जादुई लेमनचूस (Magical Lolipop): After listening ghost stories from his uncle, one boy decided to experience the ghost.He met one who showed the boy a magical city, Read Hindi story
भूतहा कैबिन के बारे में जो कहानी मैंने मामा जी से सूनी , तो रात भर सो नहीं सका . मैं सुनकर डर गया था , वैसी बात नहीं . मैं बचपन से ही निडर था . जो कुछ भी थोडा डर – भय था , मामा जी के साथ रहते हुए ख़त्म हो गया था . इसलिए मैंने मन बना लिया कि आज मामा जी के साथ भूत देखने जाना है . सुना तो बहुत है कि भूत ऐसा होता है , वैसा होता है , लेकिन कभी देखने का मौका नहीं मिला .
मामा जी पर मैं नजर गड़ाए हुए था तथा उनके जाने पर खुपिया पुलिस की तरह हाथ धोकर पीछे पड़ा हुआ था. जैसे ही वे कपडा बदलने के लिए भीतर कमरे में गये , मैं भी उनके पीछे – पीछे चल दिया . मामा जी मुड़े तो मुझे देखकर अचंभित हो गये . टरकाने के ख्याल से बोले :
मेरे पीछे – पीछे क्यों आ रहे हो ?
मैं भी आप के साथ धनबाद , माँ के पास जाऊंगा . मैंने असल बात को बताना नहीं चाहता था .
तुमको नहीं जाना है मेरे साथ ,वो भी रात को. शुबह छोटे मामा के साथ चला जाना . रे टाकीज में अच्छी फिल्म लगी है . फिल्म देखते हुये माँ से मिलने चले जाना .
मैं आप के साथ ही जाऊंगा .
आखिर क्यों ?
मुझे भूत देखना है.
पगला गये हो क्या ? इतना छोटा बच्चा और भूत देखेगा , क्या मतलब ?
नहीं , मैं जाऊंगा , कुछ नहीं होगा . मैं भी देह बाँध लूँगा आप की तरह .
कुछ हो जाएगा तो दीदी और जीजा जी को क्या जबाव दूंगा ?
नहीं , मैं जाऊंगा – कहकर मैंने उनकी धोती पकड़ ली और रोने लगा . मामा जी दर्वित हो गये और बोले :
कपडे पहन कर आ जाओ जल्द , ट्रेन का समय हो रहा है .
मैं जल्द कपडे बदल कर हाजिर हो गया. फिर क्या था , आगे – आगे मामा जी और पीछे – पीछे उसका भगिना . हम आठ बजे रात के करीब अस्पताल पहुँच गये . माँ जाग रही थी और बुआ सिरहाने बैठकर माँ का बाल संवार रही थी. मामा जी अपना चेहरा दिखा कर कहीं एक घंटे कि लिए निकल गये . बुआ को एक घंटे बाद जाना था . मैं बाहर बारामदे में खेलने निकल गया . माँ ने हिदायत कर दी थी कि पास ही खेलना , इधर – उधर मत जाना .
बिसना ( हमारे घर का नौकर ) बुआ को लेने चला आया . तबतक मामा जी भी चाय पीकर आ गये थे . रात के नौ बज गये थे. हमने साथ – साथ खाना खाया. मुझे मामा जी ने दरी बिछाकर सुला दिया , लेकिन मेरी आँखों में नींद कहाँ ? मुझे तो रात के बारह बजे तक जागना था . कहीं सो गये तो भूत देखना मेरे लिए दिवास्वप्न हो जाएगा . दूसरी बात जो मेरे जेहन में कौंध रही थी वह थी मामा जी का भूत दिखाने के प्रति उदासीन रवैया . वे इस लफड़े में पड़ना नहीं चाहते थे. उनके बोडी लैंग्वेज से मुझे पता चल गया था . और मैं भूत देखने के लिए अड़ा हुआ था व बेचैन भी था.
