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Life Style Is A Key To Long Life

Published by Durga Prasad in category Hindi | Hindi Article | Social and Moral with tag age | body

Life Style अर्थात जीवन शैली लंबी आयु की कुंजी है | कौन नहीं चाहता कि वह दीर्घाओ हो और एक लंबे समय तक इन सांसारिक सुखों का रसपान करता है, लेकिन हममें से कितने प्रतिशत जन हैं जो इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाते हैं ? महज चाहने भर से ईच्छा की आपूर्ति नहीं जो जाती , इनकी आपर्ति के निमित्त सही दिशा में सही समय पर सही प्रयास करने पड़ते हैं |
गोस्वामी तुलसीदास ने स्पष्ट शब्दों में एक मंत्र दे दिया है :
सकल पदारथ यही जग माहीं ,
करमहीन नर पाबत नाहीं |
ऐसा हमारे शास्त्रों , पुराणों व उपनिषदों में उल्लेख है मनुष्य जन्म बड़े ही भाग्य से प्राप्त होता | हमारा सम्पूर्ण शरीर कितने महत्वपूर्ण अंगों और उपकरणों से सुसज्जित है , हम नित्य इन्हें देखते हैं और इनसे हर पल , हर क्षण , हर घड़ी , हर दिवस लाभ उठाते हैं , लेकिन कभी इस ओर हमारा ध्यान गया है कि इन्हें हम कैसे सबल व स्वश्थ्य रखें ?
कभी हमने सोचा है कि इस सुन्दर धरा पर पुनः आने का भी स्वर्णिम अवसर मिलेगा कि नहीं ?
कभी आपने इस ओर ध्यान दिया है कि इस अमूल्य देह और इनके विभिन्न महत्वपूर्ण अंगों , जिनसे आप अहर्निश काम लेते हैं और अपने और अपने परिवार का भरण – पोषण करते हैं , उनके प्रति आपका क्या कर्तव्य और दायित्व बनता है ?
क्या आप नहीं कहते कि आप स्वश्थ्य , सबल और सक्रिय रहें ?
यदि हाँ , तो आप क्यों ऐसी हानिकारक चीजों का सेवन करते हैं ?
आप को नहीं मालुम कि इनसे कितनी जानलेवा और घातक बीमारियाँ होती है और असमय ही आप संसार से चल देते हैं ?
अपने तो छोड़ जाते ही हैं पर छोड़ जाते हैं अपने परिवार को भी झेलने के लिए जिसकी कभी उसने उम्मीद ही न की थी |
कौन नहीं चाहता कि उनके जीवन में सुख हो , शांति हो , खुशहाली हो और एक लंबे समय तक जीवन का आनंद उठा सके ? सभी चाहते हैं | तो उठिए और संकल्प कीजिये कि अब से अभी से अपने जीवन शैली को बदल कर रख देंगे और सुख व शान्ति में जीवन – यापन करेंगे :
आदर्श जीवन शैली के मूल मंत्र :
१. सकारात्मक सोच |
२. विशुद्ध आचार – विचार , सामान्य व सहज रहन – सहन |

३. संतुलित आहार |

४. नियमित व्यायाम , योग व ध्यान |

५. समुचित आराम व स्वश्थ्य मनोरंजन |

६. “अच्छा बनो और अच्छा करो” के गुढ़ रहस्य को समझना और जीवन में उतारना |

७. अध्यात्म को मन में केंद्रित करना |

८. सत्संग और स्वाध्याय |

९. संतोष , धैर्य व समझौता के मूल मंत्र को जीवन में आत्मसात करना |

१० “Garbage – In and Garbage – Out” के सिद्धांत को भली – भांति समझना और इनमें सन्निहित दर्शन को आत्मसात करना ११ अग्रजों के प्रति समुचित आदर व अनुजों के प्रति अतिशय प्रेम व स्नेह |

ये ग्यारह मूल मंत्र है जो आप के जीवन में हरियाली ला सकती है |

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लेखक : दुर्गा प्रसाद ,


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