इंडिया की बेटी – भारत की बेटी
एक ओर है , इंडिया की बेटी,
प्रोफ़ेशनल प्रवेश परीक्षा की तैयारी हेतु ,
नियम से कोचिंग जाती ,
अच्छा स्वास्थ्य पाने हेतु
नियम से जिम जाती ,
नियम से योग करती ,
प्राप्त कर उच्च शिक्षा विदेशी,
कॉर्पोरेट सेक्टर में कार्यरत हो,
अच्छे औंधे पर आसीन होतीl
कभी डॉलर, कभी यूरो कमाती ,
कभी कॉन्फ्रेंस -वर्कशॉप ,
कभी डेस्टिनेशन वेडिंग में भाग लेती ,
कभी नए स्टाइल की क्रोकरी ,
कभी नई ट्रेंड की साडी खरीदती,
कभी विदेशों में छुटियाँ बिताती ,
हीरे जेवरात पहनकर ,
वेस्टर्न ड्रेस्सेस अटैची में बंदकर ,
दहलीज़ पर जौ के फुले बिखराकर ,
चली जाती अपने,प्रियतम के गावँ l
दूसरी ओर है भारत की बेटी,
मूल भूत सुविधाओं को तरसती ,
हिंदी माध्यम की पाठशाला में पढ़ती ,
ना रेडियो सुन पाती,ना टीवी देख पाती l
परिवार में त्योहारों पे,
लोक गीत सुनती -सुनाती ,
और उन्हीं लोक गीतों पर ,
ढेर सा धमाल मचाती l
घर घर बरतन मांजकर , कपड़े धो कर ,
घर घर स्वादिष्ट भोजन बनाकर ,
अपने घर चुहले पर ,
अपने परिवार हेतु
पौष्टिक भोजन बनाती l
पढ़ाई की भी ,
भर्सक चेष्टा करती ,
कंप्यूटर सिखने का भी प्रयास करती ,
बढ़े समृद्ध घरों में बच्चों ,
के साथ हर्षित रहती l
घोर कठिन परिश्रम करती ,
दरवाज़े पर सुन्दर रंगोली बनाकर,
घर आंगन की क्यारियां सींचकर ,
छोटी मोटी जीविका कमाती ,
प्रसन्न चित रहतीl
पोटलियों में चाँदी के गहने समेटती ,
सुंदर चटकीली साड़ी ,
साफ सलीके से पहनती ,
महंगी साड़ियों को संभालती ,
और छोटे से ट्रंक में बंद करके ,
सर पर जिम्मेवारी का पल्लू लपेटती ,
दहलीज़ पर चावल बिखराकर ,
चली जाती अपने, प्रियतम के गावँ l
इंडिया की बेटी एवं भारत की बेटी ,
दोनों है औलोकिक एवं अनूठी ,
मानो जैसे समान्तर रेखाये परस्पर,
समय के साथ मेल बढ़ा रहीं,
नज़दीक आ कर परस्पर l
ये है ईश्वर की कृतियां सर्वोत्तम,
जब ये मिल जायेंगी रेखाएं परस्पर,
जो कभी लगती थी, रेखाये समान्तर,
उज्जवल सिंधु बनाएंगी एक बिंदु पर ,
तब होगा हमारे देश का विकास निरंतर l
END
Dr Sukarma Rani Thareja
Alumnus IIT-Kanpur
Associate Professor(Retired)
CSJM Kanpur University
UP,India