सुबह-सुबह, लल्लन जी बिहार के अपने गांव में बैठे अपनी भैंस भूरी का दूध दुह रहे थे। मास्टर जी ने निकलते हुए पुछा “और लल्लन भैया क्या हाल?”
“सब ठीक है मास्टर जी, जब तक ये भूरी है न मेरी देखभाल के लिए, मैं ठीक ही रहूँगा। 2 टाइम बढिया दूध दे देती है, बेच कर अच्छा गुजरा चल रहा है। बस राम जी की ऐसी ही कृपा बनी रहे।”
मास्टर जी हँसते हुए “सही जोङी है तुम्हारी और भूरी की, न तुम्हारा कोई परिवार न इसका। दोनों एक दूसरे की अच्छी देखखभाल करते हो।”
लल्लन “मास्टर जी मेरी भूरी है ही इतनी सुन्दर, मुझे इसके आगे की अच्छा लगता ही नहीं। है कोई और भैंस भूरे रंग की पूरे 5गाँव में आसपास?”
मास्टर जी हँसते हँसते चले गए।
कुछ दिन बाद ……
लल्लन गाँव में चिल्लाता भाग रहा था “अरे मेरी भूरी को कोई ले गया। कोई ढूंढो उसे। मैं तो जीते जी मर गया। अब मेरा क्या होगा?”
सब उसे सांत्वना देते है कि वो आ जायेगी, कही घूमने चली गयी होगी। लल्लन कई दिन ढूंढता रहा पर भूरी नही आई। वो गाँव में पूरा दिन उदास बैठा रहता। गाँव वालो के कहने पर भी कुछ न खाता।
सबने समझाया पुलिस में रिपोर्ट लिखाये। हाथ पे हाथ रख के बैठने से कुछ न होगा। वो बगल के गाँव के थाने चला गया।
लल्लन, inspector साहब से “मालिक मेरी भूरी खो गयी है, 4 दिन हो गए, पता नहीं बेचारी कैसी होगी। मदद करो मालिक।”
इंस्पेक्टर कितने बरस की थी तेरी भूरी?”
“मालिक7 साल।”
“कोई फोटोहै उस बच्ची की? कैसा बाप है तुझसे अपनी 7 साल की बच्ची भी नहीं सम्भली?”
“फोटो तो नहीं है मालिक। मालिक भूल हो गयी। एक बार ढूंढ दे। आगे बहुत ध्यान रखूँगा।”
“अच्छा ये बता दिखती कैसी थी।”
“मालिक बहुत सुन्दर है मेरी भूरी। रंग, सुन्दर कजरारी आँखे, सुडोल शरीर, लंबी पूँछ……”
“पूँछ…………..अबे भूरी तेरी बेटी नहीं है, जानवर है।”
“साहब ऐसा न कहो, बेटी ही है मेरी भैंसिया मेरी।”
“साले तू पागल है क्या भाग यहाँ से, हम यहाँ तेरी भैंस ढूंढने बैठे है? क्या फालतू मे इतना टाइम खोटी कर दिया।”
“मालिक ऐसा न कहो, मैं मर जाऊंगा उसके बिना।”
इंस्पेक्टर ने एक लात मारी “भाग यहाँ से इससे पहले तुझे पागल खाने मे बंद करा दूँ। पता नही क्या समझते है ये गंवार पुलिस को।”
लल्लन रोते हुए अपने गांव लौट आया।
उसने रोते मास्टर जी को पूरी बात बताई।
मास्टर जी समझ गए मामला गम्भीर होता जा रहा है। उन्होंने लल्लन को समझाया, “तुम तो अब सिर्फ RTI का ही सहारा ले सकते हो।”
लल्लन “RTI…मास्टर जी ये RTI क्या होता है?”
मास्टर जी “एक हथियार है, जिससे कुछ भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।”
लल्लन, “मेरी भैंस की भी?”
