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Courage of Little Girl

Published by Ruchi in category Hindi | Hindi Story | Social and Moral with tag fever | kidnap | medicine | Rain | True Story

Boy in Rain with plastic cover

Hindi Short Story with Moral Lesson for Children – नन्ही सी बच्ची की जिंदादिली – Courage of Little Girl
(Note: Image does not illustrate or has any resemblance with characters depicted in the story)
Photo credit: jade from morguefile.com

ये कहानी  प्रणीता नाम की एक छोटी सी बच्ची  की है जो की अपनी माँ से बेहद प्यार करती थी ।

प्रणीता अपने परिवार से बहुत प्यार करती थी उसे अपने परिवार से इतना प्रेम और लगाव था कि उसे कभी किसी दोस्त की जरुरत ही महसूस नहीं हुई और प्रणीता के माता-पिता  भाई -बहन भी उसे बहुत प्यार करते थे।

एक दिन की बात है प्रणीता की माँ की तबियत बहुत खराब हो गयी उन्हें बहुत तेज बुखार आया था जिससे वो बिस्तर से उठ नहीं पा रही थी। उस दिन पूरा परिवार मम्मी की देखभाल करने में लगा हुआ था पापा भी बहुत फिकर कर रहे थे और सुबह से डॉक्टर के चक्कर लगा रहे थे। जो भी जिस डॉक्टर के बारे में  पापा को बताते थे पापा वही मम्मी का चेकअप  करवाने ले जा रहे थे लेकिन मम्मी का बुखार जरा भी कम होने का नाम नहीं ले रहा था।

दिनभर हम सब भाई-बहन परेशान  रहे और बार -बार फोन करके पापा से मम्मी की  तबियत के बारे में पूछ  रहे थे लेकिन मम्मी की तबियत मे सुधार  नहीं हो रहा था।

दूसरे  दिन  भी मम्मी का बुखार  कम नहीं हुआ तो पापा ने अपने करीबी मित्र के बेटे को कॉल लगाया जो कि  शहर के काफी नामी डॉक्टर हैं,और उनसे मम्मी की तबियत के बारे में बताया तो उन्होंने कहा फिकर मत कीजिये मैं अभी आता हूँ, थोड़ी देर बाद डॉक्टर भैया घर आये और   मम्मी का चेकअप किया और  पापा से कहा परेशानी की कोई बात नहीं है, मैं कुछ दवाए लिख रहा हूँ आप ये दवाए मेडिकल स्टोर से ले आइये और आज खाने के बाद खिला  देना फिर कल मुझे कॉल करके बताना।

पापा मेडिकल स्टोर जाने के लिए तैयार होने लगे तो मैंने पापा से कहा आप थक गए होंगे मुझे पैसे और लिस्ट दो  मैं दवा ले आउंगी।पापा ने मुझे समझाया नहीं तुम रहने दो शाम के 7 बज गए हैं कुछ देर में अँधेरा हो जायेगा और मौसम भी ठीक  नहीं लग रहा है बारिश भी हो सकती है , तो मैंने जिद करके पापा से कहा फिकर मत कीजिये पापा आप बहुत थक गए है ,  मैं जल्दी -जल्दी जाकर ले आउंगी,फिर पापा बोले,”अच्छा ठीक है  संभलकर जाना और जल्दी वापस आना “,तो मैंने पापा से कहा “ठीक है पापा ” मैं जल्दी आ जाउंगी आप फिकर मत करना।

फिर मैं जल्दी जल्दी चलकर मेडिकल स्टोर गयी और  लिस्ट मेडिकल स्टोर वाले अंकल को देकर कहा अंकल ये सब  दवाए  जल्दी से मुझे दे दीजिये। अंकल जब निकाल ही रहे थे कि  अचानक बहुत तेज बारिश होने लगी अचानक मुझे डर  लगने लगा कि बारिश जल्द  बंद नहीं हुई तो मैं घर जल्दी कैसे पहुंचूंगी और मम्मी दवा कब खायेंगी।अंकल ने मुझे दवाए एक पैकेट में डालकर दी और कहा बीटा अभी बारिश बहुत तेज हो रही है तो यहीं रूककर बारिश बंद होने का इन्तजार करलो,बंद होने पर चली जाना।

