इन्द्रा अपने जेठ और जेठानी को अपने घर से जाने के लिए कहती है। और साथ-साथ यह भी कहती है कि ।द्ध निकल जाई हमार घर से हम राउर लोग के बर्दाशत ना करब और हाँ एगों बात ध्यान से सून लेई । हमार मर्द के बेटा जिन्दा बा उ देखी आपन बाप के जमीन जायदाद उही सबहे सम्भाली । अब राउर लोग जाई यहाँ से।
;गोपाल जेठ शर्म से पानी पानी होकर अपने घर वापस आता है उसे अपनी बेजती बदाशॆौत नहीं होती तभी े सूलोचना कहती है।
(सूलोचना)
ऐजी अपने थोड़ा शांत हो जाई । हमलोग कोनो रास्ता जरूर निकाल लेब। थोडा दिमाग के ठंड़ा राखी बाकि हमरा के विशवास नैखे होवत कि उ भोली भाली बेबकुफ इन्द्रा एतना होशियार कैसे हो गईल
(गेपाल)
कुछो भी हो सूलोचना। हम ई अपमान बर्दाशत ना करब उ इन्द्रा के एतना हिम्मत कि हमार से आँख मिलाकेे बात करि। ओकर अखिया निकाल लेब।
गोपाल जेठ अपने अपमान का बदला लेना चाहता था और वह अपने भाई के धन को इतनी आसानी से हाथ से निकलने नहीं दे सकता था इसलिए उसने अपने बाप की सारी जमीन जायदाद अपने नाम करबाली उसने झूठ का सहारा लिया उसने यह साबित किया कि वे अपने बाप का एकलौता बेटा है इसलिए कानुन अपने बाप की जायदाद का हिस्सा का हकदार वोे खुद है।
सारी प्रापटी अपने नाम करवाने के बाद भी उसे इन्द्रा का भय सता रहा था कि कही वो कोट में साबित ना करदे कि मैने झूट बोलकर यह सब हासिल किया। इसलिए इन्द्रा को तोड़ने के लिए उसे एक तरकीब सुझी। जिसे उसने जल्दी ही अंजाम देने की सोची । यह बात उसने अपनी पतनी सूलोचना से छुपाए रखी कि उसे डर था कि वी इस काम में शायद उसका साथ ना दे क्योंकि वो भी एक माँ है।
इधर इन्द्रा अपने दोनों बच्चों को देख अपना दिन काट रही थी। एक दिन एक औरत ने इन्द्रा को कहा कि उसके जेठ ने कानुनन सारी जमीन जायदाद अपने नाम करवा ली है । इन्द्रा सोच मेें पड़ जाती है कि जब मेरे ससूर के चार बेटै है तो किसी एक बेटै केे नाम सबकुछ कैसे हो सकता है । उसे शक हो जाता है कि जरूर कोई गडबड़ है और फिर अपने बेटै को देख इन्द्रा चिंतित हो उठती हे कि कहि वो इस जमीन जायदाद के चक्कर में अपने बेटे को न खो दे । इसलिए वो निर्णय लेती है कि वह अपने बेटे को अपनी माँ के पास भेज देगी। और फिर इन्द्रा अपनी माँ को चिटठी लिखती है ।
चिटठी पढ़कर इन्द्रा के मायके बाले चिंतित हो जाते हे इन्द्रा की माँ अपने बेटे को कहती है कि वह जल्द ही इन्द्रा के यहा जाकर वहाँ का हाल चाल ले और इन्द्रा के बेटेै के लेकर यहाँ आ जाए वो यहा सुरक्षित रहेगा । अपनी माँ कीर आज्ञा मानकर इन्द्रा का भाई इन्द्रा के पास जाता है।
