चर हैं फिर कॉलेज से छुट्टी। आज मोबाइल भी घर पर ही भूल गयी, मैं बेटी की चिंता में बड़बड़ाये जा रही थी। जवान बेटी है और जमाना कितना ख़राब है। उफ़ बस करो बेकार की बातें सोचना, मैंने अपने मन को झकझोरा। बस आ ही रही होगी , कुछ गलत नहीं होगा। बहुत समझदार है अपने पापा पर जो गयी है। मैंने गर्व से इनकी फोटो को देखा। ओह आज माला नहीं बदली , बासी फूलों की माला को हटा कर प्यार से इनकी फोटो को आँचल से पोछा। नेहा मुझे टोकती थी, “यह क्या माँ तुम रोज ताजे फूलों की माला चढ़ाती हो। तुलसी या नकली फूलों की ले आऊ ? ” कैसे कहूँ कि अब तो बस यही कर सकती हूँ , जब यह थे तब रोज इनके ऑफिस के कपड़े निकाल कर देती थी। मैं हँस कर कह देती, कौनसा मुझे जाना पड़ता है , माली दे जाता है इसलिए नियम सा बन गया है।
मैं अपने ख्यालों में खोई थी कि नेहा की बदहवास आवाज़ आयी, “माँ”।
सर्दी के मौसम में पसीने से भीगी , डबडबायी आँखों से मेरे पास दौड़ती हुई आई और कस कर लिपट गयी। मैं घबरा गई , “क्या हुआ, देर कैसे हुई, तू ठीक है ना।”
” माँ तैयार हो जाओ पुलिस स्टेशन चलना है “, उसके दो टूक शब्द सुन कर मैं अवाक रह गयी।
” आज कॉलेज से आते वक्त सुनसान रास्ते पर एक वैन मेरे पास आकर रुकी और जब तक मैं कुछ समझ पाती , दो आदमियों नें मुझे वैन के अंदर खींचने की कोशिश की। मेरे हाथ में पेन था , मैंने वो ही एक की आँख में मार दिया और किसी तरह भाग निकली। मुझे वैन का नंबर याद है , चलो रपट दर्ज करवाते हैं ” ।एक साँस में नेहा मुझे सब बता गई। मुझे काटो तो खून नहीं ,
” किसी से कुछ कहने की जरूरत नहीं , कोई रपट नही लिखवानी। आज के बाद उस रास्ते से जाने की कोई जरूरत नही , अब मेरे साथ ही चलना तुम। एक ड्राइवर रख लेते हैं जो घर की गाडी से तुम्हे कॉलेज ले जायेगा” ।
पता नहीं मैं क्या – क्या कहती रही और नेहा मुझे हैरानी से देखती रही। “माँ मैं तुम्हारी तरह दब्बू …. ” , बात अधूरी छोड़ कर वह अपने कमरे में भाग गई।
मैं धम से सोफे पर बैठ गई। ओह कैसे कहूँ अपनी बेटी से कि इस घटना ने मुझे मेरे जीवन का कटु अनुभव याद दिला दिया। बारह साल की उम्र में मैं अपने परिवार के साथ एक शादी में गयी थी। अँधेरे का फायदा उठा कर किसी ने मुझे जबरन चूम लिया था। मैं रोती हुई भाग कर अपनी माँ के पास पहुंची। माँ ने सब सुनने के बाद बस इतना कहा , ” किसी से कुछ कहना नहीं ” . शायद माँ ने पापा को बताया था , क्यूंकि हम बिना खाना खाए तुरंत घर चल दिए थे। माँ ने मुझसे फिर कभी इस बारे में बात नहीं की और न मैंने कुछ कहा। उस घटना के बाद माँ ने कभी मुझे कहीं भी अकेले नहीं जाने दिया और फिर कभी कोई अप्रिय बात नहीं हुई। लेकिन मेरा आत्मविश्वास कितना कमजोर पड़ गया इस बात का एहसास मुझे आज हो रहा है जब मेरी बेटी ने मुझे दब्बू कहा।
“नहीं, मेरी बेटी दब्बू नहीं बनेगी ” , मैंने अपने आंसू पोछे। नेहा औंधे मुँह लेटी थी , मैंने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा, “चल, मैं तैयार हूँ। ”
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