पल दो पल ……… ढूँढ रहे थे ………. हम फिर कल ,
पल वो पल ………. जिनमे हो बाकी अब ………… कल की ग़ज़ल ,
जिन पलों को …… खो दिया था …… उन्हें फिर से पाने में हो सफल ,
पल दो पल ……… ढूँढ रहे थे ………. हम फिर कल ……
उम्र की गिनती ……… हो चुकी थी ………. देखो उलटी अब
सोच रहे थे ………. वो अब शायद ………… कैसे सीधी होगी ये अब ?,
पल दो पल ……… ढूँढ रहे थे ………. हम फिर कल ……
अक्सर ऐसा ही होता है ……… जब टूटते हैं ………. कई घर ,
कोई कहे उन्हें दिल की तसल्ली ……… कोई कहे ………… एक डगर सफ़ल ,
पल दो पल ……… ढूँढ रहे थे ………. हम फिर कल ……
लाख सँभाला था इस दिल को ……… पर ये ………. टूट ही गया था ,
अब तो जीने की ख्वाइश का …….. सपना भी ………… छूट गया था ,
पल दो पल ……… ढूँढ रहे थे ………. हम फिर कल ……
ऐसे पलों के वापस आने से ……… लगता है ………. मुझे अब बहुत डर ,
सोचती हूँ क्यूँ क़ैद करूँ इन्हे नैनो में …….. लाने को ………… किसी के अश्रु कल ,
पल दो पल ……… ढूँढ रहे थे ………. हम फिर कल ……
चेहरा कल था मेरा ………कुछ पलों के लिए ………. फिर से खिला हुआ ,
कभी उनकी और कभी मेरी …….. अधूरी चाहत से ………… था ये जी उठा ,
पल दो पल ……… ढूँढ रहे थे ………. हम फिर कल ……
उस वक़्त का भी शुक्रिया ………जिसमे थे ……….कल वो पल ,
इस वक़्त का भी शुक्रिया …….. जिसके पलों ने ………… दी थी उन्हें कुछ अकल ,
पल दो पल ……… ढूँढ रहे थे ………. हम फिर कल ……
मैंने ना बाँधी ……… कोई उम्मीद उन पलों से ……… जो हैं बेगाने ,
मैंने ना देखी ……… कोई तस्वीर उन पलों की ……….जो चले जाएँगे सीना ताने ,
पल दो पल ……… ढूँढ रहे थे ………. हम फिर कल ……
कुछ पलों में मैंने देखा ……… अपने कल का ……… एक वीभत्स नज़ारा ,
कुछ पलों में उसने भी देखा ……… एक डर ……… इस जीवन का सारा ,
पल दो पल ……… ढूँढ रहे थे ………. हम फिर कल ……
मैं उन पलों को बाँध कर अब ……… लिख दूँगी ……… उन पर एक ग़ज़ल ,
वही ग़ज़ल जिसको गुनगुनाकर ……… मेरे बिना जी लेंगे ……… वो शायद कल ,
पल दो पल ……… ढूँढ रहे थे ………. हम फिर कल ……
पल दो पल ……… ढूँढ रहे थे ………. हम फिर कल ,
पल वो पल ………. जिनमे हो बाकी अब ………… कल की ग़ज़ल ,
जिन पलों को …… खो दिया था …… उन्हें फिर से पाने में हो सफल ,
पल दो पल ……… ढूँढ रहे थे ………. हम फिर कल ……
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