वक़्त कभी रुकता नहीं , अनवरत चलते ही रहता है. दस बजा , फिर ग्यारह और बारह बजते ही परदे हिलने लगे . रूम की बत्ती गुल हो गयी . मामा जी बीडी जलाकर पीने में मशगुल हो गये . मैं मामा जी के बगल में दुबक कर बैठ गया . माँ तो घोर नींद में थी. देखा एक आकृति सफ़ेद लिवास में कैबिन में प्रवेश किया तो घर में मद्धिम रोशनी हो गयी. सामने करीब सात फूट का जवान मेरे सामने खड़ा था . पूरे कैबिन में न जाने कहाँ से गुलाब फूल का सुगंध फैलने लगा .
मामा जी बीडी देते उससे पहले मैंने भूत मामा की ओर हाथ बढ़ा दिया ओर बोला : भूत मामा ! आप के लिए मैं चार मीनार सिगरेट लाया हूँ , लीजिये .
भूत मामा को यकीं नहीं हो रहा था कि इतना छोटा बच्चा इतनी निडरता से उससे बात करेगा . उसने अपना हाथ इच्छानुसार लम्बा करके सिगरेट ले लिया . एक मामा जी की तरफ भी बढ़ा दिया . मामा जी सिगरेट सुलगा कर भूत मामा को दे दिया और अपने बीडी का कश लेने लगा.
भूत मामा मुझे लपक कर अपनी हथेली पर उठा लिया और बड़े प्यार से पूछा :
क्या खाओगे ?
कलकत्ता का रसगुल्ला .
आँख बंद करो .
मैंने आँखे बंद कर ली.
हाथ पसारो . यह लो कलकत्ता के रसगुल्ले – एक नहीं दस .
और कुछ ?
मथुरा का पेड़ा .
आखें बंद करो .
मैंने आँखें बंद कर ली .
आँखें खोलो .
मैंने आँखें खोल दी .
ये लो मथुरा के पेडे . एक नहीं दस .
चुपचाप बैठकर कोने में खाओ . हमलोग बात करेंगे , बीच में मत टोकना , न ही सुनना .
मामा जी ने ही शुरुआत की :
कल की सलाह कैसी जंची ?
अच्छी . इससे सुन्दर विकल्प हो ही नहीं सकता . आप वास्तव में प्रेक्टिकल आदमी हैं. मैंने पूर्णिमा की माँ को मारने का इरादा त्याग दिया है. बाप मारा गया , वर्दास्त कर ली . भाई मारे गये , वर्दास्त कर ली , लेकिन माँ मारी जायेगी तो वह वर्दास्त नहीं कर पायेगी. उसे जिन्दा रखने के लिए माँ को जिन्दा हर हाल में रखना होगा.
एक सवाल है .
पूछिये .
उसे कैसे मालूम हुआ कि उसके बाप और भाईयों ने तुम्हारी हत्या कर दी.
वह इस तरह कि मुझे मारने के बाद वे लोग खुले आम घर पर जश्न मना रहे थे. साथ ही साथ बोल भी रहे थे कि न रही बांस न बजेगी बांसुरी . शुबह तो मोहल्ले भर को मालूम हो गया था . एक दिन जब पूर्णिमा का रात – पल्ला हो तो आपके यहाँ किसी तरह बुलाया जाय और उसके दिल की बात जानी जाय .
ठीक है . कल ही ग्यारह बजे के करीब , यहीं पर .
जब भूत मामा जाने को तैयार हुए तो मैंने उनका दोनों पैर बाहों में पकड़ लिया और बोला :
भूत मामा ! मुझे घुमाने ले चलिए .
कहाँ ?
अपना देश .
