मेरे घर आई एक नन्ही परी – (Little Angel Comes to My House: Today I saw my friend was going somewhere with his wife.They were going for abortion as she was carrying a baby girl. Hindi story on female foeticide)
रामभज्जू दिल का साफ आदमी है। इतना साफ कि कोई बात मुझसे छिपाता नहीं। वह बहुत सीधा आदमी है। इतना सीधा कि लोग उसे बेवकूफ समझते हैं। सपाट बोलता है। इतना सपाट कि लोग उसकी बातों का बूरा मान लेते हैं और कई मौंको पर तो लोग उससे हाथापायी करने पर उतारू हो जाते हैं। वैसे लोग यही कहते नजर आते है ’रामभजुआ एक नंबर का खचड़ा है।‘
आज रामभज्जू को मैंने बन-ठन कर कहीं जाते हुए देखा। साथ में भउजाई भी थी। मैं उत्सुकता वश उससे पूछ बैठा-’क्या हो रामभज्जू, आज बन-ठन कर भउजाई के साथ कहां चले ?‘
रामभज्जू बहुत ही भोलेपन से मुस्करा कर बोला , ’हुजूर, आपसे क्या छिपाना। आपकी भउजाई के साथ कुछ गड़बड़ हो गया है। सोनोग्राफी कराई तो पता चला कि मेरे घर में नन्हीं-नन्हीं सी बच्ची आनेवाली है। आप तो जानते ही हैं कि बेटी का जनम कितना खराब होता है। सो मैंने सोचा कि न रहे बांस, न बाजे बांसुरिया। हम तो सोच लिए हैं कि उसको जमीन पर पांव रखने नहीं देंगे। इसीलिए डाक्टरिन साहेब के पास जा रहे हैं।‘
मैंने कहा-’रामभज्जू , हमलोग बेटी को लक्ष्मी मानते हैं। तुम अपने घर में लक्ष्मी को आने से काहे रोक रहे हो भाई?‘
उसने फिर उसी भोलेपन से जवाब दिया-’हुजूर, आप जिन बेटियों को लक्ष्मी कह रहे हैं, वे तो बोझ होती हैं, बोझ।‘
उसकी इस बात पर मुझे गुस्सा आ गया। मैंने कहा-छिः! कैसी गंदी बात करते हो , रामभज्जू? मेरे सामने इस तरह की बात मत किया करो। अब तो सरकार भी तैयार हो गई है। अब वही बेटियों का जनम से लेकर 18 सालों तक पालन-पोषण, पढ़ाई-लिखाई, सबका खर्चा उठानेवाली है। भउजाई को बोलो कि इस बात को लेकर परेशान होने की जरूरत नही है . मां बनकर उसकी हत्या कराना पाप है। आने दो उस बेटी को और मुझे मिठाई खिलाओ।‘
उसने कहा-‘हुजूर, सरकार का क्या भरोसा? वह कब गिर जाएगी? अगर गुरूजी के आशीर्वाद से सरकार बच भी गई तो कितनी उम्मीद करें हम? जो बात आप हमको बता रहे है, उस तरह की बात तो सरकार में शामिल लोग बराबर ही करते रहते हैं। आज तक अपनी कही हुई बात को सरकार ने कितना कर के दिखाया पब्लिक को? अगर सब कुछ सरकार करबे करती तो माकन भाई काहे के लिए नाराज रहते? काहे के लिए सरकार को गिराने की बात कहते ।‘
मैंने कहा-‘रामभज्जू, तुम बहुत भोले आदमी हो। राजनीति की बात तुम नहीं समझ पाओगे। वैसे अगर तुम्हारी बात हम मान भी लें तो भी मेरे विचार से जन्म लेने से पहले ही बेटी को मार डालना बहुत बडा पाप है। उस पाप का फल किसी न किसी रूप में तुमको मिलेगा। समझे?‘
मेरी बात सुन कर वह रोने लगा। बोला-’हुजूर, हमको समझ में नहीं आ रहा है कि हम क्या करें?‘
मैंने कहा-’करना क्या है? समाज में बेटियों का जन्म लेना भी बहुत जरूरी है, रामभज्जू। अगर इसी प्रकार हर कोई बेटियों की हत्या करता रहेगा तो जानते हो वह दिन दूर नहीं , जब बेटों की शादी के लिए दुल्हनों का अभाव हो जाएगा। तब दुनिया आगे कैसे बढ़ पाएगी?‘
तबतक हमारी भउजाई बोल उठी-’आप ठीक कहतें हैं, बाबू। अब हम डाक्टरिन के पास नहीं जाएंगे।‘
मैंने कहा-’रामभज्जू, जब नन्हीं सी बेटी आएगी तो तुम्हारा घर खुशियों से भर जाएगा और तुम उसे गोद में लेकर गाते हुए पाए जाओगे-मेरे घर आई एक नन्हीं परी……!‘
अबतक रामभज्जू सब कुछ समझ गया था और उसे अपना निर्णय बदलने में तनिक भी देर नहीं लगी.
लेखक : दुर्गा प्रसाद
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