[Very Short Story in Hindi – Was he really mad?]
मुझे बचपन से ही सख्त हिदायत थी कि सामने के घर में एक पागल रहता है, मुझे उससे दूर रहना है. मैं भी उस घर के बाहर बरामदे में एक आदमी को पैरो में ज़ंजीर के सहारे बंधा देखता था, पर मैं समझ नहीं पाता था कि सब उसे पागल क्यों कहते थे। सच कहूं तो कई दफा मुझे भी लगा था कि वो पागल है. जब मैं फूल तोड़ने उस घर के बगीचे में जाता था तो वो मना करते हुए बोलता था कि, “मत तोड़ो, पौधे को दर्द होता होगा”. जब मैं तितलियों को पकड़ कर उनके पंखो के रंग झाड़ने लगता तो वो उदास होकर मुझसे उनको छोड़ देने को कहता. जब मैं झाड़ियों में गिरगिटों को पत्थर से कुचल के मारता था, तब वो दहाड़ें मार-मार कर रोने लगता था. मुझे भी लगने लगा था वो सचमुच पागल है. सर्दियों के दिन थे, मैं बाहर खेल रहा था. सर्दी की वजह से उसे भी धूप में बैठाया गया था. पैरों में जंजीर नहीं थी. अचानक वो उठ कर सड़क की तरफ भागने लगा. मैंने देखा कि सड़क पे एक कुत्ते का बच्चा ठिठुर रहा था, वो उस कुत्ते क पास पहुचकर उसे उठा ही रहा था कि एक ट्रक उससे टकराई और उसे और कुत्ते को कुचलकर तेजी से आगे निकल गई…..
उस दिन मुझे यकीन हो गया कि वो पागल था…..एक खतरनाक पागल….
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