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Lights,Camera and Action!!!

Published by Bhairavee in category Hindi | Hindi Story | Social and Moral with tag artist | circus | director | moral

Circus-new-action

Hindi Moral Story – Lights,Camera and Action!!!
Photo credit: undefined from morguefile.com

रंग-बिरंगे कपड़ों और जगमगाती रोशनियों के बीच तक़रीबन १० लोगों का एक शांत और गहनतम जमावड़ा लगा था | कदाचित,किसी गंभीर समस्या पर चर्चा हो रहा थी …
“आज भी बच्चों को भूखा ही सुला दिया..”..

“तुम सही कह रही हो बहेन और ऊपर से अब तो भूख के मारे उनकी आँखों से निकलने वाले आसूँ भी सूख गए हैं ! अजी सुनते हो,”आखिर कब तक हम युही घुट-घुटकर जीते रहेंगे! क्या इसका कोई उपाय नहीं?”

अब तुम्ही बताओ सरला क्या करूँ मैं! दुनिया वाले कहते हैं मेहनत का फल अवश्य ही मिलता है तो हम तो पिछले १० वर्षों से अपनी जान जोखिम में डालकर मेहनत कर रहे हैं पर शायद यह कहावत हम गरीबों के लिए बनी ही नहीं है | क्या कहते हो राजेश,कुछ सुझा?

दिन रात यही सोचता रहता हूँ महेश! कुछ नए करतब भी सिख लिए पर लगता है जो सर्कस पहले खिलखिलाते लोगों से सजा होता था आज वहाँ सिर्फ खाली कुर्सियाँ ही नज़र आती हैं!

और राहुल तुम तो हम सबसे अधिक पढ़े लिखे हो कोई नौकरी क्यूँ नहीं कर लेते?

गया था भैया और नौकरी मिली भी थी ,पर वो लोग कहते हैं १८ घंटे काम करो और यह सर्कस का धंधा छोड़ दो! अब आप ही बताओ भैया,५वीं कक्षा में जब माँ-बाप मर गए थे तब इस सर्कस ने ही तो हाथ थामा था,ये ज़िंदगी है मेरी,कैसे छोड़ देता!

एजी,पर लोग क्यूँ नहीं आते हमारा सर्कस देखने,इसमें मनोरंजन भी है और बच्चों को तो सबसे ज्यादा ख़ुशी देता है!

अरे विमला,तुमने दुनिया नहीं देखी इसलिए ऐसा कह रही हो,आजकल मनोरंजन के लिए माँ-बाप अपने बच्चों को टी.वी.,कंप्यूटर,कीमती खिलोने,मोबाइल इत्यादि खरीद देते हैं जिससे घर पर उनके बच्चों का मन बहेल जाता है..इसलिए आज हमें याद करने वाला कोई बचा ही नहीं | और यह पिंटू कहाँ रह गया,९ बज गए उसका कोई ठिकाना ही नहीं है?

पता नहीं जी,कहकर तो गया था कि अभी थोड़ी देर में आता हूँ माँ,आप जाकर देखिये ना मुझे तो घबराहट हो रही है अब |

हाँ तुम चिंता मत करो मैं जाकर देखता हूँ..

इतने में ही दूर से एक बच्चे की आवाज़ सुनाई दी..पापा…पापा..! अरे पिंटू! कहाँ था तू?

पर पिंटू इतना उत्साहित था कि उसे अपने पापा की आवाज़ ही नहीं सुनी | उसका ध्यान तो पीछे आ रही एक महिला पर था|कहने लगा,”ओ मैडम! यहाँ..यहाँ..मेरे पापा यहाँ हैं |”

और फिर कुछी समय में उस चर्चा में एक और आवाज़ जुड़ गई |” जी नमस्ते,क्या ये आपका बेटा है?”

राहुल ने बड़ी ही धीमी सी आवाज़ में कहा,”जी हाँ मैडम,पर आप..आप…आप तो अमीर लगती हैं..आप यहाँ..यहाँ कैसे?”

“जी,मैं एक डायरेक्टर हूँ..वो हुआ कुछ ऐसा कि मैं आपके सर्कस के पास जो स्टूडियो है,वहाँ से शूटिंग ख़तम करके निकल ही रही थी कि स्टूडियो के बहार रखे कूड़ेदान से कुछ आवाज़ आ रही थी |मैंने पास जाकर देखा तो ये बच्चा उस कूड़े को खा रहा था | मेरा दिल पिघल गया और मैंने आपके बेटे से कहा कि चलो बेटा,मैं आपको कहीं खाना खिला देती हूँ | आशचर्य तो मुझे तब हुआ जब आपके बेटे ने बड़ी घबराई हुई आवाज़ में मुझसे कहा कि मैडम,मैं तो खा लूँगा पर सर्कस के बाकी सब लोग तो आज भी भूखे ही सो जायेंगे ना इसलिए मैं नहीं खा सकता | एक भूखे बच्चे का इतना साफ़ मन देखके
मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई इसलिए मैंने उससे आपके सर्कस की सारी परेशानियाँ सुन ली और उनका हल निकालने की ठान ली | और मुझे लगता है मेरे पास आपकी इस समस्या का हल है |”

उनके ऐसा कहते ही अब तक उदासी भरे उस जमावड़े में मानो आशा की एक किरण लौट आई! पिंटू बोल उठा,”माँ,तुम ना कहती थी सब कुछ ठीक करने के लिए भगवान एक परी भेजेंगे,क्या ये वही है?”

