इतिहास विजयी वर्ग लिखता है तो क्या परास्त योद्धा अपने शौर्य को बिलखता है?
महाभारत का दुर्योधन किसे पता सुयोधन न था, इतिहास के पन्नो की स्याही में उसका कोई अंक न था!!!
पाण्डु गद्दी बिराजे क्यूंकि धृतरष्ट्र चक्छु -बद्ध था, दुर्योधन उस पश्चात राज्य मुकुट का धार्मिक वर था I
हे भगवान! अगर तुम जरा धर्म को तोलो, इस अज्ञानी मनुष्य के नेत्र जरा खोलो I
बताओ सत्यवीर युधिष्ठिर का कहाँ हस्तिनापुर का पद था और दुर्योधन सकल पांच पांडवो में कहाँ काम था?
दुर्योधन ने द्रौपदी का चीरहरण रचाया ,
किन्तु !!! इतिहास हमे दिखाए पांचाली के पांच पतियों ने कहाँ विरोध जताया?
द्रौपदी का सभा में तिरस्कार इतिहास में भली भांति वर्णित है, किंतु जब युधिष्ठिर ने अपना राज्य दाव पर लगाया , दुर्योधन दुशाशन को राज्य की अनगिनत द्रौपदियों का हक़ दिलवाया II
कहो प्रभु! युधिष्ठिर की सूझबूझ का इसमें कौन सा गणित है?
पांचाली के अपमान में महाभारत रचाया और कर्ण के शौर्य पर जाती का कलंक लगाया!
खांडवपरस्त में मदमस्त द्रौपदी ने दुर्योंशन को हास्यप्रद बताया, और धर्म की रक्षा कह कर अर्जुन ने निहत्थे कर्ण पे बाण चलाया!
कैसा है ये धर्म प्रभु जायज और नाजायज का इस मुर्ख को समझ न आया, वासुदेव !!! आपने सारथी बनकर बर्बरीक को पहाड़ की चोटी दिखाई, द्रोण के विलाप वध हेतु अस्वथामा मरण गाथा सुनाईII
अश्वथामा के नारायण अश्त्र को अमानवीय बताया,युद्ध नियमों का शेप करने कारण कोन्डित कर कलयुग तक पहुँचाया!
धर्म एवं अधरम की वीरगति समझ न आई, 18 दिनों का व्याख्यान करने हेतु धर्म की किताब रचाई I
दुर्योधन छवि खंडित हुई, पांडव धर्मरक्षक कहलाएं! जीत बाहुबली की हुई और इतिहासकारों ने कलम में स्याही डुबाई!
जो हुआ धर्मरक्षा हेतु,”महाभारत” हम उसे कहते हैं, गांधारी संग आँखों पर पट्टी बाँधे, शुशोभित हम करते हैं!!!
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