कहानी
मैं बस स्टॉप पे खड़ा था। तभी उसने पुछा।
“माचिस है..??”
मैंने बोला …”नहीं है!!”
उसने फिर पुछा… “अच्छा..फिर सिगरेट है !!”
मैंने कहा “हाँ सिगरेट तो है…”
उसने पुछा… पिलाओगे ???
मैंने कहा ..”लेकिन माचिस तो है नहीं, जलाओगे कैसे!!”
बोला “माचिस मेरे पास है…”
सिगरेट जला ली।
बस स्टॉप की बात है। लोकल बस स्टॉप में रात को शायद ही एक दो लोग होते हैं स्टॉप में। रात के करीब 12 बज रहे होंगे। कहीं से लौट रहा था मैं।
उसने दो फूँक ले के पुछा…”पीते हो…!!”
मैंने कहा… हाँ!!
पैसे हैं ??
मतलब ??
मतलब अगर एक हाफ पिलाओगे तो एक कहानी सुनाऊंगा…
मैंने बोला…
“ठीक है मगर इतनी रात में खरीदेंगे कहाँ से और पीएंगे कहाँ ??”
बोला….
“सामने जो ठेका है, उसका लड़का रात को दे देता है ..खरीद के यही कहीं पी लेंगे…”
मैंने पुछा..
तुम क्या हर दिन मुफ़्त में पीते हो !!
अब वो हँसा… फिर बोला…
“खरीदता नहीं हूँ इसका मतलब ये थोड़े न है कि मुफ़्त में पीता हूँ ….”
“तो तुम क्या करोगे?? कैसे कीमत चुकाओगे !!…”
बोला तो कहानी सुनाऊँगा !!
मैंने बोला कि “शुरू करो!! देखूं क्या कहानी सुनाओगे। सुनाओ कहानी…”
“लो सुनो…मैं एक चोर हूँ…
मैंने पुछा…
अच्छा फिर चोर के पास पीने के पैसे कैसे नहीं है ?? मांगने की क्या जरूरत है चुरा लेते बोतल कहीं से…!!
वो बोला..
अरे मैं ज़िंदा चोर नहीं मुर्दा चोर हूँ…!!
मतलब….
मतब मैं चोर का भूत हूँ…
क्या मजाक है !! तुम भूत हो तो तुम सचमुच की शराब कैसे पी सकते हो
वो बोला…
बेवक़ूफ़ सुबह जब तुम जागोगे तब पूरा बोतल वैसा हीं होगा, अभी तुम्हे बस लगेगा कि मैं पी रहा हूँ….
फिर बोतल खरीदने की क्या जरूरत है ??
अच्छा .. फिर तुम कैसे पीओगे ??
मुझे यकीन नहीं हुआ इस बात पे, बोला “ये क्या बकवास है …”
वो बोला
“अभी तो कहानी शुरू भी नहीं की …बाद में लोगो को बताओगे तो वो यकीन नहीं करेंगे !!
मैंने बोला “देख लो मैं कहानीकार हूँ .. मैं तुम्हारी कहानी लिख दूंगा …”
उसने कहा “जो इच्छा हो करना मगर पहले खरीदो तो…”
मैंने ठेके की तरफ देखा। वहां एक लड़का खड़ा था। उसने कहा…
वही दूकान का लड़का है, जाके उससे बोलो, वो ले आएगा।
मैंने पुछा क्या पीओगे
वो बोला “कोई भी सस्ती व्हिस्की खरीद लो..”
मैंने रोड पार की, लड़के के पास गया उससे पूछा…
12 PM का बोतल है ?
लड़के ने बोला मिल जाएगा लेकिन 200 ज्यादा लगेगा…
मैंने 700 रुपये उसे पकड़ा दिए। वो बोला दो मिनट रुको और वो अंदर गली में चला गया…
मैंने पीछे मुड़ के देखा। वो वही सड़क के पार खड़ा था । पांच मिनट से ज्यादा हो गया। मुझे लगा कुछ गड़बड़ है। कुछ देर में दस मिनट हो गए।
कहीं मैं बेवक़ूफ़ तो नहीं बन गया। मुझे समझ में नहीं आया क्या करूँ। अंदर गली में जाऊं या रोड पार कर उसे पकडू। मैं उसकी तरफ देख कर थोडा मुस्कराया। उसके चेहरे पे कोई रिएक्शन नहीं देख कर मुझे और शंका हुई और मैं डिवाइडर के पास आ गया और जोर से बोला…
“वो लड़का आया नहीं अब तक वापस…”
उसने कुछ ध्यान नहीं दिया। अब मुझे लगा कुछ गड़बड़ है। अँधेरे में गली की तरफ जाना मुझे बेवकूफ़ी लगी या सही कहो तो थोडा डर भी गया।
पीता हूँ फिर भी इंसान शरीफ हीं हूँ। मुझे तो वो आदमी भी शरीफ हीं लग रहा था। मैं रोड पार कर उसके करीब आया और बोला…
देखो तुम्हारा लड़का आया नहीं अभी तक…
वो बोला…
मेरा लड़का !!
मैंने बोला
तुम्ही ने तो कहा था की वो लड़का ठेके पे काम कारता है। ले आएगा। मगर वो तो भाग गया।
वो बोला…
कँहा कौन भाग गया !!
मैंने आधा पीछे मुड़ते हुए बोला..
वो लड़का…
लेकिन देखता हूँ वो लड़का बिलकुल सीधा वहीँ खड़ा था।
उसने बोला…
“जाओ ले के आ जाओ वो तो वही खड़ा है”
इस बार उसकी आवाज में एक अजीब तरह की घरघराहट थी। मुझे एक बारगी समझ में नहीं आया क्या करूँ। देखता हूँ सड़क के पार वो लड़का खड़ा है।
“जाओ ले आओ…” वो फिर बोला अबकी बार उसकी आवाज़ में फिर वही घरघराहट थी।
मैंने रोड के उस तरफ बढ़ा। डिवाइडर के पास पंहुच कर मैंने देखा वो लड़का एक टक मेरी तरफ देख रहा था। मेरे दिल के अंदर अचानक एक डर आ गया। आज तक कभी वैसा नहीं लगा। मैंने पीछे मुड़ के देखा कि वो आदमी क्या कर रहा है। देखता हूँ वहां कोई नहीं था। लड़का उसी तरह मुझे देख रहा था।
पता नहीं कहाँ से मगर अचानक मुझे याद आया सुबह में एक खबर पढी थी कि कैसे कल रात में शराब खरीदने पे हुए झगडे में दो लोगों ने एक 15 साल के बच्चे को गोली मार दी थी।
मैंने रोड पार नहीं किया। चुपचाप बांये मुड़ कर मैं सीधे चल पड़ा। और चलते चलते एक नज़र मैंने अपने दाँई ओर देखा तो मुझे लगा सड़क पर एक सिगरेट गिरी पड़ी थी।
–END–