इधर इन्द्रा सोचती है कि अब तक उसकी चिटठी उसकी माँ के मिल चुकी होगी और उसका भाई यहाँ पर आता ही होगा । इसलिए वो अपने भाई के लिए पकवान बनाने में जूट जाती है। खीर बनाने के लिए वह चूल्हे पर दुध चठाती है तो सारा दुध फशॆ पर गिर जाता है और वह चिंतित हो उठती है कि दुध गिरना अच्छा नहीें है, इन्द्रा का दिल जोर से धड़कने लगता है। तभी इन्द्रा का भाई आ जाता है इन्द्रा अपने भाई को देखकर थोडी राहत महसुस करती है और अपनी भीगी पलको से अपने मायके का हाल चाल पूछती है इन्द्रा का भाई सारा हाल चाल बताता है और इन्द्रा से पुछता हे कि
(रामनारायण बडा भाई )
इन्द्रा हममे तो अपन सब हाल चाल बतादेल बानि तू बता कैसन बड़े तोहार चेहरा एकदम से सुख र्गइल बा तु ठीक से खात पियत नैखे का ।आरो हमार भगना भगिनि कहा वा उ लोग के बुलाअ तनि, उ लोग वास्तेे कपड़े लैलै बानि ।
( इन्द्रा )
हाँ हाँ भईया अभी बुलावा तानि, अभी अभी दोनो बाहर खेलत रहे। हम देखा तानि उ लोग कहाँ बा थोडी देर बाद इन्द्रा सुमित्रा को अंदर लेकर आती है और उससे अभिमन्यु के बारे में पुछती है तब सुमित्रा बताती हे कि अभिमन्यु सबजी तोड़ने गया है तुरंत आ जाएगा।
इन्द्रा अपने भाई को सारा हाल कह कर सुनाली है और कहती हैै कि उसके जेठ ने सब कुछ अपने नाम करवा लिया है। उसे डर है कि कहीं उसका जेठ धन के लालच में अभिमन्यु को कोई नुकसान ना पहुचा दे। इसलिए वह अपने भाई को अभिमन्यु को यहाँ से ले जाने को कहती है। उधर अभिमन्यु सब्जिया तोड़ रहा होता है। अभिमन्यु को अकेला पाकर गोपाल जेठ उसके पास आता है। और उससे पुछता है कि वहा वहाँ पर क्या करने आया है। तब अभिमन्यु कहता हैं कि ।
(अभिमन्य)
पाय लागी बड़का बाबु
(गोपाल जेठ
खुशाी रहा बच्बा इहाँ कैसे।
(अभिमन्य )
हम सब्जी तोड़े आईल रहि। हमार मामा आइल बड़न । उनकर खातिर हम यहाँ बढि़या गोभी बेगन तुड़े आइल रहि।
(गोपाल जेठ)
अकेले आइल बड़ा
(अभिमन्य)
हाँ हाँ अकेले आइल बानि।
(गोपाल जेठ)
तनि हमार बात ध्यान से सुन तु हमार खानदान के एकलौता चिराग बरूवे देख हमार बात ध्यान से सुन ले। तोहर दादा के सबहे जमीन जायदाद सब कुछ हम अपना नाम करवा लेल बानि तो ई हिसाब से इ तोर बाप के खेत खलिहान सबहे कुछ हमार हो गईल । आरा तू जे ई हाथ में सब्जी पकड़े खड़ा बड़ा ओकरो में सब कुछ हमार बा। तु ओर तोहार भाई हमार सम्पति खा रहल बड़ा एहिलिये हम सोचले बानि की पहले हम तोहरा तोहार बाप के पास भेज देब, ता हमार सम्पति पर हिस्सा लेवे बला कोई मर्द ना बाची ।
अपने बड़े पापा की बात सुनकर अभिमन्य धबराकर जोर जोर से रोने लगता है और अपने बड़े पापा से कहता है कि
(अभिमन्य)
बड़का बाबु हमरा के कुछो ना चाही ,हमार जान मत ला । हमरा कुछ हो जाई ता माई ना बाची हमरा क ेमत मारा हम माई के बोल देब उ काल्हे से ई खेतवा में ना आई । हमहे सब कोई अपना नानी घर चल जाईब हमरा के कुछो ना चाहि इतना कहकर अभिमन्यु सारी सब्जियाँ जमीन पर फेक देता है। गोपाल जेठ का मन पसीजने लगता है। उसे अपने सात साल के भतीजे पर दया आने लगती है। लेकिन उसका पापी और लालची दिमाग सोचता है कि अगर हक वापस माँगने चला आया तो। यही सोचकर वह अभिमन्य से कहता है कि