मास्टर जी, “हाँ हाँ क्यों नहीं।”
मास्टर जी उसकी एक RTI application तैयार कराते है और ये समझ नहीं आने पर की कहाँ भेजे, उसे प्रधान मंत्री कार्यालय भेज देते है।
3 दिन बाद जब वो application मोहन बाबू देखते है तो बिना पढे लौटा देते है क्योंकि उसके साथ 10 रु नहीं लगे थे।
प्रधान मंत्री कार्यालय की चिठ्ठी गाँव आते ही हङकंप मच जाता है। लल्लन खुशी से चिल्लाता हुआ मास्टर जी के घऱ की तरफ भागता है “मास्टर जी जवाब आ गया दिल्ली से मेरी भैंस का पता दे दिया उन्होंने।” पीछे पीछे पूरा गाँव।
मास्टर जी खुशी खुशी बाहर आते है, चिठ्ठी पढते है और लल्लन पर दया करते हुए कहते है नहीं लल्लन, भैंस का पता नहीं है, वो लोग कहते है RTI लगाने के लिए 10 रु लगाने जरुरी है, इसलिए उन्होंने तुम्हारी application वापिस कर दी है। अब एक 10 रु का postal order बनवाना होगा।”
लल्लन को कुछ समझ नहीं आया “10 रु किस बात के ? मेरी भैंस ढूंढने के? 10 रु लंगेंगे भूरी को ढूंढने में? इतने कम पैसों के लिए लौटा दिया?”
मास्टर जी कुछ जवाब न दे सके, पर लल्लन के साथ जाकर दूसरे गाँव के पोस्ट आफिस से 100 रु किराया खर्च कर के 10 रु का postal order जरूर बनवा लाये।
प्रधान मंत्री कार्यालय मे मोहन बाबू ने 10 रु का postal order निकल वा कर इस बार application को ध्यान से पढा और मुस्कराये। वो सीधे हँसते-हसँते अपने अधिकारी वर्मा जी के पास गए।
वर्मा जी “क्या हुआ मोहन बाबू आज बड़ी हंसी आ रही है? बोनस announce हो गया क्या?”
मोहन बाबू “अरे कहाँ sir, मैं तो ये RTI पढ कर हंस रहा था। पुछा है मेरी भैंस भूरी जो 7/9/15 को खो गयी है, उसे ढूंढे और बताए की वो कहाँ है और मुझे कब तक दे दी जायेगी? बताओ अब हम भैंस ढूंढेंगे लल्लन जी की।”
वर्मा जी भी जोर से हंसे। फिर बोले “जवाब तो देना ही होगा। आपने उनसे फीस के 10 रु जो ले लिए है।”
मोहन जी, “वो तो मैं उन्हें बता ही दूंगा कि ये जानकारी नहीं बल्कि कार्यावाही की अपेक्षा है जो RTI कानून के बाहर का मामला है।”
वर्मा जी, “हाँ ये ठीक रहेगा। ये भी बता देना ये मामला राज्य सरकार से सम्बंधित है इसलिए इसकी जानकारी उन्ही से ले लल्लन जी। पर यार कुछ भी कहो, यहाँ ऐसी बातें पढ के मजा आ जाता है।”
गाँव में इस बार जवाब आने पर पहले जैसा जोश नहीं है। सब के सब लल्लन के पीछे चुपचाप चिठ्ठी लेकर मास्टर जी के पास ले जाते है।
लल्लन डरते डरते “मास्टर जी मिल गयी भूरी?”
मास्टर जी चिठ्ठी पढते है और फिर से दया भाव से कहते है “नहीं लल्लन…।”
लल्लन गुस्से में “वो क्यों अब तो मैंने 10 रु भी दे दिएलल्लन गुस्से में “वो क्यों अब तो मैंने 10 रु भी दे दिए भूरी ढूंढने के?”
मास्टर जी, “कहते हैं कि ये मामला उनसे संबंधित नहीं बल्कि राज्य सरकार का है और सिर्फ जानकारी दी जा सकती है भैंस ढूंढी नहीं जा सकती इस कानून में।”
लल्लन “मास्टर जी ये हो क्या रहा है? आपके कहे से पैसे भी लगाये थे, कुछ होता है भी आपकी इस RTI से?”
मास्टर जी सकपका गए, आखिर उन्होंने ने ही ये सब शुरू कराया था। उन्होंने कहा “सब्र बड़ा जरुरी है लल्लन। इन्होंने लिखा है कि उनके ऊपर के अधिकारी को लिखा जा सकता है, उनको लिखते है, देखते है क्या होता है।”
लल्लन “फिर से 10 रु लगाने होंगे? क्या वो ढूंढ लेंगे भूरी को?”
