Devotee of Casteism- This Hindi story is based on a childless couple who didn’t adopt any of the child just because they were more interested in knowing the caste of orphan child.
हमारे एक परिचित पारिवारिक मित्र हैं। विवाह के काफी वर्षों के बाद भी जब उनको संतान सुख प्राप्त नहीं हो सका तो हमने,उनके कुछ नज़दीकी परिवार जनों ने और उनके कुछ ख़ास मित्रों ने उनको सलाह दी की वो किसी अनाथ बच्चे को गोद ले लें जिससे की उनका परिवार भी पूरा हो जाएगा और उस बच्चे का भी भला हो जाएगा।
इन महाशय और इनकी धरमपत्नी को सुझाव तो बहुत अच्छा लगा लेकिन यह दोनों जातिवाद के कट्टर भक्त हैं इसकी जानकारी हम लोगों में से किसी को नहीं थी।हम एक अनाथालय के प्रबंधक को अच्छे से जानते हैं सो हमने अपने इस मित्र की दुविधा के बारे में उनसे बात कर ली। वे बोले की किसी भी बच्चे को गोद देने से पहले कुछ ज़रूरी जानकारी भावी माता-पिता के बारे में चाहिए होती है और हमसे अपने मित्र और उनकी पत्नी को उनसे मिलाने के लिए एक निर्धारित तारीख और समय दे दिया। बस फिर क्या था हम अपने मित्र और उसकी पत्नी को लेकर निर्धारित तिथि और समय पर अनाथालय पहुँच गए।
उन दोनों को वहाँ छोड़कर हमें अपने ऑफिस के ज़रूरी काम से निकलना पड़ा। सारा दिन हम यही सोच सोच कर खुश होते रहे की चलो अब हमारे इस मित्र दंपत्ति को भी मम्मी पापा कहने वाला जल्द ही इनके घर में आ जाएगा। रात को तक़रीबन ११ बजे हम घर वापस पहुँचे। खाना खाया और सो गए।अगले दिन सुबह हमने सोचा की फ़ोन करके अपने उस मित्र से कल की बातचीत का निष्कर्ष जान लिया जाए। इससे पहले की हम उसको फ़ोन लगाते अनाथालय के प्रबंधक महोदय का फ़ोन आ गया। हमने चहकते हुए उनसे कल के बारे में जानना चाहा तो वो हम पर बिफर पड़े और बोले की,”भाईसाहब ! कृपा करके ऐसे लोगों को हमारे अनाथालय ना लाया करें।वे दोनों पति पत्नी बहुत ही अजीब अजीब बातें कर रहे थे।बोले की किसी भी बच्चे को गोद लेने से पहले वे उसकी जात बिरादरी के बारे में जानना चाहेंगे क्यूँकी अगर बच्चे की जात उनको ठीक नहीं लगी तो वे बच्चे को गोद नहीं लेंगे।अमन साहब अब आप ही बताइए की एक अनाथ बच्चा जिसे अपने जन्मदाता के बारे में नहीं मालूम,अपना नाम भी नहीं मालूम उसको अपनी जात बिरादरी के बारे में भला कोई जानकारी कैसे होगी। मेरी विनती है आपसे की ऐसे पिछड़ी सोच वाले लोगों को हमारे यहाँ फिर ना लाएँ।” यह कहकर उन्होंने फ़ोन रख दिया।
यह सब सुनकर तो हमारे पैरों के नीचे से जैसे ज़मीन ही निकल गई। हमने तुरंत अपने मित्र को फ़ोन लगाया और बिना एक पल गँवाए उससे अनाथालय के प्रबंधक के साथ हुई मुलाकात के बारे में पूछा। उसने जो कहा उसको सुनकर हमें खुद पर शर्म आने लगी की कैसे छोटी सोच वाले लोगों को हमने अपना मित्र बनाया हुआ है।बिना किसी शर्म के वो बोला की,”देखो अमन ! हम तो साफ़ साफ़ कह आए की बच्चे की जात बिरादरी की सही सही जानकारी लिए बिना हम तो किसी भी बच्चे को गोद नहीं लेंगे। भई आखिर समाज में हमारा एक स्टेटस है और किसी भी ऐसे वैसे बच्चे को गोद लेकर हमें अपना मज़ाक नहीं उड़वाना सोसाइटी में।” हमें यह सब बकवास सुनकर गुस्सा आ गया और बोले की,”यार समीर अजीब वाहियात बातें कर रहे हो तुम।एक बेसहारा बच्चा जिसको ठीक से अपना नाम भी नहीं मालूम उसको अपनी जात बिरादरी कैसे मालूम होगी ? कुछ तो अक्ल लगाओ।अगर उस बच्चे को सब मालूम होता तो वो अनाथालय में क्यूँ रहता ? और फिर एक बार बच्चा घर में आ गया तो तुम्हारी ही जात का हो गया ना। तुम्हारे ही खानदान का कहलाएगा ना वो!! तुम्हारा सरनेम मिल जाएगा उसको।”