(गोपाल जेठ)
अभिमन्य बेटवा तु अभी भोला और नादान बड़ा एहिलिए इ सब बात बोल रहल बड़ा लेकिन जब तु जवान हो जैवे तब तोहर दिमाग में बुद्धी पैदा हो जाई उस दिन तु हमार पास आपन हक लेवे आ जैवा तब हम का करर्ब हमरा के तोहार सब कुछ लौटाव के पड़ी जो हम ना चाहतानि एहिलिये तोहरा के अभी मरेके पड़ी
(अभिमन्य)
ना बड़का बाबु हमरा के मत मारा। हम आपन माई के एकलौता सहारा बानि। हमार माई बहूते दुख सहले बिया । ओकरा ऐगो और दुख ना दा। हम तोहार से अपन जान के भीख मांगी तानि हमार के छोड दा हम कभियो भी तोहार से कुछो ना मांगब हमार के जायदा । हमरा के छोड दे बड़का बाबु ..
(अभिमन्य रोकर अपनी जान की भींख मांगता हैै। और वो भी अपने लिए नहीं अपनी माँ के लिए। अभिमन्य अपनी मा से बहुत प्यार करता था उसके मन में यह इच्छा थीा कि वह अपनी माँ का सहारा बनेगा उसे हमेशा खुश रखेगा इसलिए वह बार-बार अपने बड़े पापा से अपनी जान की भींख मांगता रहा लेकिन गोपाल जेठ का दिमाग एकदम शैतान के जैसा हो गया था। उसकी आखेंा में सिवाय लालच के और कुछ नहीं दिख रहा था गोपाल जेठ ने अभिमन्यु का गला दबाना शुरू किया। अभिमन्य ने बहुत केशिशश् की अपने बड़े पापा के कैद से छुटने की लेकिन वो मासुम सा सात साल का बच्चा भला कैसे इतने बड़े आदमी की गिरफत से छुटता ।
अभिमन्यु बहुत छटपटाया लेकिन गोपाल जेठ को तनिक भी दया नहीं आई। वह एक कसाई बन चुका था । आखिर में अभिमन्य ने दम तोड़ दिया । उसके अपनी आँखंो खुली रखी थी। अभिमन्य मर चुका था लेकिन उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि वह अपने बड़े पापा से पुछ रहा हैै कि मुझे क्यों मारा मैने क्या बिगाडा था तुम्हारा। मैं एक छोटा सा साल साल का बच्चा हूँ मैने तो अभी ठीक से कच्चे रास्तो पर चलना भी नहीं सीखा अपने छोटे छोटे नन्हें हाथों से सिर्फ भगवान को नमस्कार करना सीखा था । मेरे अंदर छल कपट नहीं था और ना ही कोई मन में लालच तो क्यों मारा मुझे क्यों मुझसे मेरी माँ की गोेद छीन ली । क्यों मुझसे मेरी बहन की राखी छीन ली क्यों मुझसे मेरा वो बपचन छीन लिया जिसे मैने अभी ठीक से उसे जीया भी नहीं था क्यों मेरी माँ से उसके बुढापे का सहारा छीन लिया क्यों मेरी बहन से उसकी राखी छीन ली क्यों मेरी माँ के आँखों का तारा छीन लिया जिसे देखकर वह अपना सब दुख भुलाकर जीये जा रही थी। अब व कैसे जीयेगी किसे देखकर जीयेगी मेरी बहन किसे राखी बाँधेगी क्यों किया मेरे बड़े पापा आपने ऐसा । सिर्फ एक तुच्छ धन के लिए मुझसे मेरा इतना सब कुछ छीन लिया
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