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NOT ALLOWED TO BREAK THE DEAL

Published by Reetu Tyagi in category Hindi | Hindi Story | Paranormal Experience with tag accident | daughter

“Don’t worry champ, I am just coming”,ये कहकर मैंने झट से फ़ोन रखा और अपना लैपटॉप बिना बंद किये ही बैग में पैक करने लगी। हाथ जाने क्यों काँप रहे थे, जबसे रोबिन ने बताया की घर में लाइट का फ्यूज उड़ गया और वो केवल इमरजेंसी टॉर्च जला कर बैठा है, वैसे भी आज दोपहर के बाद से ही मौसम कुछ ठीक नहीं था। काफी तेज़ हवायेँ चल रही थी बारिश भी काफी तेज़ हो रही थी, पर अभी कुछ देर पहले से ही बिजली की तेज़ गड़गड़ाहट के साथ तूफानी बारिश शुरू हो चुकी थी,,, इसी के चलते ही शायद घर की लाइट में कोई फाल्ट हुआ होगा ।

,,,,,,,Oh My God,,,,, आज तो माया भी छुट्टी पर है,,,,माया,,,,, मेरी मैड जिसने की आज की छुट्टी ली थी,,,, और मुझे ऑफिस में काम के चलते ध्यान ही नहीं रहा था। रोबिन मेरा आठ साल का बेटा,,,,जो की आज ऐसे मौसम में घर में अकेला था,,, ये सोच-सोच कर मेरा दिल बैठा जा रहा था।  एक तो घर से मेरा ऑफिस भी काफी दूर था। रोज़ तो मैं ठीक छः बजे में ऑफिस से निकल जाती थी पर आज काम इतना था की खत्म करते करते ध्यान ही नहीं रहा की रात के नौ बज चुके है।

हवायेँ इतनी तेज़ चल रही थी की ऑफिस की बिल्डिंग के काँच भी थर थर काँप रहे थे, बारिश भी बहुत तेज़ हो रही थी इसलिए खुद से ड्राइव करके जाने की भी एक और टेंशन हो रही थी मुझे। हिम्मत करके मैंने कार स्टार्ट की और सर्विस लेन पार करके हाईवे पर गाड़ी तेज़ स्पीड से दौड़ा दी, घर जाने की जल्दी थी और ये मौसम,,,,, बारिश की वजह से मुझे आगे कुछ भी देखने मैं बहुत मुश्किल रही थी स्ट्रीट लाइट्स भी बंद थी अँधेरा इतना था की गाडी की हेड लाइट भी काम नहीं कर रही थी। एक बार को ख्याल आया की गाड़ी कहीं किनारे खड़ी कर दूँ  और बारिश के रुकने का इंतज़ार करूँ।

पर रोबिन घर में अकेला है ये सोच कर मैं चलती रही पर अब आगे और भी मुश्किल हो रहा था जाना क्योंकि बारिश की वजह से सड़क पर पानी भी जमा होने लगा था। मैंने सोचा क्यों न रोबिन को एक बार फ़ोन करके पूछ लूँ की वो ठीक तो है न अकेले होने की वजह से वो कहीं घबरा न जाए। ये सोच कर मैंने जैसे ही अपने पर्स से मोबाइल निकलने की कोशिश की तभी मोबाइल हाथ से छूट कर गाड़ी में ही सीट के नीचे जा गिरा और इसी हड़बड़ाहट में मेरा कार से कंट्रोल छूट गया और कार बहुत तेज़ी से किसी चीज़ से टकरायी और फिसलते हुए सड़क किनारे पेड़ से जा भिड़ी।

मुझे इतना तो याद था की मेरा सर गाड़ी के स्टेयरिंग से टकराया उसके बाद मेरी आंखे तब खुली जब बिजली की तेज़ गड़गड़ाहट हुई, समझ ही नहीं पा रही थी की अब क्या करू न ही ये समझ आया की इतनी तेज़ मेरी कार किससे टकराई। मेरे सर पर भी चोट लगी थी खून भी बह रहा था, स्कार्फ़ को मैंने अपने सर पर बाँध लिया, सोचा की गाड़ी स्टार्ट करके देख लूँ।

जैसे ही मैंने गाड़ी स्टार्ट करने के लिए चाबी घुमाई तभी मुझे किसी के जोर जोर से कराहने की आवाज़ आयी, मैंने चारो तरफ देखा तो कुछ दिखाई ही नहीं दिया अँधेरा ही इतना था , मुझे लगा शायद इस एक्सीडेंट में किसी को चोट लगी है , मैंने पर्स से अपनी टॉर्च निकाली और गाड़ी से नीचे उतर गयी, मैंने टॉर्च से अपनी गाड़ी के पीछे देखा तो एक और कार सड़क किनारे पलटी हुई पड़ी थी।

