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Progress Report

Published by BR Sunkara in category Childhood and Kids | Hindi | Hindi Story | Social and Moral with tag grandfather | marks | Sad

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Hindi Moral Story for Kids – Progress Report
Photo credit: ecerroni from morguefile.com

“दादाजी” शालिनी कुछ:सिकुड़ी हुई सी दूर खड़ी हुई।

“बोलो बेटा, मेरे पास आओ। क्या बात है?” दादाजी ने शालिनी की ओर देखकर कहा।

उन्हों ने अपने हाथ से हिन्दु पेपर तहकरके मेज पर रख दिया। उन्हें लगा कि शालिनी उनसे कुछ कहना चाहती है।

“दादाजी, मुझे डर लग रहा है।” शालिनी ने कहा।

“डर किस बात का है बेटा? साफ़ साफ़ बताओ ना।”

“दादाजी, आज मेरा प्रोग्रेस रिपोर्ट आया है।”

”तो क्या हुआ?”

“दादाजी, गणित में मेरे बहुत ही कम नंबर हैं। मुझे डर है कि मेरा प्रोग्रेस रिपोर्ट देखने पर पिताजी मुझे बहुत डांटेंगे, शायद मुझे मार खाना पड़ेगा।”

दादाजी कुछ गहरे विचार में पड़ गये।

“बोलो, गणित में तुम्हारे नंबर क्या हैं?” उन्हों ने पूछा।

“सर्फ पच्चीस दादा जी” शालिनी ने कहा।

“बस, इसी के लिए इतना डर रही हो? दसवीं कक्षा में मेरे गणित के नंबर क्या हैं, जानती हो तुम?“

“नहीं तो, आपके क्या नंबर हैं?”

“पन्द्रह.. बस पन्द्रह नंबर हैं बेटे और तब मेरे पापा ने मुझे नहीं डांटा। सिर्फ अगली बार ज्यादा नंबर लेने को उन्हों ने कहा था।”

“अंग्रेजी में भी मेरे बहुत कम नंबर हैं दादजी”

“अंग्रेजी में क्या नंबर हैं?”

“बस, बत्तीस!” शालिनी ने कहा।

“अरे..तुम्हारे नंबर मुझ से ज्यादा हैं। मुझे तो उन दिनों में मुझे बस चौबीस ही नंबर मिले हैं बेटे और तब भी तब मेरे पापा ने मुझे नहीं डांटा। सिर्फ अगली बार ज्यादा नंबर लेने को उन्हों ने कहा था।”

दादा जी के अंक उससे बहुत कम हैं। शालिनी खुशी से आकर दादजी की गोद में बैठ गयी।

“दादा जी वित्ज्ञान में मेरे अंक सिर्फ पन्द्रह हैं।”

“परेशान नहीं होना। उन दिनों में मेरे नंबर विज्ञान में सिर्फ दस ही हैं बेटे”

अब शालिनी को संतोष मिला। दादा जी से उसे ज्यादा नंबर ही मिले।

“दादा जी, हिंदी में आप के क्या नंबर हैं?”

“क्यों बेटा, तुम्हारे क्य नंबर हैं?”

“मेरे तो पचास हैं दादा जी“ शालिनी ने गर्व से कहा।

“अरे बेटा तुम्हारे बहुत अच्छे नंबर हैं। उन दिनों में मेरे तो शायद तीस या पैंतीस हैं।”

उसी समय दादी माँ वहाँ आयी। उन के हाथों में एक प्रोग्रेस रिपोर्ट था।

“देखिये, आपकी दसवीं का प्रोग्रेस रिपोर्ट मुझे पुराने सामान में मिला। एक बार देखिये ना”

शालिनी ने लपककर दादी माँ के हाथ से दादाजी का प्रोग्रेस रिपोर्ट ले लिया।

दादा जी के नंबर गणित में 99 और अंग्रेजी में 95 हैं। विज्ञान में 93 और हिन्दी में 99 हैं। बाकी विषयों में भी उनके अंक बहुत अच्छे हैं।

शालिनी का चेहरा एकदम सिकुड गया।

“दादाजी, आप मुझ से झूठ क्यों बोले?”

“बैटे मैं चाहता हूँ कि तुम दुखी न हो। परीक्षाओं में बच्चों को अच्छे नंबर मिलें, हर माँ बाप यही चाहते हैं। इस का यह मतलब नहीं कि बच्चों से वे प्यार नहीं करते। मैं तुम को दुखी देखना नहीं चाहता, इसी लिये मैं झूठ बोला।”

दादाजी ने प्यार से शालिनी को चूमते हुए कहा।

उसके बाद शालिनी के मन में आया कि वह दादा जी से अच्छे नंबर लाना चाहिये। अगली परीक्षाओं में उसके नंबर अस्सी के ऊपर हैं। यह देखरक घर के सब बहुत खुश हुये।

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