धुन्धली यादे: This Hindi poem is about a failed lover who remember the past time which is spend with his loved one and feeling sad & lonely. It is a poem of an unsuccessful love story.
मन की खिड़की से झाँकने हुये देखा
कुछ धुन्धली यादो से फिर से मुलाकात हुयी
अतीत के कुछ पन्ने फिरसे सामने आया,
मेरी पुरानी परछाईं मुझसे मिलने आयी।
याद है ओ बस स्तप जहां हम पेहली बार मिले थे,
तुमने मुझसे एक पता पुछा था,
ओर मैने बदमाशी से तुम्हें गलत जगह बाताइ थी
ओर अगले दिन जब फिरसे हमारी मुलाकात हुयी,
तो तुमने मुझसे कुछ नेही कहा।
उसी दिन ही मै तुम्हें पसंद करने लगी थी।
युही मुलाकात होते होते हम दोस्त बन गये
फिर दोस्ती की दो अक्षरो मे चलते चलते,
कब दो अक्षरो की प्यार की गहराई मे पहुँच गये पाताइ नेही चला।
ओर फिर बाद मे पाता चला,
की तुमने झुट्मुट के पाता पुछे थे,
मुझसे बाते करने के लिये।
हमे एक दुसरे का साथ मिला,
ओर जिंदगी को जान,
पर आज मुझे इस बस स्तप से सकत नफ़रत है।
याद है तुम्हें ओ फुल का दुकान
जहाँ से तुम पेहली बार मुझे गुलाब दिये थे।
उस दुकान की सारी गुलाब तुमने मेरे नाम कर दिये थे,
पर आपनी जिंदगी नेही।
ओर ओ गलियॉ,
जहाँ गोलगोल घुम के फिर हम आपने घर जाते थे,
एक दुसरे के साथ थोरा ओर बकथ बिताने के लिये।
पर आज उस गलियों की रास्ते मुझे मालुम नेही।
ओर ओ मेरी सबसे पसंदीदा जगह,
ओ झिल का किनारा,
जहाँ हम पाता नेही कितने देर तक खामोश बेठा किया करते थे,
एक दुसरे की दिल की धरकन सुना करते थे।
आज दिल, धरकन इन शब्दों से घिन आती है
आज उस झिल का किनारा अकेली है
आज मै अकेली हु।
ओर ओ आम का पेड याद है,
जिसके नीचे हम पुरी शाम बेठे इहा-उहा की बाते किया करते थे,
कभी तुम मुझे हँसाते थे,
तो कभी मै तुम्हें हँसाती थी
ओर युही बकत बित जाया करता था।
पर आज हर शाम मुझे मेरी तन्हाई से मुलाकात होती है
हर शाम मुझे लम्बी लगती है
लगता है जैसे घड़ी की काटे चलही नेही रही है।
याद है मैने तुम्हारा पसंदीदा जगह कौनसा है पुछा था,
ओर जबाब मे तुमने कहा था,
जहाँ जहाँ मेरी कदम परती है।
मै उस दिन बहुत खुश थी,
बहुत मुस्कुराई थी।
पर आज सालों बित गये मुस्कुराहट से मुलाकात नेही हुयी।
तुम्हारी पसंद बदल गयी,
हम बिछर गये।
आज मै आजाद हु
एक आजाद पन्छी।
फिर भी मै उर नेही पा रही हु
किउ की मेरी पंख तो तुम थे
मेरी आसमान तो तुम थे
मेरी दुनियाँ तो तुम थे॥
***