मास्टर जी “नही, इसमें लिखा है, अपील के लिए पैसे नहीं लंगेंगे। आओ मैं बङे अधिकारी के लिए चिठ्ठी लिख देता हूँ।”
चिठ्ठी अब प्रधान मन्त्री कार्यालय के बङे अधिकारी के पास पहुँची। सहाय साहब ने अपील को पढा और गुस्से मे आ गए, ये दिन आ गए सररकारी नौकरी के, इस दिन के लिए IAS पास किया था? उन्हें नीचे के अधिकारियों पर भी बङा गुस्सा आया। क्या जरुरत थी उसे अपील के बारे में बताने की।
सहाय साहब ने जल्दी से मोहन और वर्मा जी को बुलाया। “तुम लोगो को कुछ अक्कल-वक्कल है या नहीं? किसी ने कुछ भी पुछा और तुम अपील के लिए मेरा रास्ता बता देते हो? अब क्या मैं गांव मे जाकर लल्लन की भैंस ढूंढ के लाऊ?”
वर्मा जी “पर साहब हमने तो उसकी application ये कह कर reject कर दी की कार्यवाही अपेक्षित है। और RTI मे अपीलीय अधिकारी का नाम देना तो अनिवार्य है। ना चाह कर भी देना पङता है।”
सहाय साहब ने RTI Act मँगवाया और अंत मे खिजते हुए उनकी बात मान गए।
सहाय साहब ने अपने PS को बुलाया और लल्लन को जवाब लिखवाया की वे वर्मा जी की बात से सहमत हैं, कार्यवाही वाली RTI पर कोई जवाब नहीं बनता, अगर संतुष्ट न हों तो CIC जाएं। PS से सहाय साहब बोले “हम ही क्यों लल्लन की भैंस ढूंढे, CIC को भी ढूँढने दो?”
गाँव मे मास्टर जी ने लल्लन को सब पढ़ कर समझाया। उस बेचारे ने माथा पकङ लिया। मास्टर ने होसला बढाया और बोले, “देखो साफ मना तो नहीं है ना ? CIC साहब बङे आदमी होंगे, वो जरूर सुनेंगे। पर दिल्ली जाना होगा उनसे मिलने।”
लल्लन बोला “पता नहीं मास्टर जी कुछ होगा या नहीं पर मेरे पास कोई चारा भी नहीं है। आप साथ चलो मुझसे तो कहाँ बात होगी बङे साहब से।” मास्टर जी मान गए।
उन्होंने एक अपील बना कर CIC में भेज दी। 2 महीने तक कोई जवाब नहीं आया। लल्लन रोज मास्टर जी से मिलता और वो हर रोज उसको ढांढस बंधाते।
फिर 2 महीने बाद उन्हें चिठ्ठी मिली कि CIC वालो ने पेशी के लिए बुलाया है।
डरते डरते लल्लन औऱ मास्टर जी दिल्ली में पहुँच गए CIC के दफ्तर। मास्टर जी ने चिठ्ठी दिखाई तो PA ने उन्हे निरधारित समय पर अंदर भेज दिया। CIC ने लल्लन जी की पूरी बात सुनी और फिर PMO की और से आये हुए वर्मा जी को भी सुना। सब सुनकर मुस्करा कर लल्लन को कहा, “क्यों अपना और हमारा समय व्यर्थ ही बर्बाद कर रहे है, पुलिस के पास जाओ? ठीक कह रहे है PMO वाले, RTI के तहत कार्यवाही नहीं हो सकती। चलो अब जाओ और पुलिस से अपनी भैंस ढूंढ़वाओ।”
लल्लन तो वही फूट फूट के रोने लगा, बोला “पुलिस ने तो मुझे दुत्कार के भगा दिया, बहुत डांटा। बोले की इस काम के लिए उनके पास समय नहीं है। मैं अपनी भूरी के बिना नहीं जी सकता, वो भी मेरे बिना मरी जा रही होगी। अगर आप भी नहीं मदद करेंगे तो मै किससे न्याय माँगू?”