Oh My God……ये मैंने क्या कर दिया वो टकराने वाली दूसरी गाड़ी थी। मैं दौड़ कर उस गाड़ी के पास गयी, और देखा की एक ड्राइवर सीट पर एक औरत थी, जो की गाड़ी के पलटने से अंदर बुरी तरह से फँस गयी थी और उसको बहुत ज्यादा चोटें आयी थी जिनसे की बुरी तरह से खून बह रहा था। उसको सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी। टॉर्च की रोशनी में उसका खून से लथपथ चेहरा साफ़ था।

उसने मुझसे खुद को बाहर निकलने के लिए बोला – मैंने टॉर्च साइड रखी और उसको बाहर खींचने की कोशिश की पर मुझसे नहीं हो पाया। उसने फिर अपने आँखों से सड़क किनारे मुझे कुछ देखने का इशारा किया जिससे मैं बुरी तरह से घबरा गयी की शायद कोई और भी है जिसने ये एक्सीडेंट होते हुए देखा है,,,,,,,कहीं ये पुलिस केस न बन जाए ये सोच कर मैं डर के मारे काँप रही थी, मैंने अपनी टॉर्च उठाई और अपनी गाड़ी के तरफ दौड़ने लगी। ..मैंने पलटकर भी नहीं देखा वो औरत,,,,,,,हेल्प मी,,,,,,,हेल्प मी चिल्ला रही थी।

घबराहट में मुझे ख्याल भी नहीं आया कि मैं पूरी तरह से भीग भी चुकी हूँ। गाड़ी स्टार्ट हो जाए कैसे भी नहीं हुई तो न जाने क्या होगा ये सोचकर मेरे दिल की धड़कने बहुत बढ़ चुकी थी।

मैंने गाड़ी स्टार्ट करने की कोशिश की और ये वाकई जैसे कोई मैजिक ही था की ऐसे टक्कर के बाद भी गाड़ी स्टार्ट हो गयी थी। मैं गाड़ी को काफी कोशिशों के बाद वापिस हाईवे पर ला पायी। बारिश तो रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। मेरी घबराहट बहुत बढ़ चुकी थी, कापंते हुए हाथो से गाड़ी चला कर जैसे तैसे मैं घर पहुंची।

दरवाज़ा रोबिन ने खोला, मुझे जैसे की उम्मीद थी की रोबिन बहुत घबराया हुआ होगा घर में अकेले होने से,,,,,,पर रोबिन तो बहुत ही शांत और खुश था,,,,और जब रोबिन ने की,,,,,,,,Thanku mamma you are so sweet,,,,,आपने अपनी दोस्त को मेरी हेल्प और देखभाल के लिए भेज दिया,,,,इमरजेंसी लाइट भी बंद हो गयी थी और मैं बहुत डर गया था,,,,आंटी ने आकर,,,, देखो मां लाइट भी ठीक कर दी है।

मुझे बहुत ही हैरानी हो रही थी कि मैंने तो किसी को भी रोबिन के पास घर नहीं भेजा फिर कौन आया है,,,,मैंने रोबिन से पूछा बेटा कहाँ है आंटी। रोबिन ने ड्राइंग रूम के तरफ इशारा किया। मैंने रोबिन का हाथ पकड़ा और तेज़ कदमो से ड्राइंग रूम की तरफ चल दी। रोबिन ने बोला मम्मी देखो वो आंटी वहां बैठी है सोफे पर।

हाँ वहां कोई तो बैठा तो जिसकी पीठ मेरी साइड थी। मैंने सामने जाकर जैसे ही बोला,,,,,Thanku so much for helping us,,,पर जैसे ही उसने अपना चेहरा उठाकर मेरी तरफ देखा,,,मेरा पूरा वजूद जैसे सुन्न पड गया,,,,दिमाग में बिजलिया सी दौड़ रही थी,,,,मन किया जितना जोर से हो सके चिल्ला दूँ पर जैसे मेरी आवाज़ भी उस ख़ामोशी में जैसे कहीं डर के मारे दुपक गयी हो।

वो मुझे देख सोफे से उठ खड़ी हुई और उसने रोबिन को अपने पास बुलाया और बोला जाओ बेटा आप अपने कमरे में जाओ। रोबिन अपने कमरे की तरफ चला गया। ड्राईंग रूम के लाइट्स खुद ही जलने बूझने लगी थी। मैं बुत्त बनी ये सब देख रही थी समझ ही नहीं आ रहा था की ये कैसे हो सकता है ये तो वही औरत है जिसको अभी मैं हाईवे पर इतनी जख्मी हालत में छोड़ कर आयी हूँ ये यहाँ कैसे और ये तो एकदम ठीक है, वो तो खून में एकदम लथपथ थी पर इसको तो एक खरोच भी नहीं है।

