This Hindi poem highlights that if you write your articles after gaining the real life experience then you will become the best one but if your writings are fake then no one bothers to read the same
बिना एहसास के ज़माने को ……दर्द भी नहीं होता ,
तेरा “लेख” तेरी बनावट के ……झूठ को भी नहीं ढोता ।
तू जब लिखता कलम से …..कोई दर्द अपने सीने का ,
देख तेरे उस लेख पर …..ज़माना भी कहीं तो रोता ।
तू गर लिखता कोई दर्द …..किसी और का सुनाने को ,
तेरे उस लेख पर कोई भी ……अपनी राय तक नहीं देता ।
तेरे इश्क की कहानी ….जो थी दर्द से भीगी हुई ,
हाँ, उस इश्क को पढ़कर ही ……तेरा नाम “Award List” में होता ।
तेरे खामोश लफ्ज़ जब बोलते हैं ……..कुछ भी अपने करम ,
तब उन कर्मो को सुनकर ही …..तेरी कलम को भी लिखना होता ।
हर ख़ुशी तेरे जज़्बातों की …….चेहरे पर मुस्कान ले आती ,
हर तराना तेरी “मय” का …….मयकदे में रौनक भर देता ।
हँसने वाले सदा ही ……..अपने “लेखो” को व्यंगात्मक बनाते ,
रोने वाले अपने लेख में ……एक रोने की तस्वीर जगाते ।
इश्क में हारे हुए ….अपनी कलम को आवाज़ बनाते ,
इश्क में जीते हुए …..सबको इश्क करने की सलाह दे जाते ।
वैशाल्य की रौनक को बयाँ …..उसे भोग कर ही कर सकते हैं ,
हर “नशे” में डूब कर ही …….नशे की इन्तिहाँ को पढ़ सकते हैं ।
हर लेखक के आधे लेख …….उसकी खुद की छवि होते हैं ,
और बाकी के आधों में …….कहीं न कहीं उसके जीवन से जुड़े लम्हे होते हैं ।
मैंने जब भी कल्पनायों से भरा …….कोई लेख यहाँ पर लिखा ,
मेरे कागज़ पर सिमट गई …….हज़ारों अनगिनत सी रेखा ।
मैंने जब भी अपने यथार्थ को यहाँ पर ……एक दूत बन उढ़ेला ,
मेरे दिल में मचा एक द्वंद ……जैसे मैंने पार किया हो कोई रेला ।
हाँ, लेखक बनना ……कोई आसान बात नहीं होती ,
अपने हर एहसास को कागज़ पर लाना ……एक जोखिम भरी बात बड़ी होती ।
जब तक बिन “एहसास” के …….तुम अपनी कलम चलायोगे ,
तब तक अपने “लेखो” को …….तुम मरा हुआ ही पायोगे ।
जिस दिन “एहसास” में डूब कर …….तुम अपनी जिंदगी …….एक “खुली किताब” बनायोगे ,
समझ लो उसी दिन अपनी कलम से …….तुम “Best Writer” बन जायोगे ॥