Rakshbandhan is special for all the brothers and sisters. A sister is sending a lovely message to her brother and telling him how rakhis are special for us and why we choose silk threads to make rakhis for brothers..
I live far from my brother and I miss him on every Rakshabandhan. That’s why I write a Hindi Poem as a gift to him to let him know about how I feel on Rakshabandhan day.. This year it’s special because I’m going to gift this poem with you story club..
रेशम का नन्हा डिंभक..विशेष रूप से पलता है..
शहतूत ते पत्ते खाकर.. रेशम कीट पनपता है..
सही समय आने पर.. कोकून रूप वह धारण कर..
सब्र से बुनता रेशम.. बुन बुन वो नही थकता है।
रेशम की तार को चरख़े पर.. कारीगर बटोरता चलता है..
कोमल रेशमी धागा फिर.. उपयोग के लायक बनता है..
रंग बिरंगी रेशमी डोर.. फिर पटका धागा कहलाती है..
रक्षाबंधन के अवसर पर.. हर बहना को ललचाती है।
रेशम कीट के डिंभक जैसे.. भाव मेरे भी पलते है..
बचपन की यादों को पाकर.. भूख को अपनी खोते है..
उचित समय आते ही.. कोकून के जैसा दिल बन जाता है..
हर धड़कन बुनती है रेशम.. वो तार जो भाई से जुड़ता है।
रेशमी यादें.. रेशमी बातें.. प्रेम भी रेशम जैसा है..
अटूट है बंधन.. हो जब भी दर्शन.. प्रेम तो कम नही करना है..
कभी बनाऊँ.. कभी पिरोऊँ.. कभी सजाऊँ राखी मै..
अब की बार दुकान से लाई.. पर इसमें मेरा स्नेह भरा है
नीचे सूत और ऊपर रेशम.. गोटा लिपटे ज़री सजी है..
हस्तशिल्पी के हुनर को छूकर.. राखी की डोर उभरती है..
कच्चे धागों के गुच्छो मे वह प्रतिभा अपनी बोता है..
चुन चुन कर अंगिनत तरह की राखियाँ ला पिरोता है।
भेज रही हुँ दूर देश से.. हल्की-फुल्की राखी है..
एक एक धागा बहुत खरा है.. अमूल्य प्रेम की डोरी है..
पहन इसे इतराके कहना.. बहना ने स्पर्श अपना भेजा है..
क़मीज़ की बाज़ू चढ़ा के रखना.. तुझपे वारी जाए तेरी बहना है।
ये बंधन अटूट है भाई.. नींव भी बेहद गहरी है..
रेशम के उत्पादन से लेकर.. ह्रदय को छूती एक डोरी है..
सब बदला है.. सब बदलेगा.. हमको पहले सा रहना है..
अपने रिश्ते की ताक़त को.. विश्वास से सींचते रहना है।
रेशम का नन्हा डिंभक.. विशेष रूप से पलता है..
शहतूत ते पत्ते खाकर.. रेशम कीट पनपता है..
रेशम कीट के डिंभक जैसे.. भाव मेरे भी पलते है..
बचपन की यादों को पाकर.. भूख को अपनी खोते है।
***