विमला की आँखों में ख़ुशी के मारे आसूँ आ गए और उसने कहा,”हाँ पिंटू हाँ,ये परी ही हैं! ” पूरे सर्कस का माहोल ऐसा हो गया था मनो वर्षों के अकाल के बाद,काले बादल छा गए हों!

आप लोग कृपा करके मुझे परी या मैडम ना कहें,मेरा नाम नताशा है | और मैं तो सिर्फ सानियत का फ़र्ज़ अदा कर रही हूँ | आप लोग प्रतिभाशाली होते हुए भी पेट भरके खाने के लिए तरस रहे हैं और बहार दुनिया में ऐसे कितने लोग हैं जो फरेबी,गुंडे और बदमाश है और चैन की ज़िंदगी जी रहे हैं | अपनी जान को खतरे में डालकर दूसरों का मनोरंजन करना,ऐसा सिर्फ आप सर्कस वाले ही कर सकते हो | मैं आपकी मदद करके आपको आगे लाके लोगों में ये संदेश फेलाना चाहती हूँ कि गरीब होना कोई अपराध नहीं है| अमीर अगर अपना थोडा सा समय निकलकर गरीब की मदद कर दे तो समस्त देश एक साथ प्रगति कर सकता है |

सब लोगों की आँखें चमत्कृत हो उठी| उन्होंने सोचा भी नहीं था कि अमीरों के दिल में भी उन जैसे गरीबों की जगह हो सकती है| राहुल ने फिर पूछा,”तो मैडम,आज से हम सब आपके हवाले| आप जैसा कहेंगी हम सब वैसा ही करेंगे| क्यूँ,भाइयों!”

सभी लोग एक साथ बोल पड़े,”हाँ मैडम!!”

और फिर जन्म हुआ सर्कस के नए अध्याय का..

नताशा ने तुरंत काम शुरू कर दिया| उसने पहले सर्कस के गिरते बिज़नस का गहनतम प्रशिक्षण किया| सर्कस की खामियों की सूचि तैयार की जिसमे कई सारी चीज़े थी जैसे पैसों की कमी,पब्लिसिटी की कमी,नयेपन की कमी..इत्यादि| और फिर अगले दिन से ही उसने काम शुरू कर दिया| सुबह-सुबह सबको इकट्ठा किया और फिर अपनी योजना सबको बताई| सबकी तरफ देखते हुए फिर उसने कहा,

“आपकी कला और करतब में कोई कमी नहीं है पर उसमे कुछ नयापन नहीं है इसलिए मैंने सोचा कि क्यूँ ना आपकी कला के माध्यम से हम एक मिनी-मूवी लोगों को दिखाएँ! एक ऐसी कहानी जिसमे हास्य भी हो और लोगों तक एक अच्छा संदेश भी पहुँचे! पहली कहानी तो मैंने सोच ली है..ये पहली कहानी आप लोगों के जीवन पर ही आधारित होगी जिससे लोग सर्कस को एक नए नज़रिए देखने लगेंगे!
तो सब लोग तैयार हो जाओ,हम आज से ही शुरू हो जायेंगे| आप में से कुछ लोग मेरे असिस्टंट के साथ शो की पब्लिसिटी के लिए जगह-जगह पोस्टर लगायेंगे और कुछ लोग स्वयं सड़कों पर लोगों को हमारे शो के बारे में बताएँगे| तो चलो,सब तैयार??”

राहुल ने कहा,”मैडम,हम आपके कृतज्ञ हैं,आपने हमें मेहनत करने की सही दिशा दिखा दी” और फिर सभी जोर से बोल उठे,”जी मैडम,तैयार!!”

फिर अगले १ महीने की कड़ी मेहनत के उपरांत उसी सुनसान सर्कस में अब कुर्सियां लोगों के लिए कम पड़ने लगी थी | और सर्कस के पुनर्जन्म का आरंभ नताशा ने किया-“स्वागत है,आप सभी का हमारी आज की पहली पेशकश में जिसका नाम है-जीना यहाँ,मरना यहाँ!…तो सब मेरे साथ बोलिए- लाइट्स,कैमरा एंड एक्शन!!”

बस उस दिन के बाद से सर्कस में कोई भी भूखा नहीं सोया और नताशा जैसे अन्य लोगों ने भी आगे आकर अपने गरीब साथियों की मदद करने का प्रयास प्रारंभ कर दिया| असल बात तो यही है कि अच्छाई हम सभी के अंदर है,ज़रुरत है तो सिर्फ एक प्रेरणा की जो हमारे अंदर की इंसानियत तो जगाकर हमें अपने से ज्यादा,देश के लिए जीना सीखा दे…!

***

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