CIC साहब बोले, “देखो, मैं सिर्फ वो कर सकता हूँ जिसकी मुझे पॉवर है। मैं एक्ट के दायरे के बाहर नहीं जा सकता। अगर दिल्ली का मामला होता तो मैं पुलिस से भी बात कर लेता, तुम्हारी राज्य की पुलिस मे मेरी कोई पहचान नहीं। अब जाओ और लोग भी बैठे है।”
मास्टर जी रोते लल्लन को बाहर ले आये।
लल्लन बोला, “मास्टर जी मैं तो अब गांव जाउंगा नहीं, आप जाओ। मैं अपनी भूरी के बिना अब गाँव मे नहीं रह सकता।”
मास्टर जी ने बहुत समझाया पर लल्लन नहीं माना। CIC के आफिस के पास ही मास्टर जी ने देखा कि एक न्यूज चैनल किसी का इंटरव्यू ले रहा है। उन्होंने पुछा तो पता चला कि वो देश के विख्यात RTI कार्यकर्ता श्री भूषण जी हैं। इंटरव्यू के बाद मास्टर जी लल्लन को लेकर भूषण जी के पास गए।
मास्टर जी ने भूषण जी को भूरी के गुम होने से लेकर CIC तक का पूरा सफर उन्हे सुनाया। लल्लन तो फिर से फूट फूट कर रोने लगा।
भूषण जी को लल्लन पर तरस आ गया, वे बोले, “मैं तुम्हारी मदद करूँगा।”
उन्होंने लल्लन और मास्टर जी समझा भुझा के गाँव भेज दिया।
घऱ आकर उन्होंने प्रधान मंत्री कार्यालय में एक RTI आवेदन भेजा। पर उन्होंने इसे RTI प्रावधानों के नियम 7(1) के तहत भेजा। जिसका अर्थ था कि अब सरकार को केवल 48 घंटे में जवाब देना था। उन्होने इसे भूरी भैंस के जीवन/मरण और उसकी आजादी का प्रशन बताया और पूछा कि भूरी कहाँ है। उन्होंने भूरी के गाँव का पता और उसके मालिक लल्लन का नाम आदि सब लिख के भेज दिए।
आवेदन एक बार फिर प्रधान मन्त्री कार्यालय मे मोहन बाबू पास पहुँच गया। लिफाफे पर भूषण जी का नाम देखते ही वे सचेत हो गए। भूषण जी RTI की दुनिया का बङा नाम थे। वे पहले भी कई बार उनके कार्यालय को CIC में झाड़ पङवा चुके थे। उनके चक्कर में मोहन बाबू पहले भी अधिकारियों के आगे पेश हो चुके थे।
उन्हें भूरी भैंस का लल्लन का RTI अच्छे से याद था। उन्हें ये भी याद था की कैसे उन्होंने उस आवेदन और उसमे पूछे गये प्रशन का मजाक उङाया था। पर इस बार वो हर कदम फूक फूक के रख रहे थे।
मोहन जी आवेदन लेके सीधे वर्मा जी के पास गए। बोले, “वर्मा जी, RTI के बङे जानकर, भूषण जी का आवेदन आया है।”
सुनते ही वर्मा जी चाय पीते पीते रुक गए, बोले, “कौन से घोटाले के पीछे पङे है अब की भूषण जी?”
मोहन जी, “घोटाला नही,लल्लन की भैंस भूरी को खोजना चाहते हैं। कहते है उसकी जान को खतरा है इसलिए धारा 7 के तहत 48 घंटे में जवाब दो।”
वर्मा जी का चेहरा तमतमा गया, “और कुछ काम नहीं है क्या भूषण जी को, क्या RTI Act भैंसों के लिए बना है, अब क्या उसकी भी आजादी का ध्यान रखे सरकार?”
मोहन जी ने पुछा “तो फिर क्या लिख दूँ जवाब में?”
ये सुन कर वर्मा जी थोङा घबरा गए, आखिर जवाब तो उन्ही के नाम से जाना था। अगर कहीं टीवी या अखबार मे नाम आएगा तो मोहन का थोङे न आएगा, फंसंगे तो वो। वे बोले, “इसे ना तुम, राज्य सरकार को Transfer कर दो। उन्हें ही भुगतने दो इस मुसीबत से।”
मोहन जी हैरान हुए, बोले, “पर RTI Act मे राज्य सरकार को भेजने का तो कोई नियम नहीं है औऱ हम अगर ये कर सकते थे तो पहले ही कर देना चाहिए था?”