और उसके बाद जो उसने कहा वह सुनकर तो हमें खुद पर यकीन होनेलगा की मित्र बनाने की तमीज़ अभी तक नहीं आई है हमको।वो बोला की,”अमन अपना भाषण किसी और को देना।अगर तुम्हे इतना ही अफ़सोस महसूस होता है उन अनाथ बच्चों के लिए तो तुम अपने दोनों बच्चे हमें दे दो और खुद दो बच्चे अनाथालय से उठा लाओ।” यह कहकर उसने झट से फ़ोन काट दिया।
यह सब हमने अपनी श्रीमती जी को बताया तो वो भी अचंभित हुए बिना ना रह सकीं। कुछ दिन बाद समीर के एक नजदीकी रिश्तेदार से मुलाकात हुई तो उन्होंने बताया की उसने उनसे भी कहा था की वे बच्चा गोद लेने में उसकी मदद करें। उन्होंने बताया की थोड़े दिन पहले ही उनके किसी जानकार के परिवार में मृत्यु हुई थी और उस परिवार का डेढ़ वर्षीय बच्चा अब अकेला सा रह गया है।तो इन जनाब ने समीर को सुझाया की वे इस बच्चे को गोद ले लें।पर समीर ने उनकी भी इज्ज़त का फलूदा कर दिया। बोला की इस बच्चे की जात बिरादरी उसे ठीक नहीं लगी और उसके ऊपर यह डेढ़ वर्ष का है सो उनको इतना बड़ा बच्चा गोद नहीं लेना है। इतना ही नहीं उसने यह तोहमत भी लगा दी इनके ऊपर कि उसके पैसे पर इनकी नज़र हैं इसलिए किसी भी ऐसे वैसे बच्चे को ये उसके घर में घुसाना चाहते हैं। यह जनाब तो यह सब सुनकर दुखी भी थे और हैरान भी पर हम पर तो वो अपनी गन्दी सोच और जुबां का छुरा चला चुका था सो हमें कोई अचम्भा नहीं हुआ।
उसके बाद और भी दो चार लोगों से समीर और उसकी पत्नी की इन बेजा हरकतों और बातों के बारे में पता चला।कुछ लोगों ने उन दोनों को यह भी सुझाव दिया की अगर बच्चा गोद नहीं लेना तो किसी ज़रूरतमंद बच्चे के लालन-पालन और शिक्षा-दिक्षा का खर्चा ही उठा लो।उनकी दुआएँ लगेगी पर सब को एक ही घटिया जवाब सुनने को मिला की सब की नज़र उनके पैसे पर है।
आज की तारीख में भी वे दोनों निःसंतान ही हैं। और शायद ऐसे ही रहेंगे क्यूँकी जो इंसान एक मासूम और बेसहारा बच्चे की जात बिरादरी जानकार ही उसको गोद लेने का विचार बनाए ऐसे घर में तो खुद ऊपर वाला भी किसी बच्चे को भेजना नहीं चाहेगा।हम सब पैसा और रुतबा अपनी अपनी मृत्यु के बाद यही छोड़ कर जाएँगे लेकिन हमारा यह मित्र सब साथ लेकर जाएगा। इस बेवक़ूफ़ को कौन समझाए की यह सब पैसा किस काम का अगर आपके जीते जी यह आपके बच्चों के या किसी और ज़रूरतमंद का भला ना कर सका। मरने के बाद कोई शायद इनको अपनी प्राथर्ना में भी याद नहीं करेगा और ना ही करना चाहेगा।
मेरे इस मित्र जैसे शायद और भी कट्टर जातिवाद लोग होंगे इस दुनिया में लेकिन मेरे इस जीवनकाल में इस तरह का निराला मूर्ख मैंने यही देखा है जो एक ऐसे मासूम से उसकी जात बिरादरी पूछना चाहता है जिसे ठीक से यह भी नहीं पता की समय के क्रूर हाथों ने कब उसकी खुद की दुनिया उजाड़ कर उसकी पहचान छीन ली।
वाह रे ऊपरवाले कैसे कैसे नमूने इस धरती पर उतारे हैं तूने !!