मेरे मामा जी की तरफ मुखातिब होकर बोले :
मैं भगिना को एक घंटे में घुमाकर ला देता हूँ . फिर क्या था , मुझे उठा लिए अपनी हथेली पर और लेकर अंतर्ध्यान हो गये . आँख जब खुली तो देखा एक विशाल भूत – प्रेतों का शहर . चारों तरफ पहाड़ ही पहाड़ . बीच में कलरव करता हुआ झील . तरह – तरह के पेड़ – पौधे . रंग – विरंगे फूलों के पोधे एवं लताएँ . सेव के पेड़ . शाखाएं लाल – लाल सेवों से आच्छादित . सारा इलाका प्रकाशमय जैसे पूर्णिमा का चाँद खिला हो आँगन में . पेड़ – पत्तों से बने हुए प्रकोष्ठ . केवड़ा की खुशबू चारों तरफ. भूत मामा मुझे एक सेव के पेड़ के पास उतार दिया और बोला :
तुम सेव तोड़ कर जितना चाहो , खाओ. देखा भूत मामा के शहर में तरह – तरह के हिंसक और पालतू जानवर हैं जिनके साथ उनके बच्चे निर्भय होकर खेल रहें हैं . दो चार बच्चे बाघ के शावकों के साथ उछल – कूद कर रहे थे . मैं वहीं पर चला गया और एक शावक को अपनी गोद में उठा लिया . उसी वक़्त उसकी माँ आ गयी . एक बच्चे ने मुखातिब होकर कहा :
मत डरिये , भैया ! बाघिन कुछ नहीं करेगी . अपने दूसरे बच्चों को दूध पिलाएगी . बाद में इस शावक को .
एक लडकी घाघरे – चुनरी में मेरे पास आयी और बोली :
इतने सेव पाकिट में भर लिए हो . मुझको कहते तुम्हारे घर पहुंचा देती एक टोकरी वो भी तुमसे पहले .
वो कैसे ?
हम आत्मा हैं . कुछ भी कर सकते हैं.
तो मेरे मामा जी के पास एक टोकरी भेज दीजिये .
अच्छा तो तुम आजमाना चाहते हो . चलो भेज दिया . देख रही हूँ मामा जी टोकरी खोल रहे हैं .
क्या मैं देख सकता हूँ ?
नहीं , तुम नहीं देख सकते .
क्यों ?
तुम एक दूसरी दुनिया के वासी हो . हमारे और तुम्हारे में कोई मेल नहीं .
मेरे तरफ शेरनी घूर रही थी . मैंने शावक को नीचे रख दिया . वह अपनी माँ की ओर दूध पीने दौड़ पड़ा .
तबतक भूत मामा जी आ गये . पूछा :
माँ की याद आ रही है ?
मामा जी के पास जाना चाहते हो ?एक घंटे में दो मिनट बाकी है . इस जादुई लेमनचूस को मुँह में रख लो , माँ और मामा जी को याद करो.एक मिनट में पहुँच जाओगे .
मैंने भूत मामा के हाथ से जादुई लेमनचूस ले कर मुँह में रख लिया – माँ एवं मामा जी को याद किया , फिर क्या था , माँ एवं मामा जी के सामने हाजिर हो गया
माँ बोली : बेटा ! घूम कर आ गया ?
हाँ , आ गया .
मामा जी ने पूछा :
इतनी जल्द कैसे आ गये , वो भी अकेले ?
मैंने मुँह से जादुई लेमनचूस निकाल कर दिखा दिया और कहा कि इसी की करामात से आ गया .
इसी उधेड़बुन में जादुई लेमनचूस हाथ से छूटकर जमीन पर गिर गया .
मामा जी पूछ बैठे : क्या हुआ ? भूत मामा जादुई लेमनचूस दिए थे और कहे थे कि मुँह में रखकर कहीं भी जा सकते हो . इसका असर तब चला जाएगा जब यह मुँह में पूरा घुल जाएगा या जमीन पर गिर जाएगा .
मामा जी ! जादुई लेमनचूस जमीन पर गिर गया , अब हम कहीं नहीं जा सकते .
रोनी सूरत मत बनाओ , कल तुझे जादुई छडी दिलवा देंगे .
मामा जी ! यह क्या होता है ?
कल बता दूंगा . चादर तान के सो जा. अभी रात बहुत बाकी है.
मैं चादर ओढ़कर मामा जी के बगल में सो गया. सोचा अब पछताने से क्या फायदा ?
लेखक : दुर्गा प्रसाद , गोबिन्दपुर , धनबाद , दिनांक : २४ मई २०१३ , दिन : शुक्रवार |
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