जैसे ही मेरी नज़रे उसके पैरो की तरफ गयी,,,,मुझे लगा की डर की वजह से मेरी जान निकल जायेगी। उसके पैर फर्श से आधा फ़ीट ऊपर हवा झूल रहे थे। उसकी आँखों की पुतलिया एकदम काली थी और वो बिना पलक झपके मुझे घूर रही थी उसके बेजान चेहरे पर मेरे लिए बस नफरत ही नज़र आ रही थी।

वो बिलकुल मेरे पास आ चुकी थी और बोली कि तुम एकदम सही सोच रही हो जिसको तुम मरने के लिए हाईवे पर छोड़ आयी थी वो यहाँ कैसे,,,और तुम ये भी जान चुकी हो कि मै कोई जिन्दा इंसान नहीं हूँ।,,,,,हाँ मेरी मौत तो उसी वक़्त हो चुकी थी जब तुम मुझको वहाँ तड़पता छोड़ कर भाग रही थी।

मेरे पास वहां से भाग जाने की भी हिम्मत नहीं बची थी, लग रहा था की शायद ये औरत अपने मरने का बदला मुझे मार कर लेने यहाँ आयी है। वो बोलती जा रही थी कि मैं तुम्हे मदद के लिए बुलाती रही और तुमने मुझे वहाँ मरने के लिए छोड़ दिया,,,,,तुमने ही मुझे मारा है तुम्हे इसकी कीमत तो चुकानी ही होगी बोलो, पहले तुम्हारे सामने तुम्हारे बेटे को मार देती हूँ और फिर तुमको,,,तुम्हे जीने का कोई हक नहीं है वो चिल्ला रही थी,,,और मैं बस डर से गिड़गिड़ा रही थी,,,मुझे माफ़ कर दो प्लीज,,,जो भी हुआ सब अनजाने में हुआ,,,,मुझे अपनी गर्दन पर कुछ बर्फ जैसा ठंडा महसूस हो रहा था जिससे मुझे सांस लेने में भी मुश्किल हो रही थी,,,वो उसके हाथ थे, जिनकी पकड़ और कसती जा रही थी मैं बस झटपटा रही थी,,,,अचानक ही मैंने खुद को हवा में उछलता हुआ मह्सूस किया और मैं दूसरे ही पल फर्श पर औंधे मुहं पड़ी थी।

मैंने मुश्किल से खुद को संभाला और लड़खड़ाते हुए उठने की एक नाकाम सी कोशिश कर रही थी, और मैं बस अपने घुटनो के बल बैठ गयी,,,,पल पल अपनी जान से ज्यादा रोबिन की फ़िक्र हो रही थी।

तभी उसकी कर्कश आवाज़ फिर से मेरे कानो में पड़ी,,,वो गुस्से से बोल रही थी की ,,,,,तुमने ये जानने की कोशिश भी नहीं की मैं तुम्हे क्या बताना चाह रही थी। मेरी नौ महीने की बेटी जो मेरी साइड में बेबी चेयर पर बैठी थी वो टक्कर लगते ही सड़क किनारे झाड़ियों में जा गिरी।

ये सुनकर मुझे लगा की जैसे किसी ने सैकड़ो बिच्छू का जहर मेरी नसों में दौड़ा दिया हो,,,,O God  ये सब क्या हो रहा है मैंने अपने दोनों कापंते हाथो में अपना चेहरा छुपा लिया।

वो कहे जा रही थी की उसके अलावा उसकी बेटी का इस दुनिया में कोई नहीं है,  उसकी रोने की आवाज़ मेरे कानो में पड़ी मैंने देखा वो फूट फूट कर रो रही थी।

मैं सोच रही थी की उस बच्ची का क्या हुआ क्या वो जिन्दा है या नहीं। उसकी आँखों में फिर से वही गुस्सा उभर आया वो और भी खौफनाक लग रही थी जैसे वो मेरे मन की बात जान गयी और ये सच भी था अगले ही पल वो बोली – मेरी बेटी अभी तक जिन्दा है जाओ उसे यहाँ लेकर आओ,,,अगर तुम मेरी बेटी को सही सलामत यहाँ मेरे पास  लेकर नहीं आयी तो मैं तुम्हारे बेटे को जिन्दा नहीं छोडूंगी।