वर्मा जी झल्लाये, “एक काम करो इसका जवाब न तुम अपने हस्ताक्षर से दे दो। ज्यादा समझ है न तुम्हे ? मैं क्यों लूँ, भूषण जी से पंगा। मुझे नहीं अपनी नौकरी खराब करनी एक भैंस के पीछे। राज्य सरकार एक भैंस की सुरक्षा नहीं कर पाई लोगों की क्या खाक करेगी उन्हें ही जवाब देना चाहिए। चुपचाप भेज दो नहीं तो……….।”
मोहन जी समझ गए कि साहब की हालात पतली हो चुकी है भूषण जी का नाम सुनके। उन्होंने बिना कोई फालतू बात किये Boss की बात मानने मे ही भलाई समझी।
इस प्रकार पहली बार RTI के इतिहास में application PMO से राज्य सरकार के पास भेज दी गयी।
बिहार Secretariat मे तो हङकम्प मच गया। एक RTI आवेदन वो भी सीधा PMO से। झट से एक समिति बनायीं गयी इस विचित्र स्थिति से निपटने के लिए।
समिति की आपात बैठक मे ये निर्णय लिया गया कि जिला पुलिस पर सख्त कार्यवाही की जाए अगर वे अगले 6 घंटे में लल्लन की भूरी को नहीं ढूंढ पाये।
ये निर्णय जिला पुलिस से स्थानीय पुलिस स्टेशन मे तीव्र गति से पंहुचा दिया गया। वहां तो जैसे आग लग गयी। इंस्पेकटर साहब ने कांस्टेबल को कालर से पकड कर झकझोर दिया और बोला, “तू खुद भी मरेगा और मुझे भी मरवायेगा। जा के ढूंढ के ला उसकी भैंस, मामला PMO तक पहुँच गया है, नौकरी तो जायेगी ही, दोनों जेल में चक्की भी पिसेंगे।”
उसने पुछा, “पर इतनी जल्दी कहाँ से ढूँढू उसकी भैंस?”
इंस्पेकटर साहब बोले, “कोई भी अच्छी सी भैंस ढूंढ के दे दे। और उससे इकरारनामा लिखवा लेना कि उसकी भैंस मिल गयी है। 1घंटे में पूरा काम करके बता मुझे।”
कांस्टेबल भागा पूरे जोर से लल्लन को कोसता हुआ और जोहङ से एक भैंस पकड़ के सीधा लल्लन के घर गया और उसे डरा धमका के उससे एक कागज पर अंगूठा लगवा लिया कि उसकी भूरी पुलिस ने उस तक पहुंचा दी है। मिनटों में इंस्पेकटर साहब ने ये खबर जिला तक और जिला पुलिस ने मुख्यमंत्री कार्यालय तक पंहुचा दी। PMO तक ये बात पहुँचते ही, भूषण जी को RTI की 48 घंटे की समयावधि पूरी होने से पहले पहले ये जवाब दे दिया गया कि भूरी को सकुशल लल्लन के पास पंहुचा दिया गया है। जवाब के साथ लल्लन का इकरारनामा भी था। भूषण जी बहुत खुश हुए गरीब लल्लन के लिए।
इस सब घटनाक्रम के एक हफ्ते बाद, मास्टर जी लल्लन के घर के पहुँचे, लल्लन भूरी से दूध निकाल रहा था, पहले की तरह मस्ती से गाने गाते हुए। मास्टर जी काफी खुश हुए और उससे पुछा, “क्या हाल है लल्लन और भूरी के?”
लल्लन मास्टर जी के पास भागता हुआ आया और उन्हें खाट पर बिठा कर ताजा ताजा 1 गिलास दूध ले आया। बोला, “मास्टर जी आपकी और आपकी RTI की दया से जिन्दगी एक बार फिर से बहुत अच्छी हो गयी है, भूरी का दूध बेचकर फिर से काम अच्छे से चल रहा है। मैं तो डर के मारे अब इस कहीं लेकर ही नहीं जाता। यहीं खिला पिला देता हूँ और यहीं पाइप से नहला देता हूँ। बाकी सब तो सब बढिया है मास्टर जी पर ये समझ नही आया, भूरी काली कैसे हो गयी?”
मास्टर जी की और कुछ तो समझ आया नहीं बोले, “शायद कई दिन बाहर धूप मे रही न इसीलिए काली हो गयी होगी। तू क्यों दिमाग लगाता है, तुझे तो खुद पुलिस ने लाके दी है, दूध निकाल और मस्त रह।”
सरल बुद्धि लल्लन ये तर्क समझ गया और काली वाली भूरी को RTI का प्रसाद मान कर चैन से रहने लगा।
किन्तु बगल के गाँव मे कोई और मास्टर जी बब्बन को RTI का महत्व समझाते हुए आवेदन लिखा रहे थे कि कैसे उसकी भैंस “काली” एक जोहङ से गायब हो गयी है और PMO उसे कैसे भी ढूंढ के दे………
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