मैं इन्तेजार करने लगी काफी देर हूँ गयी थी तो लेकिन बारिश कम होने की बजाये और तेज होती जा रही थी। मैं मन में सोच रही थी आज ही बारिश को इतना तेज बरसना था फिर मैंने अंकल से टाइम पूछा तो उन्होंने बताया 9:30 बज गए हैं।मैं घबरा गयी इतनी देर हो रही है और घर में सब परेशान हो रहे होंगे और मम्मी तो हद से ज्यादा परेशान हो जाती हैं।

तो मैंने फैसला किया रुकना ठीक नहीं होगा, अब निकलना ही होगा यहाँ से और देखते ही देखते मैं तेज रफ़्तार से चलने लगी ,चलते समय रस्ते में मुझे कोई भी नहीं दिख रहा था पूरी सड़क सुनसान पड़ी थी मुझे दर भी लग रहा था बहुत ज्यादा अँधेरा था और तेज बारिश और एक भी गाड़ी रोड पर नहीं चल रही थी।अचानक मेरी हर्टबीट बदने लगी। लेकिन मन ही मन यह भी ख्याल आ रहा था की मम्मी की तबियत ज्यादा ख़राब न हो जाये इसलिए मैंने अपने कदम चाल को और ज्यादा तेज कर दिया तभी अचानक मेरे सामने एक बीके आकर रुकी और किसी ने मुझसे कहा प्रणीता मेरे साथ चलो मैं तुम्हे घर छोड़  दूंगा,मैंने घबराकर उनकी तरफ देखा ,अरे ये तो हमारी कॉलोनी में रहने वाली आंटीजी के बेटे राहुल भैया  हैं।

(मैंने हमेशा सुना था कि किसी के भी साथ कभी भी कहीं भी नहीं जाना चहिये क्युकी आये दिन  किडनैपिंग के केस हो रहे थे।)

राहुल ……..” सोच क्या रही हो बेठो में तुम्हे छोड दूंगा घर।”

प्रणीता …….”नहीं भैया मैं चली जाउंगी।”

राहुल ……..” अरे बेठोना बहुत तेज बारिश हो रही है बीमार पड़ जाओगी तुम।”

प्रणीता ……..”नहीं भैया बस घर थोड़ी दूर ही रह गया है मैं जल्दी पहुँच जाउंगी  आप फिकर मत कीजिये। ”

और मैं तेज रफ़्तार से चलने लगी फिर वो भैया सामने आ गये और फिर कहने लगे बाइक  पर बैठने के लिए लिए, मैंने मना कर दिया और मैं चलने लगी  मैं बहुत घबरा गयी थी क्युकी वो भैया मुझे कुछ ठीक नहीं लगते थे। मैं तेज चाल से चलते- चलते सोच रही थी कि कब घर आएगा।

20 मिनिट बाद मैं घर के गेट पर पहुंची और डोर बेल बजायी। भाई ने गेट खोल और मैं झट से अन्दर आ गयी सब बहुत घबरा गए थे। सब पूछने में लगे तुम ठीक तो होना। मैंने कहा हाँ  मैं ठीक हूँ तभी मम्मी की आवाज सुनाई दी मैं झट से मम्मी के पास गयी तो मम्मी ने मुझे कसकर गले लगा लिया।मैंने कहा मम्मी मैं ठीक हूँ लेकिन मम्मी को इतनी ज्यादा फिकर हो गयी थी की बार बार किस कर रही थी और बार बार कह रही थी तुम्हे जाने की क्या जरुरत थी। मैंने मम्मी को समझाते हुए कहा मम्मी देखो मैं सही सलामत घर आ गयी और दवा भी ले आई,आप आराम कीजिये मैं भीगी हुई हूँ आपका बुखार और बढ जायेगा ऐसा कहते हुए मैंने मम्मी को किस किया और कपडे चेन्ज करके उनके पास बैठ गयी।फिर हम सबने खाना खाया और मम्मी को दवा खिलाकर सुला दिया।

दूसरे  दिन देखा मम्मी एकदम ठीक हो गयी थी फिर हमने डॉक्टर भैया को कॉल करके धन्यवाद दिया और मैंने कल रात की राहुल भैया वाली बात सबको बताई।सबने कहा, अच्छा किया जो अकेले आई।

शिक्षा – “इस घटना से हमे यह सीखने  के लिए मिलता है कि कभी भी हमे हिम्मत नहीं हारनी  चाहिए और मुसीबतों  का सामना जिंदादिली से करना चाहिए और जिसपर हमे जरा भी शक हो उस इंसान के साथ कभी भी कहीं भी नहीं जाना चाहिए। ”

नोट ;- ( यह कहानी नहीं एक  रियल इंसिडेंट है ……………रूचि  )

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