मेरे पास उसकी बात मानने के अलावा कोई चारा नहीं था रोबिन की फ़िक्र मुझे खाये जा रही थी। अपने आप को सँभालते हुए मैं घर से बाहर आयी और गाड़ी स्टार्ट करके उसी जगह जहां एक्सीडेंट हुआ था वापस चल दी। बारिश अभी भी काफी तेज़ हो रही थी। वहां पहुंचकर मैंने उस बच्ची को टॉर्च लेकर खोजना शुरू कर दिया उस पलटी हुई कार के ठीक पास वाली झाड़ियों में बेबी चेयर के सहारे अटकी हुई थी। मैंने झट से उसे अपनी तरफ खींचा, बच्ची ठण्ड से काँप रही थी इतनी बारिश में वो यहाँ जबसे भीग जो रही थी उसके चेहरा लगभग नीला पड़ चूका था, ये यकीन कर पाना बहुत मुश्किल था की वो ऐसे हालत में जिन्दा कैसे बच गयी।

मैं लगातार खुद को कोस रही थी की ये सब मेरी नादानी में हुआ है। मैंने उस बच्ची को बेबी चेयर से अलग किया और गोद  में लेकर गाड़ी के अंदर आ गयी। गाड़ी का हीटर ऑन किया और फर्स्ट ऐड  बॉक्स से कुछ बैंडेज निकल कर बच्ची को लगाए थोड़ी हीटर की गर्मी से बच्ची को कुछ राहत लग रही थी।

जैसे तैसे करके मैं घर पहुंची किसी अनहोनी होने का डर मुझे और डरा रहा था। मैंन गेट खुला हुआ था मैं भागते उस बच्ची को लेकर भागते हुए ड्राईंग रूम में आयी। रोबिन के कमरे से,, रोबिन और उस औरत के बातेँ करने की आवाज़े नीचे तक आ रही थी। पर पलक झपकते ही वो मेरे सामने खड़ी थी अपनी बेटी को देखते ही वो रोने लगी। अगले ही पल उसका लहज़ा और सख्त हो गया।

उसने कहा ,,,,अगर तुम चाहती हो की मैं तुम्हे और तुम्हारे बेटे को जिन्दा छोड़ दूँ तो तुम्हे मुझसे एक डील करनी होगी,,,,,तुम मेरी बेटी की अपने बच्चे की तरह परवरिश करोगी,,मेरे अलावा मेरी बेटी का इस दुनिया में कोई नहीं है मैं ये नहीं चाहती की मेरी बेटी एक अनाथ की जिंदगी गुजारे,,,,अगर तुमने कभी मेरी ये डील तोड़ी, तो तुम भी मुझे अपने साथ बुरा करने से नहीं रोक पाओगी।

मैंने कहा – हाँ मैं तैयार हूँ क्योकि ये समझौता मेरे लिए अपनी और रोबिन की जान बचाने के अलावा कुछ और भी था और था मेरा प्रायश्चित। वो ये सुनकर कुछ देर चुप रही, और अपनी बच्ची को जो कि मेरी गोद में आराम से सो रही थी,,,देखती रही उसकी आँखों में आँसू थे।

उसके चेहरे पर अब एक सुकून सा नज़र आ रहा था । उसने अपनी बच्ची को सहलाया, प्यार से उसके हाथो को छुआ,,,अपनी बच्ची से दूर जाने की तड़प उसके चेहरे पर साफ़ नज़र आ रही थी,,, जाने अनजाने में जो भी हुआ हो,,, मैं गुनहगार थी उसकी। मैंने उससे कहा ,,,,प्लीज मेरा विश्वास करना मैं इस बच्ची को अपनी औलाद की तरह पालूंगी,,,उसने मुझे बहुत उम्मीद की नज़रो से देखा और वो वहां से एक हवा के झोके की तरह गायब हो गयी।

उस प्यारी सी बच्ची ने मुझे अपने नन्हे हाथो से कसकर पकड़ लिया। अब बाहर तूफान भी थम चूका था। चारो तरफ एक ख़ामोशी सी थी। तभी रोबिन की आवाज़ मेरे कानो में पड़ी,,,वो अपने कमरे से दौड़ता हुआ मेरे पास आया और बोला,,,,,,माँ – आप ले आयी मेरी छोटी बहन को,,, आपको पता है, उन आंटी ने मुझे बोला था की आप मेरी छोटी बहन को लेने गयी हो। रोबिन बहुत खुश था और मैं भी उस बच्ची को पाकर,,,,मुझे अपने प्रायश्चित के रूप में एक और नन्ही सी खूबरूरत जिंदगी जो मिल गयी थी,,,,मैंने अपने दोनों बच्चो को अपने सीने से लगा लिया।

ये शायद एक ऐसे डील थी जिसको मैं भी अब कभी तोड़ना नहीं चाहती थी।

–END–

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