Father’s are daughters best friends.. No matter how old I get.. I will always be his little “Doll”.. I always cherish my childhood moments I had with him.. I live those moments in my imagination.. I wish one day will come when we both can sit together for a long time.. he will pamper me with all the childish wishes I have and I will show him how much I love him.. How much I want to be with him! God Bless all the fathers!
ओ मेरे बाबुल.. मै तेरी गुड़िया..
मुझे आना है तेरे आँगन मे फिर से।
तेरे पहरे मे पलना फिर चाहती हुँ..
तेरे रक्षण मे मुझको खिलना है फिर से।
तेरे काँधे पे चढ़ के जाना है मेले..
जहाँ झूले भी होंगे और होगी जलेबी की रेड़ी।
मिट्टी के बर्तन है मुझको लेने..
मुझको भाए बहुत वहाँ की चाट पकौड़ी।
मेरे बाबुल तू हाथ मेरा थामे रहना..
न भटकूँ कही मै.. सम्भाले तू रहना।
मेरा मन चंचल होता है आज भी वासे..
मेरी ज़िद्द को तू मेरा लाड़ समझना।
बाबुल! तू ले चल आमों के बाग़ों मे..
तेरे काँधे पे चढ़ कर आम मै तोड़ूँगी।
मोर भी आएँगे नाच दिखाने..
कोयल की कूँ कूँ भी कानों मे गूंजेगी।
चल बैठ.. आ खेले हम घर-घर यही..
पेड़ की छाँह.. ठंडी हवा भी चले।
तूँ कहानी सुना.. मै बैठी रहूँगी..
दो चार झपकी भी लूँगी जो तू थपकी भरे।
न होने दे शाम.. न घर मुझको जाना है..
मेरा सपना न टूटे.. जो नींद से उठ मै गई।
सच मे तो ये सब अब संभव न होगा..
कल्पना के नगर.. मै जी लू बचपन वही।
न सियानी तू बोल.. न बेगानी तू बोल..
मै तो हुँ तेरी नन्ही सहेली।
जैसे तू मनोभाव समेट के रखता है..
मुझसे न सुलझे ये मुश्किल पहेली।
मै आज भी वैसे ही रो देती हुँ अकसर..
जैसे मुँह बनाकर मै बचपन मे रोती थी।
पर तेरे मनाने मे एक अलग ही जादू था..
तेरा हाथ लगते ही.. सर से हर बला टलती थी।
चल कर ले से वादा तू.. जब हम मिलेंगे..
अरमान सारे तू पूरे करेगा मेरे..
बहुत से लाड़ लड़ाने है मेने..
सारे नही तो दो चार सपने हम फिर से जीएंगे।
ओ मेरे बाबुल.. मै तेरी गुड़िया..
मुझे आना है तेरे आँगन मे फिर से।
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