कल तक था “उसे” भी गुमान …..हर स्त्री की भाँति ,
अपने सुडौल वक्षों को ……जब भी किसी महफ़िल में “वो” दिखाती ।
नारी की सुन्दरता का …..एक यही तो होता है ……सबसे उतम बखान ,
जब नाक-नक्शे और रंग-रूप के बाद …..वक्षों को मिलता दूजा स्थान ।
मगर कुछ समय बाद ही ……उसके वक्ष में …….एक गाँठ बनने लगी ,
वो उसे नज़रअंदाज़ कर ……..अपने भीतर पल रहे संकोच …..में ही मरने लगी ।
इतनी लज्जा भी स्त्री में …..होती है किस काम की ?
जब वो कह भी न सके ……अपने मन में दबी हुई व्यथा …….समझ उसे अपमान की ।
घंटों शीशे के आगे खड़े ……..”वो” रोज़ अपने वक्ष को निहारकर ,
फिर सोच में पड़ जाती यूँही ……..कि किससे कहूँ ……ये किस्सा उघाड़कर ?
पति “परमेश्वर” से होता उसे संकोच ……..अपना दुःख-दर्द कहने में ,
कि कहीं छोड़ न बैठे पति उसका …….भंवर में फँसी उन लहरों में ।
फिर एक दिन अचानक …..”वो” अपनी “सास” के साथ अस्पताल गई ,
वहाँ “डाक्टरनी” को उसकी “सास” ने …….”उसकी” व्यथा की कथा कही ।
सुनकर “डॉक्टर” हैरान हो गई ……..तुरंत जाँच के लिए “उसे” बुलाया ,
परन्तु जब तक देर हो चुकी थी …….गाँठ बन गई थी तब तक ……”कैंसर” की छाया ।
“स्तन” कैंसर है बहुत विषैला ……..जो हर लेता सुन्दरता नारी की ,
उससे उबर न सका है कोई ……जिसे झेलनी पड़ी है मार ……इस बीमारी की ।
बहुत दर्द उसने भी सहा ……जब जुदा उसके “स्तन” को करना पड़ा ,
जिस सुन्दरता का कायल कभी जग था ………आज उसकी ही बदसूरती से गुजरना पडा ।
मगर साहस और त्याग से ही ……..नारी की पहचान है ,
वो फिर भी जिंदा रह कर जी ली ……यही उसके “स्त्रीत्व” की शान है ।
“ब्लाउज” में लगाकर “कपड़ा”…….वो समाज में अपना “स्त्रीत्व” छिपाती ,
मगर कहने वाले तो तब भी उसको ……..कह जाते “दिया बिन बाती” ।
कुछ सालों के बाद फिर से …….उसकी हालत और बिगड़ने लगी ,
एक के बाद अब दूसरे “स्तन” की …….उम्र भी देखो घटने लगी ।
“कैंसर” की फैलीं जड़ें अब ……..धीरे-धीरे से शिकंजा कसने लगीं ,
हाँ ,फिर से गुज़रना पड़ेगा उसी दौर से …….ये सोच उसकी उम्र भी घटने लगी ।
कोई और चारा बाकी न रहा अब …….दूसरे “स्तन” से भी निजात पाने को ,
“वो” फिर आ बैठी उस अस्पताल में दुबारा ………अपना “तन” चिरवाने को ।
हटा दिया दूजा “वक्ष” भी उसका ……उसके सुन्दर सीने से ,
“नारी” से बन गयी “वो’ ….”मर्द” अब …..बचा न शेष कुछ जीने में ।
आज भी महफिलों में जाना पड़ता है …….जब भी “उसे” …..कहीं “बाहर” ,
तब याद आते हैं “उसे” भी वो पल ……..जब वक्षों में डूबा करता था “उसके” भी ……यूँही सारा संसार ।
मगर आज “वो” उन वक्षों के बदले …….अपने बुझे हुए अरमान छिपाती है ,
पहनावा “स्त्री” का होता है ……मगर ब्लाउज में “कपडों” के वक्ष लगाती है ।
इतनी हृदय विदारक घटना ………न घटे किसी भी “स्त्री” के साथ ,
इसलिए पहले से ही सचेत रहो …….ये सन्देश देती है “वो” सबको एक साथ ।
कि जब भी कभी अपने “स्तनों” में …….कुछ अजीब सा महसूस करो ,
तो तुरंत डॉक्टरी जाँच करायो ………देर करने की मत भूल करो ।
नारी का सम्मान है उसके ………रूप और रंग से महान ,
इसलिए अपना “स्त्रीत्व” बचाओ …….जब भी खतरे में लगे अपने प्राण ।।
A Message To All Women-
Self Examination is the only way to get rid of this Disease ,
And If Symptoms Persists…..Then Go For “Mammogram” at least.